नई दिल्ली : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने गुरुवार को देश में विकसित दूरसंचार उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था-मद्रास (आईआईटी मद्रास) में स्थापित एक परीक्षण नेटवर्क से पहली 5जी कॉल की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के पहले 5जी टेस्ट-बेड का उद्घाटन किया था, जिसे आईआईटी मद्रास के नेतृत्व में कुल आठ संस्थानों द्वारा बहु-संस्थान सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित किया गया है.
वैष्णव ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'आत्मनिर्भर 5जी. आईआईटी मद्रास में 5जी कॉल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. संपूर्ण नेटवर्क भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है.' दूरसंचार मंत्री ने स्वदेश में विकसित 5जी तकनीक के उपकरणों पर वीडियो कॉल करने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण साकार हुआ. वैष्णव ने कॉल करने के बाद कहा, 'उनका (प्रधानमंत्री का) दृष्टिकोण भारत में विकसित, भारत में निर्मित और दुनिया के लिए बना हमारा अपना 4जी, 5जी प्रौद्योगिकी ढांचा है. हमें इस संपूर्ण प्रौद्योगिकी के साथ दुनिया को जीतना है.' सरकार को उम्मीद है कि इस साल अगस्त-सितंबर तक देश में 5जी सेवाएं शुरू हो जाएंगी.
टीम ने हाइपरलूप मॉडल बनाया : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आईआईटी टीम के बनाए हाइपरलूप मॉडल को भी देखा. ये 1,200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की शीर्ष गति प्राप्त कर सकता है. यह पूरी तरह से सुरक्षित है. टीम भारत में हाइपरलूप ट्यूब अनुसंधान का नेतृत्व कर रही है और पहले से ही ट्यूब डिजाइन का पेटेंट करा चुकी है. हाइपरलूप पिछले कुछ सालों से भारत में चर्चा का विषय बना हुआ है. कई कंपनियों ने मुंबई-पुणे और चंडीगढ़-अमृतसर सहित मार्गों का प्रस्ताव रखा है.
टीम अविष्कार का लक्ष्य IIT मद्रास में दुनिया की सबसे बड़ी छात्र-विकसित हाइपरलूप परीक्षण सुविधा का निर्माण करना है और इस वर्ष तक 500 मीटर लंबी इस हाइपरलूप सुविधा के निर्माण को पूरा करने की उम्मीद कर रही है. इस सुविधा का निर्माण मुख्य परिसर से लगभग 35 किमी दूर स्थित IIT मद्रास के सैटेलाइट कैंपस डिस्कवरी कैंपस में किया जाएगा.
पढ़ें- अगले डेढ़ दशकों में 5जी से देश की अर्थव्यवस्था में 450 अरब डॉलर का योगदान होने वाला है: मोदी