देहरादूनः उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए गठित कमेटी का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया जा सकता है. यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी ने करीबन ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. जिसे जल्द ही सरकार को सौंप देगी, लेकिन उससे पहले 27 सितंबर की कमेटी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जिसके चलते संभावनाएं जताई जा रही है कि विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है.
वहीं, विशेषज्ञ समिति ने शासन को इस बाबत प्रस्ताव भेजा है कि कार्यकाल को विस्तार दिया जाए. ताकि, ड्राफ्ट के बचे हुए कुछ काम पूरा करते हुए सरकार को सौंप सकें. बता दें कि समिति ने लाखों लोगों के सुझाव लेने के बाद ड्राफ्ट को तैयार किया है. जिसकी प्रूफ रीडिंग की जा चुकी है, लेकिन अभी तक यूसीसी के ड्राफ्ट, सरकार को सौंपा नहीं गया है. इसी बीच कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव भी समिति ने भेज दिया है. ऐसे में अगर कार्यकाल को विस्तार दिया जाता है तो यह तीसरी बार होगा. क्योंकि, पहले भी दो बार कार्यकाल को बढ़ाया जा चुका है.
गौर हो कि साल 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद गठित धामी सरकार में पहली कैबिनेट में ही यूसीसी के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया था. जिसके बाद 27 मई 2022 को सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. हालांकि, उस दौरान 6 महीने में ड्राफ्ट तैयार करने की समय सीमा तय की गई थी, लेकिन ड्राफ्ट का काम पूरा न होने के चलते समिति के कार्यकाल को अगले 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया.
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वहीं, 27 मई 2023 को समिति का कार्यकाल समाप्त होने तक ड्राफ्ट का काम पूरा नहीं हो पाया. जिसके चलते सरकार में समिति के कार्यकाल को दूसरी बार चार महीने के लिए बढ़ा दिया. हालांकि, उम्मीद की जा रही थी कि 27 सितंबर तक समिति यूसीसी ड्राफ्ट सरकार को सौंप देगी, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हो सका है. ऐसे में कार्यकाल समाप्त होने से पहले विशेषज्ञ ने 4 महीने के लिए कार्यकाल के विस्तार का प्रस्ताव भेजा गया है. लिहाजा, संभावना है कि एक बार फिर समिति के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है.
क्या है समान नागरिक संहिता? समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) एक तरह का कानून है. जिसके तहत हर नागरिक के लिए समान कानून रहेगा. चाहे वो किसी भी धर्म, संप्रदाय या जाति का हो, सभी पर एक ही तरह का कानून लागू होगा. आसान शब्दों में शादी, तलाक और जमीन जायदाद आदि के बंटवारे से जुड़े मामलों में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. इतना ही नहीं यह पूरी तरह से एक निष्पक्ष कानून होगा, जिसका किसी धर्म और जाति या संप्रदाय से ताल्लुक नहीं होगा.