नई दिल्ली : केंद्र सरकार केरल में समुद्री मत्स्यपालन के आधुनिकीकरण के लिए मत्स्य बंदरगाह का निर्माण करायेगी. इसके अलावा मछलियों के गुणवत्तापूर्ण बीज के लिए 20 मत्स्य हैचरी, 1000 समुद्री पिंजरा की व्यवस्था की जाएगी. यह जानकारी केंद्रीय पशुपालन, मतस्य पालन एवं डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने दी.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा वहां पर 700 हेक्टेयर में खारा पानी का विकास होगा. साथ ही मछली पकड़ने के लिए 6 आधुनिक तटीय गांवों का विकास होगा.
वहीं फीश बैन/लीन सपोर्ट सिस्टम के तहत सालाना 40 हजार मछुआरों को सहायता पहुंचाई जाएगी. 21 मत्स्य सेवा केन्द्र, जलाशय में 300 पिंजरे बनाए जाने के साथ 25 बर्फ के कारखाने, दो मत्स्य पालन बैंकों की स्थापना होगी.
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उन्होंने कहा कि 250 समुद्री सिवार फार्मिंग व 100 मोती फार्मिंग की व्यवस्था होगी. मछली पालकों के लिए 200 नाव की व्यवस्था. नए मत्स्य बोट, जाल, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाला जहाज, मुख्य जहाजों के इंतेजाम किए जाएंगे. मत्स्यपालकों का दुर्घटना बीमा और मत्स्य जहाजों का भी बीमा होगा.
इतना ही नहीं मछलियों की मार्केटिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन के लिए साइकिल, मोटरसाइकिल, फिश वैन तथा ट्रकों की व्यवस्था की जाएगी. वहीं आधुनिक मछली मार्केट, जिंदा मछलियों के बाजार भी खोले जाएंगे.
बता दें कि, पूरे देशभर में मत्स्य संपदा योजना के तहत आगामी पांच वर्षों में केंद्र सरकार 20500 करोड़ रुपया खर्च करेगी. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की गई है. 55 लाख लोगों को इससे रोजगार मिलेगा.
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इस योजना के तहत आगामी पांच वर्षों में अतिरिक्त 70 लाख टन मछली का उत्पादन होगा. केज कल्चर, सी विड. फॉर्मिंग, नए फिशिंग वेसल्स गतिविधियों को इस योजना के तहत बढ़ावा दिया जाएगा.
समुद्री एवं अंतरदेशीय मत्स्य पालन का समावेशी विकास, मरीन, अंतर्देशीय मत्स्य पालन एवं एक्वाकल्चर गतिविधियों के लिए 11,000 करोड़ रुपया खर्च किए जाएंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर पर 9000 करोड़ रुपया खर्च होंगे, जिसमें फिशिंग हार्बर, कोल्ड चेन, मार्केट, व्यक्तिगत एवं नाव बीमा शामिल है.
केरल समुद्र से घिरा हुआ तटीय राज्य है जहां पर मत्स्य पालन से संबंधित केंद्र सरकार की यह आगामी कार्य योजना वहां के मछुआरों के लिए रोजगार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है.