नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की प्रमुख मिशेल बाचेलेत ने शुक्रवार को कहा कि भारत में सैकड़ों किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन कानून और नीतियों को सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं, जो संबंधित लोगों के साथ सार्थक परामर्श पर आधारित हैं.
जिनेवा में मानवाधिकार के मुद्दों पर चल रहे यूएनएचआरसी के 46वें सत्र में मिशेल ने किसान आंदोलन के संबंध में टिप्पणी की और कहा कि विरोध प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग या टिप्पणी करने के लिए पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ राजद्रोह के आरोप विचलित कर रहे हैं और आवश्यक मानवाधिकार सिद्धांतों के खिलाफ हैं.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और किसान नेताओं के बीच चल रहे संवाद प्रयासों से ही इस गतिरोध का उचित समाधान होगा, जो सभी के अधिकारों का सम्मान करेगा.
गौरतलब है कि पिछले साल 26 नवंबर के बाद से, किसान तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सांसदों, राजनीतिक नेताओं ने किसान आंदोलन का समर्थन दिया है और गतिरोध से निपटने के सरकार के तरीकों की आलोचना की है.
साथ ही यूएनएचआरसी प्रमुख ने कहा कि मानवाधिकार परिषद कश्मीर में स्थिति की निगरानी करना जारी रखेगी, जहां संचार पर प्रतिबंध, और सिविल सोसाइटी एक्टिविस्ट पर प्रतिबंध चिंता का विषय है.
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उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन के लिए 4जी पहुंच की हाल ही में बहाली के बावजूद, संचार नाकाबंदी ने नागरिक भागीदारी, साथ ही व्यापार, आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा जानकारी तक पहुंच में गंभीर बाधा उत्पन्न की है.
मिशेल बाचेलेत ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में मानवाधिकार रक्षकों के खिलाफ छापे नागरिकों पर प्रतिबंधों का उदाहरण पेश करते हैं और कश्मीर के लोगों के अधिकारों पर प्रभाव डालते हैं.