नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों की जेल में बंद यूनिटेक के पूर्व प्रवर्तकों संजय और अजय चंद्रा के साथ मिलीभगत की पूर्ण जांच के आदेश दिए हैं. उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली के पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की सीलबंद रिपोर्ट के आधार पर तिहाड़ अधिकारियों, चंद्रा बंधुओं की मिलीभगत पर पूर्ण जांच की जाए.
इसके अलावा शीर्ष अदालत ने कहा कि चंद्रा बंधुओं, तिहाड़ जेल अधिकारियों की मिलीभगत के मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों को निलंबित करने का भी आदेश दिया जिनके खिलाफ दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अस्थाना की रिपोर्ट के आधार पर मामले दर्ज किए जाएंगे.
शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना की रिपोर्ट में जेल प्रबंधन बढ़ाने के संबंध में दिये गये सुझाव का पालन करने का भी निर्देश दिया. न्यायालय ने इस रिपोर्ट की एक प्रति अनुपाल के लिए मंत्रालय के पास भेजने का भी आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने राकेश अस्थाना की जेल प्रबंधन पर रिपोर्ट की प्रति गृह मंत्रालय को निर्देशों के अनुपालन के लिए देने का निर्देश भी दिया.
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया था कि चंद्रा बंधु जेल से अपना कारोबार-धंधा चला रहे हैं.
उच्चतम न्यायालय ने इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर अपराध जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और दिल्ली पुलिस की सीलबंद लिफाफे में पेश की गयी रिपोर्टों को रिकार्ड में लिया एवं अगली सुनवाई की तारीख 21 अक्टूबर तय की.
26 अगस्त को शीर्ष अदालत ने चंद्रा बंधुओं को राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल से महाराष्ट्र में मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा जेल स्थानांतिरत करने का निर्देश दिया था क्योंकि ईडी ने उससे कहा था कि वे जेलकर्मियों की मिलीभगत से जेल परिसर से अपना कारोबार-धंधा चला रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने ईडी की दो स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा था कि तिहाड़ जेल के अधीक्षक और अन्य कर्मी अदालती आदेश को धत्ता बताकर चंद्रा बंधुओं से मिलीभगत करने में ‘बिल्कुल बेशर्म हैं.
न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को चंद्रा बंधुओं के सिलसिले में तिहाड़ जेल के कर्मियों के आचरण की व्यक्तिगत रूप से जांच करने का निर्देश दिया था.
चंद्रा बंधुओं एवं रियलिटी कंपनी यूनीटेक के विरूद्ध धनशोधन अधिनियम की जांच कर रही ईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि संजय एवं अजय ने पूरी न्यायिक हिरासत को बेमतलब बना दिया है क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से संवाद कर रहे हैं, अपने अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं और जेल के अंदर से संपत्ति का धंधा कर रहे हैं, इन सारे कामों में जेल कर्मी उनका साथ दे रहे हैं. अगस्त, 2017 से जेल में बंद संजय और अजय पर घर खरीददारों का पैसा कथित रूप से गबन करने का आरोप है.
शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2017 में यूनीटेक के प्रवर्तकों को 31 दिसंबर, 2017 तक न्यायालय की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपए जमा कराने का निर्देश दिया था. दोनों भाईयों का दावा है कि उन्होंने न्यायालय की शर्तो का अनुपालन किया है और 750 करोड़ रुपए से भी ज्यादा राशि जमा करा दी है. इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.
(पीटीआई-भाषा)