ETV Bharat / bharat

यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा, NCRB रिपोर्ट के मुताबिक देश में है नंबर 1

author img

By

Published : Aug 30, 2022, 12:58 PM IST

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी हुई है. इस मामले में देश में यूपी नंबर वन है.

etv bharat
यूपी में बढ़ा दलितों के खिलाफ अपराध, NCRB रिपोर्ट के मुताबिक देश में है नंबर 1

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में अपराधियों का कहर दलितों पर जम कर बरसा है. इसकी गवाही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताजा आंकड़े दे रहे हैं. एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट बता रही है कि साल 2019 व 2020 की अपेक्षा 2021 में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा है. यही नहीं इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश दलितों के साथ होने वाले अपराधों के मामले में नंबर एक पायदान पर है.

यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा- एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में देश भर में दलितों के खिलाफ 50,744 मामले दर्ज हुए थे. इसमें 13,146 मामले सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही सामने आए थे. जबकि साल 2020 में देश भर में 50,202 मामलों में 12,714 मामले यूपी में थे. वहीं साल 2019 में 45,876 मामलों में 11,829 मामले यूपी में दर्ज हुए थे. साल 2020 से 2021 में दलितों के खिलाफ 423 व साल 2019 की अपेक्षा 1317 मामले अधिक सामने आए हैं.


दलित महिलाओं के साथ बढ़ा यौन शोषण- एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में दलित महिलाओं के साथ यौन शोषण के 671 मामले दर्ज हुए, उनमें सबसे अधिक यूपी में 176 मामले हैं. जबकि साल 2020 में 132 मामले दर्ज हुए थे. साल 2021 में 198 दलितों की हत्या हुई है व साल 2020 में 214 हत्याएं हुई थीं. हालांकि हत्या के मामलें में भी यूपी नंबर एक पायदान पर ही है.

यूपी से पीछे है राजस्थान व एमपी- दलित के खिलाफ होने वाले अपराध में यूपी नंबर एक पायदान पर है, तो राजस्थान दूसरे व मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है. एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में उत्तर प्रदेश में 31146 , राजस्थान में 7524 व मध्यप्रदेश में 7214 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि एमपी पुलिस यूपी पुलिस से दलितों के खिलाफ दर्ज हुए मामलों में चार्जशीट दाखिल करने में आगे है.


ऐतिहासिक मानसिकता फिर से हुई है सक्रीय: प्रोफेसर
दलित चिंतक प्रोफेसर कविराज कहते हैं कि ऐतिहासिक सामाजिक मानसिकता, जो बीच में डाइल्यूट हो गयी थी वह एक बार फिर से सक्रीय हो गयी है. छोटी छोटी बातों में दलितों की हत्या हो जा रही है. कविराज कहते है कि कुछ राजनीतिक दल, खासकर सत्ताधारी पार्टी के लोग यह सोच कर चलती है कि दलित उन्हें वोट नहीं देते हैं. ऐसे में उनसे वो लोग उस स्तर से जुड़ाव नहीं रख पाते है. प्रोफेसर कहते है कि एनसीआरबी ने जो आंकड़े प्रस्तुत किये गए है, वो तो महज वो है जो दर्ज किए गए है. इससे कहीं ज्यादा तो ऐसे मामले होते है जिनकी सुनवाई ही नही होती है.


एनसीआरबी रिपोर्ट पर विपक्ष हमलावर
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते है कि बीजेपी के डीएनए दलित विरोधी है. वो वोट के लिए नाटक करते है दलितों के घर खाना खाने का. बीजेपी के मन व दिल में कही भी दलित नहीं हैं. इसलिए दलित इस सरकार में पिस रहा है. समाजवादी पार्टी नेता मनोज यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में दलितों के साथ अत्याचार बढ़ रहा है. सूबे में न ही महिलायें सुरक्षित हैं और न ही दलित. पूरी तरह सामंतवाद हावी है.

सपा नेता कहते है कि भाजपा कहती है कि महिलाओं के सम्मान में बीजेपी मैदान में, बल्कि राज्य में दलित महिलाओं व बच्चों के लिए सुकून से रहने के लिए कोई भी जगह नहीं बची है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता अशोक पांडेय कहते है कि आतंकवादियों का मुकदमा हटाने वाली पार्टी दलितों की बात कर रही है. सपा सरकार में दलितों और कितना अत्याचार हुआ है, ये प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है. हमारी सरकार में हर शिकायत पर एफआईआर दर्ज होती है, तो आंकड़े दिखते हैं. उनकी सरकार में तो थानों से भगा दिया जाता था.

वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ राघवेंद्र त्रिपाठी का भी मानना है कि पूर्व की सरकारों में दलित वर्ग खासकर गरीब वर्ग के दलितों की सुनवाई थानों में नही होती थी. लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपराध थानों में मुकदमे दर्ज हो रहे है, यही कारण है कि अपराधों की संख्या भी अधिक दिख रही है. हालांकि इस संख्या को कम करने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही है. अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, जिससे दलित उत्पीड़न (crime against dalits in up) रोका जा सके.

ये भी पढ़ें- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने योगी मंत्रिमंडल से दिया इस्तीफा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में अपराधियों का कहर दलितों पर जम कर बरसा है. इसकी गवाही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताजा आंकड़े दे रहे हैं. एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट बता रही है कि साल 2019 व 2020 की अपेक्षा 2021 में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा है. यही नहीं इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश दलितों के साथ होने वाले अपराधों के मामले में नंबर एक पायदान पर है.

यूपी में दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ा- एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में देश भर में दलितों के खिलाफ 50,744 मामले दर्ज हुए थे. इसमें 13,146 मामले सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही सामने आए थे. जबकि साल 2020 में देश भर में 50,202 मामलों में 12,714 मामले यूपी में थे. वहीं साल 2019 में 45,876 मामलों में 11,829 मामले यूपी में दर्ज हुए थे. साल 2020 से 2021 में दलितों के खिलाफ 423 व साल 2019 की अपेक्षा 1317 मामले अधिक सामने आए हैं.


दलित महिलाओं के साथ बढ़ा यौन शोषण- एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में दलित महिलाओं के साथ यौन शोषण के 671 मामले दर्ज हुए, उनमें सबसे अधिक यूपी में 176 मामले हैं. जबकि साल 2020 में 132 मामले दर्ज हुए थे. साल 2021 में 198 दलितों की हत्या हुई है व साल 2020 में 214 हत्याएं हुई थीं. हालांकि हत्या के मामलें में भी यूपी नंबर एक पायदान पर ही है.

यूपी से पीछे है राजस्थान व एमपी- दलित के खिलाफ होने वाले अपराध में यूपी नंबर एक पायदान पर है, तो राजस्थान दूसरे व मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है. एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में उत्तर प्रदेश में 31146 , राजस्थान में 7524 व मध्यप्रदेश में 7214 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि एमपी पुलिस यूपी पुलिस से दलितों के खिलाफ दर्ज हुए मामलों में चार्जशीट दाखिल करने में आगे है.


ऐतिहासिक मानसिकता फिर से हुई है सक्रीय: प्रोफेसर
दलित चिंतक प्रोफेसर कविराज कहते हैं कि ऐतिहासिक सामाजिक मानसिकता, जो बीच में डाइल्यूट हो गयी थी वह एक बार फिर से सक्रीय हो गयी है. छोटी छोटी बातों में दलितों की हत्या हो जा रही है. कविराज कहते है कि कुछ राजनीतिक दल, खासकर सत्ताधारी पार्टी के लोग यह सोच कर चलती है कि दलित उन्हें वोट नहीं देते हैं. ऐसे में उनसे वो लोग उस स्तर से जुड़ाव नहीं रख पाते है. प्रोफेसर कहते है कि एनसीआरबी ने जो आंकड़े प्रस्तुत किये गए है, वो तो महज वो है जो दर्ज किए गए है. इससे कहीं ज्यादा तो ऐसे मामले होते है जिनकी सुनवाई ही नही होती है.


एनसीआरबी रिपोर्ट पर विपक्ष हमलावर
कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते है कि बीजेपी के डीएनए दलित विरोधी है. वो वोट के लिए नाटक करते है दलितों के घर खाना खाने का. बीजेपी के मन व दिल में कही भी दलित नहीं हैं. इसलिए दलित इस सरकार में पिस रहा है. समाजवादी पार्टी नेता मनोज यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में दलितों के साथ अत्याचार बढ़ रहा है. सूबे में न ही महिलायें सुरक्षित हैं और न ही दलित. पूरी तरह सामंतवाद हावी है.

सपा नेता कहते है कि भाजपा कहती है कि महिलाओं के सम्मान में बीजेपी मैदान में, बल्कि राज्य में दलित महिलाओं व बच्चों के लिए सुकून से रहने के लिए कोई भी जगह नहीं बची है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता अशोक पांडेय कहते है कि आतंकवादियों का मुकदमा हटाने वाली पार्टी दलितों की बात कर रही है. सपा सरकार में दलितों और कितना अत्याचार हुआ है, ये प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है. हमारी सरकार में हर शिकायत पर एफआईआर दर्ज होती है, तो आंकड़े दिखते हैं. उनकी सरकार में तो थानों से भगा दिया जाता था.

वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ राघवेंद्र त्रिपाठी का भी मानना है कि पूर्व की सरकारों में दलित वर्ग खासकर गरीब वर्ग के दलितों की सुनवाई थानों में नही होती थी. लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में अपराध थानों में मुकदमे दर्ज हो रहे है, यही कारण है कि अपराधों की संख्या भी अधिक दिख रही है. हालांकि इस संख्या को कम करने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही है. अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, जिससे दलित उत्पीड़न (crime against dalits in up) रोका जा सके.

ये भी पढ़ें- बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने योगी मंत्रिमंडल से दिया इस्तीफा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.