लखनऊ : यूपी एटीएस को मेरठ में बड़ी सफलता हाथ लगी है. टीम ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज लगाकर अवैध काम करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार किया है. यूपी एटीएस के मुताबिक, पिछले कई दिनों से मेरठ क्षेत्र में इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास कर विदेशों से आने वाली कॉल्स को अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से लोकल कॉल्स में परिवर्तित करने की सूचना प्राप्त हो रही थी, जिसके बाद यूपी एटीएस ने कार्रवाई करते हुए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालक नूर मोहम्मद उर्फ साकिब को मेरठ से गुरुवार देर रात गिरफ्तार किया है.
आरोपी के कब्जे से मिला यह सामान : एटीएस के मुताबिक, आरोपी नूर के कब्जे से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के तीन सिम बॉक्स, लगभग 340 प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड, विभिन्न मॉडम, राऊटर मय सहवर्ती उपकरण, लैपटॉप, मोबाइल आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण डॉट के प्रतिनिधि के समक्ष बरामद किये गये. नूर मोहम्मद पर धारा 420, 120 बी, इंडियन वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट, सूचना प्रोद्यौगिकी अधिनियम 2008 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. एटीएस की ओर से जारी प्रेस नोट के अनुसार, इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास करने के कारण कॉलर की पहचान करना सम्भव नहीं होता, जिससे रेडिक्लाइजेशन, हवाला, टेरर फंडिग सम्बन्धी बातों की सम्भावनाएं बनी रहती हैं और साथ ही राजस्व की क्षति भी होती है.'
नेडी नामक व्यक्ति से हुई दोस्ती : एटीएस के मुताबिक, पूछताछ पर गिरफ्तार अभियुक्त ने बताया कि 'उसकी दोस्ती ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, फेसबुक पर नेडी नामक व्यक्ति से हुई, जिसने बताया कि वह दुबई का रहने वाला है और इनके मध्य वार्ता होने लगी. नेडी ने कहा कि यदि तुम इंटरनेट और लैपटॉप खरीद लोगे, तो तुम घर बैठे ही पैसे बना सकते हो. नेडी के कहने पर अभियुक्त ने इंटरनेट और लैपटॉप की व्यवस्था की और किराए पर एक कमरा ले लिया. नेडी ने इसको कोरियर के माध्यम से सिम बॉक्स उपलब्ध कराये और एनीडेस्क एप्लीकेशन के माध्यम से कॉनफिगर किया. सिम बॉक्स पर इंटरनेट के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय कॉल्स को इंटरनेशनल गेटवे बाईपास कराकर लैंड कराया जाता था. इससे कॉलर की पहचान स्थापित नहीं हो पाती है.
लगभग एक लाख प्रतिमाह कमीशन : एटीएस के मुताबिक, गिरफ्तार अभियुक्त नूर मोहम्मद अधिक पढ़ा लिखा भी नहीं है और पावरलूम में कपड़ा बुनने की मशीन चलाने का कार्य करता था. तकनीकी योग्यता न होने के उपरान्त भी यह अपने साथियों की सहायता से तकनीकी रूप से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने में सक्षम है, जिससे यह लगभग एक लाख प्रतिमाह कमीशन के रूप में कमा लेता था. बड़ी संख्या में प्री-एक्टीवेटेड सिम देने वाले रिटेलर्स एवं इस गैंग में शामिल अन्य सदस्य भी एटीएस के रडार में हैं, जिनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी.