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खुशखबरी! रेलवे कर्मचारियों को मिलेगा 78 दिन का बोनस - रेलवे कर्मचारियों को मिलेगा बोनस

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को इस वर्ष भी 78 दिन का बोनस दिया जाएगा. मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि ROSCTL के लिए योजना 2019 में लॉन्च हुई थी, जिसे 2024 तक बढ़ा दिया गया है.

अनुराग ठाकुर
अनुराग ठाकुर
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Published : Oct 6, 2021, 3:48 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 7:17 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को इस वर्ष भी 78 दिन का बोनस दिया जाएगा. उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,'आज कैबिनेट बैठक में दो विभागों को लेकर निर्णय हुए. वर्षों से प्रोडक्टिविटी लिंक बोनस रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को मिलता है. कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि इस वर्ष भी 78 दिन का बोनस रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को दिया जाएगा.'

उन्होंने बताया,रेल कर्मचारियों को 2020-21 के लिए 78 दिन के उत्पादकता आधारित बोनस के भुगतान का वित्तीय भार 1984.73 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस फैसले से रेलवे के 11.56 लाख गैर-राजपत्रित कर्मियों को लाभ होगा.

सरकारी बयान में कहा गया है कि इनमें आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मी शामिल नहीं होंगे. इसमें कहा गया है कि पात्र गैर- राजपत्रित रेल कर्मचारियों को पीएलबी के भुगतान के लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा 7,000 रुपये प्रतिमाह है. प्रति पात्र रेल कर्मचारी के लिए 78 दिन की अधिकतम देय राशि 17,951 रुपये है.

बयान के अनुसार, पात्र रेल कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान प्रत्येक वर्ष दशहरा/पूजा की छुट्टियों से पहले किया जाता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस निर्णय को इस साल की छुट्टियों से पहले ही लागू किया जाएगा.

अनुराग ठाकुर का बयान

बयान में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2010-11 से 2019-20 के लिए 78 दिन के वेतन की उत्पादकता आधारित बोनस की राशि का भुगतान किया गया. वर्ष 2020-21 के लिए भी 78 दिन के वेतन के बराबर पीएलबी राशि का भुगतान किया जाएगा, जिससे कर्मचारी रेलवे के कार्य निष्पादन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित होंगे.'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम मित्र योजना लॉन्च होगी जो टेक्सटाइल और गारमेंट के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान देगी. इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. इसमें पांच वर्षों में 4445 करोड़ रुपये का व्यय होगा. इसके तहत सात मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजनल एंड अपैरल(MITRA) पार्क तैयार होंगे.

वहीं मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि ROSCTL के लिए योजना 2019 में लॉन्च हुई थी, जिसे 2024 तक बढ़ा दिया गया है. इससे टेक्सटाइल क्षेत्र में निर्यात को लेकर काफी उत्साह है.

गोयल ने आगे कहा कि पीएम मित्र योजना से लगभग सात लाख लोगों की सीधे तौर पर रोजगार मिले और 14 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिले, ऐसी हमारी कल्पना है. 10 राज्यों ने अभी तक इस योजना के लिए दिलचस्पी दिखाई है.

पीयूष गोयल का बयान

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच वर्षों में 4,445 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शाम सात बजे मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा) पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी है. यह कदम पीएम मोदी के 5F विजन- फार्म से फाइबर तक, फैक्ट्री से फैशन, और फॉरेन तक से प्रेरित है.

पीएम मित्र योजना के रूप में जानी जाने वाली इस योजना का उद्देश्य कपड़ा क्षेत्र में एक एकीकृत मूल्य श्रृंखला बनाना है, जिसमें एक ही स्थान पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण और रंगाई, छपाई और परिधान निर्माण जैसी कई प्रक्रियाएं शामिल हैं.

पढ़ें - संजय राउत का सवाल, किसानों पर गाड़ियां चढ़ाने से भंग नहीं होती शांति?

कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि तकनीकी वस्त्र और मानव निर्मित फाइबर के क्षेत्र में भारत जैसे देश के लिए अपार संभावनाएं हैं, जो वैश्विक मांग का बड़ा हिस्सा हैं.

राज्यों द्वारा लागू की जाने वाली यह योजना ग्रीनफील्ड पार्कों के लिए 500 करोड़ रुपये की पूंजी विकास सहायता प्रदान करेगी, जबकि मौजूदा संयंत्रों के विस्तार के लिए केंद्र 200 करोड़ रुपये की पूंजी विकास सहायता प्रदान करेगा, जिसे गैप फंडिंग व्यवहार्यता के रूप में दिया जाएगा.

इन पार्कों को केंद्र और राज्यों द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में विकसित किया जाएगा और मास्टर डेवलपर को पांच साल तक औद्योगिक पार्क का रखरखाव करना होगा.

टेक्सटाइल पार्कों के लिए दस राज्यों ने जताई दिलचस्पी

गोयल ने कहा कि दस राज्यों, तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना ने पहले ही इस योजना में रुचि दिखाई है और विजेताओं का चयन प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा.

ये सात मेगा टेक्सटाइल पार्क सरकार द्वारा पहले से स्वीकृत 66 टेक्सटाइल पार्कों के अतिरिक्त होंगे, जिनमें से लगभग 56 पार्क पहले से ही पूरी तरह या आंशिक रूप से कार्य कर रहे हैं.

इस संबंध में कपड़ा सचिव उपेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि मौजूदा टेक्सटाइल पार्क छोटे हैं, जिनका क्षेत्रफल 25-40 एकड़ या उससे थोड़ा अधिक है। ये 7 मेगा पार्क बहुत बड़े हैं और राज्यों को न्यूनतम 1,000 एकड़ जमीन की व्यवस्था करनी होगी.

सिंह ने कहा कि आज के कैबिनेट के फैसले के बाद, केंद्र दिशानिर्देश जारी करेगा और इन पार्कों पर काम अगले साल मार्च-अप्रैल तक शुरू होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पहला पार्क 2025-26 तक चालू हो सकता है. यह पहले भी किया जा सकता है.

मेगा टेक्सटाइल पार्क

इन एकीकृत टेक्सटाइल पार्कों का उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए खेत से फाइबर, फाइबर से फैक्टरी, फ़ैक्टरी से फैशन, फैशन से लेकर विदेशी तक संपूर्ण कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना है, जो भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में अप्रतिस्पर्धी बनाता है.

इन मेगा टेक्सटाइल पार्कों में इन्क्यूबेशन सेंटर, प्लग एंड प्ले सुविधाएं, विकसित फैक्ट्री साइट, सड़क, बिजली, पानी और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली होगी. इसमें निर्यात प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सामान्य प्रसंस्करण केंद्र, अन्य संबंधित सुविधाएं जैसे डिजाइन और परीक्षण केंद्र और अन्य सहायक बुनियादी ढांचे जैसे कि श्रमिक छात्रावास, आवास, भंडारण, चिकित्सा और कौशल प्रशिक्षण सुविधाएं भी होंगी. जबकि आधा क्षेत्र शुद्ध निर्माण गतिविधियों के लिए आरक्षित होगा, 20% क्षेत्र उपयोगिताओं के लिए आरक्षित होगा और 10% भूमि वाणिज्यिक विकास के लिए अलग रखी जाएगी.

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को इस वर्ष भी 78 दिन का बोनस दिया जाएगा. उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,'आज कैबिनेट बैठक में दो विभागों को लेकर निर्णय हुए. वर्षों से प्रोडक्टिविटी लिंक बोनस रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को मिलता है. कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि इस वर्ष भी 78 दिन का बोनस रेलवे के नॉन गजेटेड कर्मचारियों को दिया जाएगा.'

उन्होंने बताया,रेल कर्मचारियों को 2020-21 के लिए 78 दिन के उत्पादकता आधारित बोनस के भुगतान का वित्तीय भार 1984.73 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस फैसले से रेलवे के 11.56 लाख गैर-राजपत्रित कर्मियों को लाभ होगा.

सरकारी बयान में कहा गया है कि इनमें आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मी शामिल नहीं होंगे. इसमें कहा गया है कि पात्र गैर- राजपत्रित रेल कर्मचारियों को पीएलबी के भुगतान के लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा 7,000 रुपये प्रतिमाह है. प्रति पात्र रेल कर्मचारी के लिए 78 दिन की अधिकतम देय राशि 17,951 रुपये है.

बयान के अनुसार, पात्र रेल कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान प्रत्येक वर्ष दशहरा/पूजा की छुट्टियों से पहले किया जाता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस निर्णय को इस साल की छुट्टियों से पहले ही लागू किया जाएगा.

अनुराग ठाकुर का बयान

बयान में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2010-11 से 2019-20 के लिए 78 दिन के वेतन की उत्पादकता आधारित बोनस की राशि का भुगतान किया गया. वर्ष 2020-21 के लिए भी 78 दिन के वेतन के बराबर पीएलबी राशि का भुगतान किया जाएगा, जिससे कर्मचारी रेलवे के कार्य निष्पादन में सुधार की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित होंगे.'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम मित्र योजना लॉन्च होगी जो टेक्सटाइल और गारमेंट के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान देगी. इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. इसमें पांच वर्षों में 4445 करोड़ रुपये का व्यय होगा. इसके तहत सात मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजनल एंड अपैरल(MITRA) पार्क तैयार होंगे.

वहीं मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि ROSCTL के लिए योजना 2019 में लॉन्च हुई थी, जिसे 2024 तक बढ़ा दिया गया है. इससे टेक्सटाइल क्षेत्र में निर्यात को लेकर काफी उत्साह है.

गोयल ने आगे कहा कि पीएम मित्र योजना से लगभग सात लाख लोगों की सीधे तौर पर रोजगार मिले और 14 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिले, ऐसी हमारी कल्पना है. 10 राज्यों ने अभी तक इस योजना के लिए दिलचस्पी दिखाई है.

पीयूष गोयल का बयान

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच वर्षों में 4,445 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शाम सात बजे मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा) पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी है. यह कदम पीएम मोदी के 5F विजन- फार्म से फाइबर तक, फैक्ट्री से फैशन, और फॉरेन तक से प्रेरित है.

पीएम मित्र योजना के रूप में जानी जाने वाली इस योजना का उद्देश्य कपड़ा क्षेत्र में एक एकीकृत मूल्य श्रृंखला बनाना है, जिसमें एक ही स्थान पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण और रंगाई, छपाई और परिधान निर्माण जैसी कई प्रक्रियाएं शामिल हैं.

पढ़ें - संजय राउत का सवाल, किसानों पर गाड़ियां चढ़ाने से भंग नहीं होती शांति?

कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि तकनीकी वस्त्र और मानव निर्मित फाइबर के क्षेत्र में भारत जैसे देश के लिए अपार संभावनाएं हैं, जो वैश्विक मांग का बड़ा हिस्सा हैं.

राज्यों द्वारा लागू की जाने वाली यह योजना ग्रीनफील्ड पार्कों के लिए 500 करोड़ रुपये की पूंजी विकास सहायता प्रदान करेगी, जबकि मौजूदा संयंत्रों के विस्तार के लिए केंद्र 200 करोड़ रुपये की पूंजी विकास सहायता प्रदान करेगा, जिसे गैप फंडिंग व्यवहार्यता के रूप में दिया जाएगा.

इन पार्कों को केंद्र और राज्यों द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में विकसित किया जाएगा और मास्टर डेवलपर को पांच साल तक औद्योगिक पार्क का रखरखाव करना होगा.

टेक्सटाइल पार्कों के लिए दस राज्यों ने जताई दिलचस्पी

गोयल ने कहा कि दस राज्यों, तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, असम, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना ने पहले ही इस योजना में रुचि दिखाई है और विजेताओं का चयन प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा.

ये सात मेगा टेक्सटाइल पार्क सरकार द्वारा पहले से स्वीकृत 66 टेक्सटाइल पार्कों के अतिरिक्त होंगे, जिनमें से लगभग 56 पार्क पहले से ही पूरी तरह या आंशिक रूप से कार्य कर रहे हैं.

इस संबंध में कपड़ा सचिव उपेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि मौजूदा टेक्सटाइल पार्क छोटे हैं, जिनका क्षेत्रफल 25-40 एकड़ या उससे थोड़ा अधिक है। ये 7 मेगा पार्क बहुत बड़े हैं और राज्यों को न्यूनतम 1,000 एकड़ जमीन की व्यवस्था करनी होगी.

सिंह ने कहा कि आज के कैबिनेट के फैसले के बाद, केंद्र दिशानिर्देश जारी करेगा और इन पार्कों पर काम अगले साल मार्च-अप्रैल तक शुरू होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पहला पार्क 2025-26 तक चालू हो सकता है. यह पहले भी किया जा सकता है.

मेगा टेक्सटाइल पार्क

इन एकीकृत टेक्सटाइल पार्कों का उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए खेत से फाइबर, फाइबर से फैक्टरी, फ़ैक्टरी से फैशन, फैशन से लेकर विदेशी तक संपूर्ण कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना है, जो भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में अप्रतिस्पर्धी बनाता है.

इन मेगा टेक्सटाइल पार्कों में इन्क्यूबेशन सेंटर, प्लग एंड प्ले सुविधाएं, विकसित फैक्ट्री साइट, सड़क, बिजली, पानी और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली होगी. इसमें निर्यात प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सामान्य प्रसंस्करण केंद्र, अन्य संबंधित सुविधाएं जैसे डिजाइन और परीक्षण केंद्र और अन्य सहायक बुनियादी ढांचे जैसे कि श्रमिक छात्रावास, आवास, भंडारण, चिकित्सा और कौशल प्रशिक्षण सुविधाएं भी होंगी. जबकि आधा क्षेत्र शुद्ध निर्माण गतिविधियों के लिए आरक्षित होगा, 20% क्षेत्र उपयोगिताओं के लिए आरक्षित होगा और 10% भूमि वाणिज्यिक विकास के लिए अलग रखी जाएगी.

Last Updated : Oct 6, 2021, 7:17 PM IST
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