नई दिल्ली : विधि आयोग ने बुधवार को कहा कि उसने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की जरूरत पर नए सिरे से गौर करने का फैसला किया है और लोगों एवं मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित किए हैं. इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने मुद्दे की पड़ताल की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा, समान नागरिक संहिता पर दो मौकों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे. उसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था. इसके बाद, 'परिवार कानून में सुधारों’ पर 2018 में एक परामर्श पत्र जारी किया गया.'
आयोग ने एक बयान में कहा, 'उक्त परामर्श पत्र को जारी करने की तिथि से तीन वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद, विषय की प्रासंगिकता एवं महत्व और इसपर विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए 22वें विधि आयोग ने मुद्दे पर नये सिरे से चर्चा करने का फैसला किया है.' उल्लेखनीय है कि 22वें विधि आयोग को हाल में तीन साल का कार्य विस्तार दिया गया है. इसने कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा एक पत्र भेजे जाने के बाद समान नागरिक संहिता से जुड़े विषयों की पड़ताल शुरू कर दी है.
बयान में कहा गया, 'इसी के मुताबिक, 22वें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर व्यापक स्तर पर लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है.' इसमें रुचि रखने वाले इच्छुक लोग व संगठन नोटिस जारी होने की तारीख की 30 दिन की अवधि के अंदर विधि आयोग को अपने विचार दे सकते हैं.
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(पीटीआई-भाषा)