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खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से दोगुनी होगी किसानों की आयः केंद्रीय मंत्री पारस

मंत्री पारस ने खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के बाद किसानों के लिए समृद्धि और बेरोजगारों को बड़े अवसर सृजित होने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की ओर से खाद्य प्रसंस्करम सप्ताह मनाया जा रहा है. सप्ताह व्यापी कार्यक्रम के तहत इन पांच इकाइयों का शुभारंभ किया गया है.

केंद्रीय मंत्री पारस
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Published : Sep 7, 2021, 6:32 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री (Union Minister of Food Processing) पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने आज वर्चुअल तरीके से पांच खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों (food processing units) का शुभारंभ किया. ये इकाइयां असम, गुजरात एवं कर्नाटक में स्थित हैं. वे हैं- गुजरात में फिनिक्स फ्रोजन फूड्स, अथोस कोलेजेन व वसंत मसाला, कर्नाटक में हैन फ्यूचर नेचुरल प्रोडक्ट्स और असम में ग्रेनटेक फूड्स.

मंत्री पारस ने खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के बाद किसानों के लिए समृद्धि और बेरोजगारों को बड़े अवसर सृजित होने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय (Ministry of Food Processing industries) की ओर से खाद्य प्रसंस्करम सप्ताह मनाया जा रहा है. सप्ताह व्यापी कार्यक्रम के तहत इन पांच इकाइयों का शुभारंभ किया गया है.

उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से जुड़े लोगों को अलग-अलग प्रकार की इकाइयों को लगाने के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है. इसलिए उन्हें आर्थिक मदद भी दी जाती है. मंत्रालय की ओर से विभिन्न योजनाएं बनाई गई हैं, जिसमें से एक प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों की क्लस्टर आधारित विकास को बढ़ावा देना है. इसे एक व्यापक पैकेज के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसके परिणाम स्वरूप खेत से खुदरा दुकानों तक उत्पाद की कुशल आपूर्ति के साथ आधुनिक अवसंरचना का निर्माण होगा.

पढ़ें : खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों पर बोली सरकार, दिसंबर महीने से गिरने लगेंगे दाम

उन्होंने कहा कि यह न केवल देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित दे रहा है बल्कि किसानों को अच्छी कीमत दिलाने में भी सहायता करेगा. किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. कृषि उत्पादों की बर्बादी को कम करना, प्रसंस्करण स्तर में वृद्धि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में वृद्धि करना भी इस योजना का उद्देश्य है.

उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादों विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के मूल्य में उतार-चढ़ाव का एक मुख्य कारण पर्याप्त और उपयुक्त प्रसंस्करण की कमी है. प्रसंस्करण और संरक्षण का बढ़ा हुआ स्तर कृषि उत्पादों के मूल्यों को स्थिर कर सकता है.

उन्होंने कहा कि देशभर में 42 मेगा फूड पार्क स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 19 संचालित हैं. बाकी के मेगा फूड पार्कों को जल्द खोल दिया जाएगा. वहीं, अब मेगा फूड पार्क के बदले मिनी फूड पार्क खोले जाने की योजना है.

मेगा फूड पार्क के लिए 50 एकड़ की जमीन की आवश्यकता होती है जिसके निर्माण में 250 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. मिनी फूड पार्क में 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 10 एकड़ की जमीन में ही एक मिनी फूड पार्क बनकर तैयार हो जाएगा. फूड पार्क में किसानों के उत्पाद का भंडारण और प्रसंस्करण से लेकर बाजार मुहैया कराने की व्यवस्था रहेगी. किसानों को उनकी उपज का सही कीमत भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना भी है.

बता दें कि निजी क्षेत्र द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग शुरू करने के लिए हाल ही में 792 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. इसके लिए 5792 करोड़ की सहायता अनुदान स्वीकृत है.

नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री (Union Minister of Food Processing) पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने आज वर्चुअल तरीके से पांच खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों (food processing units) का शुभारंभ किया. ये इकाइयां असम, गुजरात एवं कर्नाटक में स्थित हैं. वे हैं- गुजरात में फिनिक्स फ्रोजन फूड्स, अथोस कोलेजेन व वसंत मसाला, कर्नाटक में हैन फ्यूचर नेचुरल प्रोडक्ट्स और असम में ग्रेनटेक फूड्स.

मंत्री पारस ने खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के बाद किसानों के लिए समृद्धि और बेरोजगारों को बड़े अवसर सृजित होने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय (Ministry of Food Processing industries) की ओर से खाद्य प्रसंस्करम सप्ताह मनाया जा रहा है. सप्ताह व्यापी कार्यक्रम के तहत इन पांच इकाइयों का शुभारंभ किया गया है.

उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से जुड़े लोगों को अलग-अलग प्रकार की इकाइयों को लगाने के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है. इसलिए उन्हें आर्थिक मदद भी दी जाती है. मंत्रालय की ओर से विभिन्न योजनाएं बनाई गई हैं, जिसमें से एक प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों की क्लस्टर आधारित विकास को बढ़ावा देना है. इसे एक व्यापक पैकेज के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसके परिणाम स्वरूप खेत से खुदरा दुकानों तक उत्पाद की कुशल आपूर्ति के साथ आधुनिक अवसंरचना का निर्माण होगा.

पढ़ें : खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों पर बोली सरकार, दिसंबर महीने से गिरने लगेंगे दाम

उन्होंने कहा कि यह न केवल देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित दे रहा है बल्कि किसानों को अच्छी कीमत दिलाने में भी सहायता करेगा. किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. कृषि उत्पादों की बर्बादी को कम करना, प्रसंस्करण स्तर में वृद्धि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में वृद्धि करना भी इस योजना का उद्देश्य है.

उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादों विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाले उत्पादों के मूल्य में उतार-चढ़ाव का एक मुख्य कारण पर्याप्त और उपयुक्त प्रसंस्करण की कमी है. प्रसंस्करण और संरक्षण का बढ़ा हुआ स्तर कृषि उत्पादों के मूल्यों को स्थिर कर सकता है.

उन्होंने कहा कि देशभर में 42 मेगा फूड पार्क स्वीकृत हुए थे, जिसमें से 19 संचालित हैं. बाकी के मेगा फूड पार्कों को जल्द खोल दिया जाएगा. वहीं, अब मेगा फूड पार्क के बदले मिनी फूड पार्क खोले जाने की योजना है.

मेगा फूड पार्क के लिए 50 एकड़ की जमीन की आवश्यकता होती है जिसके निर्माण में 250 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. मिनी फूड पार्क में 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 10 एकड़ की जमीन में ही एक मिनी फूड पार्क बनकर तैयार हो जाएगा. फूड पार्क में किसानों के उत्पाद का भंडारण और प्रसंस्करण से लेकर बाजार मुहैया कराने की व्यवस्था रहेगी. किसानों को उनकी उपज का सही कीमत भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना भी है.

बता दें कि निजी क्षेत्र द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग शुरू करने के लिए हाल ही में 792 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. इसके लिए 5792 करोड़ की सहायता अनुदान स्वीकृत है.

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