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सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस : थीम और महत्व के बारे में जानें

स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बेहतर बनाने तथा सामाजिक व्यवस्था, उम्र, लिंग, वर्ग व आर्थिक स्थिति के दायरे में बंधे बिना हर व्यक्ति तक वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथ न्यायसंगत और अच्छी स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हर साल 12 दिसंबर को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस / यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज मनाया जाता है. International Universal Health Coverage Day, Health for All: Time for Action, UHC Day 2023, Universal Health Coverage Day, Health Challenges in India.

International Universal Health Coverage Day
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 12, 2023, 12:02 AM IST

Updated : Dec 12, 2023, 6:15 AM IST

हैदराबाद : दुनिया भर में कभी वित्तीय कारणों , कभी इलाज या चिकित्सकों के अभाव तो कभी जानकारी या जागरूकता के अभाव सहित बहुत से कारणों से लाखों लोग समय पर जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. भले ही समय से साथ चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर काफी विकास हुआ है, लेकिन अभी भी हर व्यक्ति के लिए तमाम जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक सरल पहुंच संभव नहीं हो पाई है. दुनिया के हर कोने में हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा इसके लिए ना सिर्फ वित्तीय बल्कि हर संभव तरह से उनकी मदद के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से दुनियाभर में हर साल 12 दिसंबर को “यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे/ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस” मनाया जाता है.

इस वर्ष यह दिवस पूर्ण यानी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में आगे बढ़ने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर विचार करने तथा इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए संबंधित प्रणालियों से आह्वान करने के उद्देश्य से "सभी के लिए स्वास्थ्य: कार्रवाई का समय" थीम पर मनाया जा रहा है.

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे का इतिहास
वर्ष 2012 में 12 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सर्वसम्मति से अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए सभी देशों से एक आवश्यक प्राथमिकता के रूप में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में प्रयास बढ़ाने को लेकर एक ऐतिहासिक प्रस्ताव का समर्थन किया था. इसके उपरांत वर्ष 2014 में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज गठबंधन द्वारा 12 दिसंबर को 'यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज दिवस' मनाया गया था. इस अवसर पर #हेल्थ फॉर ऑल , के तहत इस दिशा में सतत विकास के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में शामिल किया गया था. इसके उपरांत वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर 12 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के रूप में नामित किया था.

आयोजन का उद्देश्य
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के आयोजन के मुख्य उद्देश्यों की बात करें तो उनमें लोगों की आय के स्तर, सामाजिक स्थिति, लिंग, जाति या धर्म को किनारे करते हुए सभी नागरिकों के लिए समान व न्यायसंगत सुविधाओं की उपलब्धता के लिए प्रयास करने, इस दिशा में उनकी आर्थिक मदद के लिए प्रयास करने व इसके लिए उन्हें बीमा खरीदने व इलाज व दवाओं का बिल भरने में मदद करने वाली सहूलियतों के बारे में जागरूक करने, आम जन में हर रोग तथा उसकी जांच व इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने तथा चिकित्सा सुविधाओं व उपचार की हर जन तक उपलब्धता के साथ इलाज के उपरांत जरूरतमंदों के पुनर्वास, देखभाल तथा रोकथाम के लिए प्रयास करना आदि शामिल हैं.

गौरतलब है कि हर जन तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की दिशा में प्रगति के साथ ही सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज से लोगों को कई अन्य व्यक्तिगत व सामाजिक लाभ भी मिलते हैं. जैसे जनसंख्या के स्वास्थ्य में सुधार, गरीबी में कमी, नौकरियों में बढ़ोत्तरी तथा वित्तीय सुरक्षा आदि .

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे का महत्व
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के महत्व तथा इस दिशा में लगातार प्रयासों की जरूरत को लेकर बात करें तो स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनकी बेहतरी दिशा में लगातार प्रयासों की जरूरत है . जैसे चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मद में बजट में कमी तथा जरूरी चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता में कमी आदि.

सिर्फ अपने देश की बात करें तो विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में फिलहाल चिकित्सकों , नर्सों व स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या जरूरत के मुताबिक नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड के अनुसार हर 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत में प्रत्येक 1,445 लोगों पर केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है. इसके अलावा 60 फीसदी ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में केवल एक-एक चिकित्सक उपलब्ध है, जबकि लगभग 5 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी चिकित्सक नहीं है. वहीं देश में नर्सों की भी काफी ज्यादा कमी है.

इसके अलावा अलग-अलग कारणों से पिछले सालों में रोगों तथा रोगियों दोनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों में लोगों में हृदय रोगों व मधुमेह जैसी कोमोरडीबीटीयों, सांस की बीमारी, कैंसर तथा कुछ अन्य जटिल बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसका असर बीमारी के कारण होने वाली मृत्यु की दर पर भी पड़ रहा है. आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में औसतन 30 वर्ष से ज्यादा तथा 70 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य कारणों से मरने का जोखिम पहले के मुकाबले बढ़ गया है. लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी भी अलग-अलग कारणों से दुनिया की कम से कम आधी आबादी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाती है.

सरकारी प्रयास
गौरतलब है कि इस दिशा में प्रयास के तहत भारत सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जननी सुरक्षा योजना, मिशन इंद्रधनुष, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति -2017, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन तथा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आदि. इन तथा कई अन्य योजनाओं के माध्यम से नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा तथा जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने तथा स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में बेहतरी के लिए प्रयास किया जाता है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा कई अन्य अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा भी देश विदेश में इस दिशा में सतत प्रयास किये जा रहे हैं.

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हैदराबाद : दुनिया भर में कभी वित्तीय कारणों , कभी इलाज या चिकित्सकों के अभाव तो कभी जानकारी या जागरूकता के अभाव सहित बहुत से कारणों से लाखों लोग समय पर जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. भले ही समय से साथ चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर काफी विकास हुआ है, लेकिन अभी भी हर व्यक्ति के लिए तमाम जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक सरल पहुंच संभव नहीं हो पाई है. दुनिया के हर कोने में हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा इसके लिए ना सिर्फ वित्तीय बल्कि हर संभव तरह से उनकी मदद के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से दुनियाभर में हर साल 12 दिसंबर को “यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे/ सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस” मनाया जाता है.

इस वर्ष यह दिवस पूर्ण यानी सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में आगे बढ़ने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर विचार करने तथा इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए संबंधित प्रणालियों से आह्वान करने के उद्देश्य से "सभी के लिए स्वास्थ्य: कार्रवाई का समय" थीम पर मनाया जा रहा है.

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे का इतिहास
वर्ष 2012 में 12 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सर्वसम्मति से अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए सभी देशों से एक आवश्यक प्राथमिकता के रूप में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की दिशा में प्रयास बढ़ाने को लेकर एक ऐतिहासिक प्रस्ताव का समर्थन किया था. इसके उपरांत वर्ष 2014 में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज गठबंधन द्वारा 12 दिसंबर को 'यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज दिवस' मनाया गया था. इस अवसर पर #हेल्थ फॉर ऑल , के तहत इस दिशा में सतत विकास के लक्ष्य को संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में शामिल किया गया था. इसके उपरांत वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक तौर पर 12 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के रूप में नामित किया था.

आयोजन का उद्देश्य
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के आयोजन के मुख्य उद्देश्यों की बात करें तो उनमें लोगों की आय के स्तर, सामाजिक स्थिति, लिंग, जाति या धर्म को किनारे करते हुए सभी नागरिकों के लिए समान व न्यायसंगत सुविधाओं की उपलब्धता के लिए प्रयास करने, इस दिशा में उनकी आर्थिक मदद के लिए प्रयास करने व इसके लिए उन्हें बीमा खरीदने व इलाज व दवाओं का बिल भरने में मदद करने वाली सहूलियतों के बारे में जागरूक करने, आम जन में हर रोग तथा उसकी जांच व इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने तथा चिकित्सा सुविधाओं व उपचार की हर जन तक उपलब्धता के साथ इलाज के उपरांत जरूरतमंदों के पुनर्वास, देखभाल तथा रोकथाम के लिए प्रयास करना आदि शामिल हैं.

गौरतलब है कि हर जन तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की दिशा में प्रगति के साथ ही सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज से लोगों को कई अन्य व्यक्तिगत व सामाजिक लाभ भी मिलते हैं. जैसे जनसंख्या के स्वास्थ्य में सुधार, गरीबी में कमी, नौकरियों में बढ़ोत्तरी तथा वित्तीय सुरक्षा आदि .

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे का महत्व
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस के महत्व तथा इस दिशा में लगातार प्रयासों की जरूरत को लेकर बात करें तो स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनकी बेहतरी दिशा में लगातार प्रयासों की जरूरत है . जैसे चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मद में बजट में कमी तथा जरूरी चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता में कमी आदि.

सिर्फ अपने देश की बात करें तो विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में फिलहाल चिकित्सकों , नर्सों व स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या जरूरत के मुताबिक नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड के अनुसार हर 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत में प्रत्येक 1,445 लोगों पर केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है. इसके अलावा 60 फीसदी ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में केवल एक-एक चिकित्सक उपलब्ध है, जबकि लगभग 5 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी चिकित्सक नहीं है. वहीं देश में नर्सों की भी काफी ज्यादा कमी है.

इसके अलावा अलग-अलग कारणों से पिछले सालों में रोगों तथा रोगियों दोनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले कुछ सालों में लोगों में हृदय रोगों व मधुमेह जैसी कोमोरडीबीटीयों, सांस की बीमारी, कैंसर तथा कुछ अन्य जटिल बीमारियों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसका असर बीमारी के कारण होने वाली मृत्यु की दर पर भी पड़ रहा है. आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में औसतन 30 वर्ष से ज्यादा तथा 70 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य कारणों से मरने का जोखिम पहले के मुकाबले बढ़ गया है. लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी भी अलग-अलग कारणों से दुनिया की कम से कम आधी आबादी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाती है.

सरकारी प्रयास
गौरतलब है कि इस दिशा में प्रयास के तहत भारत सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जैसे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जननी सुरक्षा योजना, मिशन इंद्रधनुष, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति -2017, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन तथा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आदि. इन तथा कई अन्य योजनाओं के माध्यम से नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा तथा जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कराने तथा स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में बेहतरी के लिए प्रयास किया जाता है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा कई अन्य अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा भी देश विदेश में इस दिशा में सतत प्रयास किये जा रहे हैं.

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Last Updated : Dec 12, 2023, 6:15 AM IST
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