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निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में GST काउंसिल की 45वीं बैठक - पेट्रोल डीजल

निर्मला सीतारमण ने GST काउंसिल की 45वीं बैठक की अध्यक्षता कर रही हैं. इस बैठक में दरों की समीक्षा, 11 कोविड दवाओं पर कर छूट पर होगा विचार किए जाने की उम्मीद है.

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Published : Sep 17, 2021, 12:01 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 1:33 PM IST

लखनऊ : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में GST परिषद (GST Council) की 45वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कर की दर की समीक्षा की जा सकती है और 11 कोविड दवाओं पर कर छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है.

जीएसटी परिषद की 17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली बैठक के दौरान एकल राष्ट्रीय जीएसटी कर के तहत पेट्रोल और डीजल पर कर लगाने और जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार किए जाने की उम्मीद है.

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निर्मला सीतारमण ने GST काउंसिल की 45वीं बैठक की अध्यक्षता की

देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.

आज देश का शायद ही कोई ऐसा शहर होगा जहां पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक ना हो गए हों. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार का टैक्स और हर लीटर का भाड़ा और डीलर की कमीशन शामिल होता है. ये सब हिस्सा मिलाकर ही आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 100 रुपये से अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.

मौजूदा वक्त में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल है. एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है. इस वक्त एक डॉलर की कीमत लगभग 74 रुपये है. इस हिसाब से देखें तो एक बैरल कच्चा तेल सरकार को 5550 रुपये का पड़ता है और एक लीटर कच्चे तेल की कीमत करीब 35 रुपये पड़ती है.

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इस कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल और डीजल नहीं मिलता, रिफाइनरी में इस कच्चे तेल से ब्यूटेन, प्रोपेन, नैफ्था, ग्रीस, मोटर ऑयल, पेट्रोलियम जैली जैसे कई उत्पाद भी मिलते हैं. अब आप सोचिये की सिर्फ 35 रुपये के कच्चे तेल की ढुलाई आदि, केंद्र सरकार का टैक्स, राज्य सरकार का वैट और डीलर का कमीशन जोड़कर आप तक 100 रुपये में पहुंच रहा है.

GST यानि वस्तु एवं सेवा कर (goods and services tax) के दायरे कई उत्पाद और सेवाएं हैं. जिनपर एक निर्धारित दर से टैक्स लगता है. इस वक्त जीएसटी की चार स्लैब मौजूद हैं जिनके तहत 5%, 12%, 18% और 28% की दर से टैक्स लगाया जाता है. जो वस्तु या सेवा जिस स्लैब के तहत आती है उसपर देशभर में तय टैक्स लगता है और फिर GST में राज्य और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी तय होती है.

आज की बैठक से क्या निष्कर्ष निकल कर सामने आता है, इस पर सबकी निगाहे टिकी हुई हैं.

पढ़ें : जीएसटी परिषद की बैठक आज, इन मसलों पर फैसले की उम्मीद

बता दें कि, केरल उच्च न्यायालय ने जून में एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर फैसला करने को कहा था. सूत्रों ने कहा कि न्यायालय ने परिषद को ऐसा करने को कहा है. ऐसे में इसपर परिषद की बैठक में विचार हो सकता है.

देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी. जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था. लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया. इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है.

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लखनऊ : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में GST परिषद (GST Council) की 45वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कर की दर की समीक्षा की जा सकती है और 11 कोविड दवाओं पर कर छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है.

जीएसटी परिषद की 17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली बैठक के दौरान एकल राष्ट्रीय जीएसटी कर के तहत पेट्रोल और डीजल पर कर लगाने और जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार किए जाने की उम्मीद है.

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निर्मला सीतारमण ने GST काउंसिल की 45वीं बैठक की अध्यक्षता की

देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.

आज देश का शायद ही कोई ऐसा शहर होगा जहां पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक ना हो गए हों. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार का टैक्स और हर लीटर का भाड़ा और डीलर की कमीशन शामिल होता है. ये सब हिस्सा मिलाकर ही आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 100 रुपये से अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.

मौजूदा वक्त में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल है. एक बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है. इस वक्त एक डॉलर की कीमत लगभग 74 रुपये है. इस हिसाब से देखें तो एक बैरल कच्चा तेल सरकार को 5550 रुपये का पड़ता है और एक लीटर कच्चे तेल की कीमत करीब 35 रुपये पड़ती है.

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि इस कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल और डीजल नहीं मिलता, रिफाइनरी में इस कच्चे तेल से ब्यूटेन, प्रोपेन, नैफ्था, ग्रीस, मोटर ऑयल, पेट्रोलियम जैली जैसे कई उत्पाद भी मिलते हैं. अब आप सोचिये की सिर्फ 35 रुपये के कच्चे तेल की ढुलाई आदि, केंद्र सरकार का टैक्स, राज्य सरकार का वैट और डीलर का कमीशन जोड़कर आप तक 100 रुपये में पहुंच रहा है.

GST यानि वस्तु एवं सेवा कर (goods and services tax) के दायरे कई उत्पाद और सेवाएं हैं. जिनपर एक निर्धारित दर से टैक्स लगता है. इस वक्त जीएसटी की चार स्लैब मौजूद हैं जिनके तहत 5%, 12%, 18% और 28% की दर से टैक्स लगाया जाता है. जो वस्तु या सेवा जिस स्लैब के तहत आती है उसपर देशभर में तय टैक्स लगता है और फिर GST में राज्य और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी तय होती है.

आज की बैठक से क्या निष्कर्ष निकल कर सामने आता है, इस पर सबकी निगाहे टिकी हुई हैं.

पढ़ें : जीएसटी परिषद की बैठक आज, इन मसलों पर फैसले की उम्मीद

बता दें कि, केरल उच्च न्यायालय ने जून में एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर फैसला करने को कहा था. सूत्रों ने कहा कि न्यायालय ने परिषद को ऐसा करने को कहा है. ऐसे में इसपर परिषद की बैठक में विचार हो सकता है.

देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी. जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था. लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया. इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है.

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Last Updated : Sep 17, 2021, 1:33 PM IST
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