हरिद्वारः गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश की सरकारें तक अधीनस्थ अधिकारियों को समय-समय पर कड़े दिशा-निर्देश जारी करती हैं. उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने हरिद्वार में गंग नहर को बंद तो कर दिया, लेकिन सफाई करना भूल गया. आलम ये है कि 14 दिन बीत जाने के बाद भी गंगा से एक तिनका तक नहीं उठाया गया है. जबकि, दीपावली का त्यौहार सिर पर है. दीपावली के बाद गंग नहर फिर से खोल दी जाएगी.
बता दें कि हर साल दशहरे से दीपावली तक हर की पैड़ी से लेकर पूरी गंग नहर को वार्षिक साफ सफाई के लिए बंद किया जाता है. जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार लाखों रुपए खर्च करती है. हैरानी की बात ये है कि अभी तक किसी तरह की कोई सफाई का कार्य गंगा में नहीं किया गया है. कुछ साल पहले तक गंग नहर में पूरे साल जमा होने वाली सिल्ट और रेट आदि को बड़ी-बड़ी मशीनें लगाकर साफ किया जाता था.
कहां गायब हुई सामाजिक संस्थाएंः गंगा को साफ (Cleaning of Ganga) करने के लिए कई सामाजिक संस्थाएं भी आगे आती थी, जो अभियान चलाकर गंगा से गंदगी बाहर निकालती थी. इस बार गंगा बंदी के 14 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक न तो कोई समाज सेवी संस्था और न ही यूपी सिंचाई विभाग (UP Irrigation Department) ने गंगा सफाई की कोई सुध ली है.
हरिद्वार के हर की पैड़ी (Har Ki Pauri of Haridwar) के पौराणिक ब्रह्मकुंड जहां पर हर साल करोड़ों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आकर गंगा में डुबकी लगाते हैं, वहां आलम ये है कि वहां न तो गंगा का जल है और जो घाट खाली पड़े हैं, उनमें भी गंदगी का अंबार लगा हुआ है. कहीं पर भी गंगा में इस बार सफाई कार्य शुरू नहीं किया गया है. जबकि गंगा बंदी समाप्त होने में अब चंद दिन ही बाकी बचे हैं.
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गंगा सभा भी मौन: गंगा की पवित्रता को लेकर बड़े-बड़े मंचों से बड़े-बड़े दावे करने वाले गंगा सभा के पदाधिकारियों के सामने पौराणिक ब्रह्मकुंड में भारी गंदगी का अंबार लगा हुआ है, लेकिन शायद किसी गंगा भक्त को यह गंदगी नजर नहीं आ रही है. अभी भी हर की पैड़ी पर रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और यहां गंगा के अंदर फैली गंदगी को देखकर वो भी आहत हैं, लेकिन इसका कोई असर गंगा सभा पर पड़ता नजर नहीं आता.
होती थी कभी सफाई: कुछ साल पहले तक चाहे हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड हो या फिर गंग नहर सभी जगह उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग साफ सफाई का कार्य करता था. इसके लिए सरकार से बकायदा बजट निर्धारित होता था. इस दौरान गंगा में जमे तमाम कूड़ा करकट के साथ कई जगह एकत्र हुई रेत को (Silt in Ganga nahar) भी बाहर निकाल कर गंगा को साफ किया जाता था. अब आलम यह है कि न तो कहीं कूड़ा उठता है और न ही कहीं से रेत हटाई (Silt in Ganga River) जाती है.
सवालों के जवाब से बच रहे अधिकारी: गंग नहर में सालाना सफाई की जिम्मेदारी यूपी सिंचाई विभाग के पास रहती है, लेकिन 14 दिन बीतने के बाद भी गंगा में किसी तरह की सफाई का कार्य होता नजर न आने पर जब एसडीओ कैनाल एसके कौशिक से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन तक नहीं उठाया और न ही वे कार्यालय पर मौजूद मिले. कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वो ईटीवी भारत के कैमरे पर नहीं आए.
क्या कहते हैं जिम्मेदार लोग: वरिष्ठ बीजेपी नेता और लघु व्यापार एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय चोपड़ा का कहना है कि 5 अक्टूबर से वार्षिक सफाई कार्य के लिए गंग नहर को बंद किया गया था. लेकिन अभी तक गंगा में कोई भी सफाई कार्य नजर नहीं आ रहा है. यह यूपी सिंचाई विभाग की अकर्मण्यता को दर्शाता है. मालवीय दीप, हरकी पैड़ी, बिरला घाट समेत तमाम गंगा गंगा घाटों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. पहले मीडिया अभियान चलाकर लोगों से गंगा सफाई की अपील करता था और लोग भी अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे, लेकिन अब मीडिया ने भी इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया है.
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उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि यह एक बहुत ही बड़ा जांच का विषय है. गंगा बंदी के दौरान गंग नहर में जमकर अवैध खनन (Illegal Mining in Ganga) होता है. जिसे देखने वाला शायद कोई अधिकारी है ही नहीं. उन्होंने साफतौर पर कहा कि इस घोटाले में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग (Uttar Pradesh Irrigation Department) की कहीं न कहीं मिलीभगत जरूर है.
उन्होंने प्रधानमंत्री, दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री के साथ सुप्रीम कोर्ट से भी गंगा की बदहाली पर संज्ञान लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि एक ओर तो नमामि गंगे समेत कई तरह के काम गंगा की स्वच्छता को लेकर किए जा रहे हैं. लेकिन हकीकत में धरातल पर कुछ भी नहीं है. इन अभियानों के तहत गंगा घाटों पर तो साफ सफाई कर दी जाती है, लेकिन गंगा के अंदर जो गंदगी फैली हुई है, उसे गंगा बंदी के दौरान भी साफ नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि इसके लिए तमाम सामाजिक संस्थाओं को साथ लेकर आगे आना चाहिए.