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लापरवाही या अनदेखी : छत्तीसगढ़ में धूल खा रहे 900 रेलवे आइसोलेशन बेड

छत्तीसगढ़ में कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. हालात यह हैं कि मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर रेलवे ने पिछले साल आइसोलेशन कोच तैयार किए थे. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर और बिलासपुर डिवीजन में 105 आइसोलेशन कोच बनाए गए थे. लेकिन अब तक इसका उपयोग नहीं हो पाया है. रेलवे यार्ड में खड़े-खड़े ये आइसोलेशन कोच कबाड़ हो रहे हैं. इन कोच में 900 बेड खाली पड़े हैं.

दुर्ग में
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Published : Apr 18, 2021, 10:52 PM IST

दुर्ग : छत्तीसगढ़ में कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. हालात यह हैं कि मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार लाखों-करोड़ों खर्च कर नए कोविड केयर सेंटर इजात करने में जुटी है. वहीं दूसरी ओर रेलवे के आइसोलेशन कोच रेलवे यार्ड में धूल फांक रहे हैं. सरकार ऐसे में रेलवे के आइसोलेशन कोच बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों में कारगर हो सकते हैं.

105 कोच को बनाया गया था आइसोलेशन वार्ड
कोरोना काल में पिछले साल संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों को आइसोलेशन कोच में बदला था. हालांकि उस समय इन आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं हो पाया था. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर और बिलासपुर डिवीजन में 105 आइसोलेशन कोच बनाए गए थे. पिछले एक वर्ष से इन कोचों पर धूल जमी हुई है. दुर्ग के मरोदा यार्ड में 50 डिब्बों में 400 बेड बनाए गए थे. इनको बनाने में करीब दो लाख रुपये प्रति कोच खर्च किए गए थे, लेकिन अब तक इन आइसोलेशन कोच में एक भी कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं किया गया है.

दुर्ग में कोरोना के कहर में अब तक रेलवे के आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं

जानकारी के मुताबिक ऐसे और कोच बिलासपुर में भी खड़े किए गए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार इसका उपयोग नहीं कर पा रही है. यदि 105 आइसोलेशन कोच की बात की जाए तो 900 से ज्यादा बेड खाली पड़े हैं. जिसे सरकार उपयोग नहीं कर पा रही है. पिछले एक साल से आइसोलेशन ट्रेन के कोच खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं.

सभी सुविधाओं से लैस आइसोलेशन कोच
रेलवे प्रशासन ने कोरोना मरीजों के लिए हर कोच में आठ बेड की व्यवस्था है, जिसे जरूरत पड़ने पर 16 बेडों में बदला जा सकता है. नॉन एसी डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया है. इसके लिए मिडल बर्थ को निकालकर कोच के हर कंपार्ट्मेंट को अस्पताल के प्राइवेट रूम की तरह बनाया गया है. चिकित्सकों के दिशा निर्देशों अनुसार इसे तैयार किया गया है. कोच के एक टॉइलेट को बाथरूम में परिवर्तित किया गया है. कोच के अंदर संक्रमण रोकने के लिए प्लास्टिक के पर्दे लगाए हैं. मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स उपलब्ध हैं. प्रत्येक कैबिन में मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगाए गए हैं. करोड़ों की लागत से ये कोच तैयार किए गए हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए ये कोच आइसोलेशन के तौर पर उपयोग हो सकते हैं.

रेलवे आइसोलेशन कोच देने को तैयार
आइसोलेशन डिब्बों को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने रेलवे पीआरओ शिव प्रसाद से टेलीफोनिक चर्चा की तो उन्होंने कहा कि आइसोलेशन कोच दुर्ग के मरोदा यार्ड में खड़े हैं. कोरोना संक्रमितों के लिए यह बेहतर हैं. यदि राज्य सरकार रेलवे से मांगेगी तो हम देने को तैयार हैं.

स्वास्थ्य सचिव के पास भेजा गया है प्रस्ताव
दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बताया कि रेलवे आइसोलेशन कोच रेलवे की प्रॉपर्टी है. इसके उपयोग के संबंध में स्वास्थ्य सचिव को जानकारी भेजी गई है. अभी शासन की ओर से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं. जैसे ही निर्देश मिलते हैं. इन आइसोलेशन कोच का उपयोग करेंगे. कलेक्टर ने बताया कि जिले में बेड की पर्याप्त व्यवस्था है.

दुर्ग : छत्तीसगढ़ में कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है. हालात यह हैं कि मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार लाखों-करोड़ों खर्च कर नए कोविड केयर सेंटर इजात करने में जुटी है. वहीं दूसरी ओर रेलवे के आइसोलेशन कोच रेलवे यार्ड में धूल फांक रहे हैं. सरकार ऐसे में रेलवे के आइसोलेशन कोच बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों में कारगर हो सकते हैं.

105 कोच को बनाया गया था आइसोलेशन वार्ड
कोरोना काल में पिछले साल संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों को आइसोलेशन कोच में बदला था. हालांकि उस समय इन आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं हो पाया था. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर और बिलासपुर डिवीजन में 105 आइसोलेशन कोच बनाए गए थे. पिछले एक वर्ष से इन कोचों पर धूल जमी हुई है. दुर्ग के मरोदा यार्ड में 50 डिब्बों में 400 बेड बनाए गए थे. इनको बनाने में करीब दो लाख रुपये प्रति कोच खर्च किए गए थे, लेकिन अब तक इन आइसोलेशन कोच में एक भी कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं किया गया है.

दुर्ग में कोरोना के कहर में अब तक रेलवे के आइसोलेशन कोच का उपयोग नहीं

जानकारी के मुताबिक ऐसे और कोच बिलासपुर में भी खड़े किए गए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार इसका उपयोग नहीं कर पा रही है. यदि 105 आइसोलेशन कोच की बात की जाए तो 900 से ज्यादा बेड खाली पड़े हैं. जिसे सरकार उपयोग नहीं कर पा रही है. पिछले एक साल से आइसोलेशन ट्रेन के कोच खड़े-खड़े कबाड़ हो रहे हैं.

सभी सुविधाओं से लैस आइसोलेशन कोच
रेलवे प्रशासन ने कोरोना मरीजों के लिए हर कोच में आठ बेड की व्यवस्था है, जिसे जरूरत पड़ने पर 16 बेडों में बदला जा सकता है. नॉन एसी डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया है. इसके लिए मिडल बर्थ को निकालकर कोच के हर कंपार्ट्मेंट को अस्पताल के प्राइवेट रूम की तरह बनाया गया है. चिकित्सकों के दिशा निर्देशों अनुसार इसे तैयार किया गया है. कोच के एक टॉइलेट को बाथरूम में परिवर्तित किया गया है. कोच के अंदर संक्रमण रोकने के लिए प्लास्टिक के पर्दे लगाए हैं. मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स उपलब्ध हैं. प्रत्येक कैबिन में मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगाए गए हैं. करोड़ों की लागत से ये कोच तैयार किए गए हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए ये कोच आइसोलेशन के तौर पर उपयोग हो सकते हैं.

रेलवे आइसोलेशन कोच देने को तैयार
आइसोलेशन डिब्बों को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने रेलवे पीआरओ शिव प्रसाद से टेलीफोनिक चर्चा की तो उन्होंने कहा कि आइसोलेशन कोच दुर्ग के मरोदा यार्ड में खड़े हैं. कोरोना संक्रमितों के लिए यह बेहतर हैं. यदि राज्य सरकार रेलवे से मांगेगी तो हम देने को तैयार हैं.

स्वास्थ्य सचिव के पास भेजा गया है प्रस्ताव
दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने बताया कि रेलवे आइसोलेशन कोच रेलवे की प्रॉपर्टी है. इसके उपयोग के संबंध में स्वास्थ्य सचिव को जानकारी भेजी गई है. अभी शासन की ओर से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं. जैसे ही निर्देश मिलते हैं. इन आइसोलेशन कोच का उपयोग करेंगे. कलेक्टर ने बताया कि जिले में बेड की पर्याप्त व्यवस्था है.

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