नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने गुरुवार को यूक्रेन मुद्दे को सुलझाने के लिए मिन्स्क एग्रीमेंट (Minsk agreements) को लागू करने पर चर्चा की. इस बैठक में चीन के राजदूत झांग जून (Zhang Jun) ने कहा कि यूक्रेन-रूस तनाव को हल करने के लिए मिन्स्क एग्रीमेंट (Minsk agreements) को अमल में लाना जरूरी है.
बता दें कि मिन्स्क एग्रीमेंट (Minsk agreements) के तहत यूक्रेन और रूस समर्थित अलगाववादियों ने सितंबर 2014 में 12 सूत्रीय संघर्ष विराम समझौते पर सहमति व्यक्त की थी. मिन्स्क एग्रीमेंट के तहत बनी सहमति के आधार पर 2015 में रूस, यूक्रेन, यूरोप के सुरक्षा और सहयोग संगठन (OSCE) के प्रतिनिधियों और अलगाववादी नेताओं ने 13-सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
यूएनएससी (UNSC) की बैठक में चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जून ने कहा कि इस साल 12 फरवरी को नए मिन्स्क समझौतों की सातवीं वर्षगांठ है. मिन्स्क एग्रीमेंट को यूक्रेन मुद्दे के समाधान के लिए एक मौलिक और बाध्यकारी राजनीतिक दस्तावेज के रूप में मान्यता प्राप्त है. सुरक्षा परिषद संकल्प 2202 ने सर्वसम्मति से इस एग्रीमेंट का समर्थन किया गया था, इसलिए, यूक्रेन से जुड़े सभी पक्ष इस एग्रीमेंट के तहत समस्या को सुलझा सकते हैं. एग्रीमेंट को लागू करने में अगर मतभेद सामने आते हैं तो उसे बातचीत से दूर किया जा सकता है. उन्होंने यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान के लिए मिन्स्क एग्रीमेंट को बिना देर किए लागू करने और इसके हिसाब से रोडमैप तैयार करने की सलाह दी.
चीनी राजदूत ने कहा कि अफसोस की बात है कि अधिकांश समझौतों के प्रावधानों को अभी तक सही मायने में लागू नहीं किया गया है, इस कारण संघर्ष विराम के उल्लंघन की कई घटनाएं हुईं. यूक्रेन की समस्या का राजनीतिक समाधान के लिए सभी पक्षों को किसी भी ऐसे कार्य से बचना चाहिए, जो तनाव या संकट को बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि चीन इस तनाव को कम करने के लिए किए गए सभी प्रयासों का समर्थन करता है. चीन की नजर फ्रांस, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों के साथ रूसी संघ के बीच डिप्लोमैटिक बातचीत पर है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बातचीत से यूरोप में स्थायी शांति और स्थिरता के लिए संतुलित ठोस आधार मिलेगा. यूरोपीय देश अपने हितों के अनुरूप स्वायत्तता के साथ निर्णय लेंगे.
अमेरिका पर तंज कसते हुए चीनी राजदूत झांग ने कहा कि हर घटना के पीछे एक कारण होता है. नाटो का विस्तार एक ऐसा मुद्दा है, जिसे यूक्रेन से संबंधित मौजूदा तनाव से निपटने के दौरान नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. नाटो का निरंतर विस्तार से शीत युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो रही है. यह प्रवृति आज के दौर के खिलाफ है. एक देश की सुरक्षा दूसरों की कीमत पर नहीं हो सकती है.
अमेरिका का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि दुनिया का एक देश आज भी अपनी शीत युद्ध की मानसिकता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. वह बात कुछ और करता है और दुनिया में सैन्य श्रेष्ठता के लिए काम कुछ और करता है. चीनी राजदूत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में बन रहे देशों के समूहों पर भी टिप्पणी की. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका ऐसे गुट बनाकर एशिया प्रशांत क्षेत्र में टकराव को बढ़ाना चाहता है. इससे इस क्षेत्र में विभाजन और राजनीतिक उथल-पुथल होगी, जिससे स्थिरता और शांति को खतरा पैदा होगा. चीनी राजदूत ने यूक्रेन से जुड़े देशों से इतिहास से सीखने और आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए बातचीत करने की सलाह दी. साथ ही वार्ता के माध्यम से विवादों को निपटाने का आग्रह किया.
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