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अस्वस्थ जीवनशैली महिलाओं के लिए बन रही पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का कारण: विशेषज्ञ - polycystic ovary syndrome for women

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम पर ई3 विषय पर श्रीनगर में सेमिनार में डॉक्टरों ने कहा कि उम्र बढ़ने के साथ यह अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी कारण बनता है. पढ़ें ईटीवी भारत के परवेद उद दीन की रिपोर्ट...

diabetes in women
महिलाओं में मधुमेह
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 6, 2023, 7:30 PM IST

श्रीनगर: कश्मीर में डॉक्टरों ने पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के बढ़ते मामलों को दो प्रमुख कारकों-आनुवंशिक कारणों और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को जिम्मेदार ठहराया गया है. पीसीओएस सोसाइटी इंडिया ने किशोरियों में पाई जाने वाली बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जिसे पीसीओएस भी कहा जाता है, पर ई3 विषय पर श्रीनगर में एक सेमिनार का आयोजन किया.

इस सेमिनार में घाटी ही नहीं, कश्मीर और देश के अन्य राज्यों के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भी हिस्सा लिया. इस एक दिवसीय सेमिनार में सोसायटी के संयोजक डॉ. सबाहत रसूल ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. डोरो शाह ने अध्यक्षीय भाषण दिया.

महिलाओं की बीमारियों के लिए एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, त्वचा विशेषज्ञ आदि के समन्वय को प्रोत्साहित किया गया और इस बीमारी के दो प्रमुख कारणों आनुवंशिकी और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली पर भी प्रकाश डाला गया. विशेषज्ञों ने कहा कि प्रतिभागियों ने महिलाओं में पीसीओएस के प्रसार के कारणों और इस बीमारी के समय पर निदान पर चर्चा की. सेमिनार में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और पीसीओएस पर जागरूकता फैलाने पर जोर दिया.

विशेषज्ञों के अनुसार, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं होती हैं. रक्त वाहिकाओं की अनियमितता से शुरू होकर बांझपन, उम्र बढ़ने के साथ यह अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी कारण बनता है. विशेषज्ञों के अनुसार, कई महिलाओं को पीसीओएस होता है. लेकिन उन्हें पता नहीं चलता.

इसकी पहचान केवल अल्ट्रासाउंड के जरिए नहीं की जा सकती है. अन्य लक्षणों के अलावा, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में बालों का पतला होना, मुंहासे, चेहरे और शरीर पर कठोर और अनावश्यक बाल भी होते हैं. पीसीओएस सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. डोरो शाह ने कहा कि हालांकि यह बीमारी नई नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव के कारण यह महिलाओं में आम होती जा रही है.

देश के बाकी हिस्सों की तरह, कश्मीर घाटी में भी महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं और अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना 15 से 20 मरीज देखे जाते हैं. पीसीओएस सोसाइटी इंडिया के संयोजक डॉ. सबाहत रसूल ने कहा कि इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण कई महिलाएं इलाज के बिना रह जाती हैं, यहां तक कि कई महिलाएं उचित इलाज के अभाव में मर भी जाती हैं.

उन्होंने कहा कि इस बीमारी का पूरा इलाज अभी तक संभव नहीं हो सका है. हालांकि, SKIMS सौरा के पूर्व निदेशक, डॉ. सबाहत ने कहा कि सावधानी बरतने और जीवनशैली में बदलाव करके इस बीमारी से बचा जा सकता है. कार्यक्रम में डॉ. अब्दुल हमीद जरगर, घाटी के जाने-माने एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. मुहम्मद हयात और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मासूमा रिज़वी व डॉ. फरहा नबी मौजूद रहीं.

श्रीनगर: कश्मीर में डॉक्टरों ने पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के बढ़ते मामलों को दो प्रमुख कारकों-आनुवंशिक कारणों और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को जिम्मेदार ठहराया गया है. पीसीओएस सोसाइटी इंडिया ने किशोरियों में पाई जाने वाली बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जिसे पीसीओएस भी कहा जाता है, पर ई3 विषय पर श्रीनगर में एक सेमिनार का आयोजन किया.

इस सेमिनार में घाटी ही नहीं, कश्मीर और देश के अन्य राज्यों के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भी हिस्सा लिया. इस एक दिवसीय सेमिनार में सोसायटी के संयोजक डॉ. सबाहत रसूल ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. डोरो शाह ने अध्यक्षीय भाषण दिया.

महिलाओं की बीमारियों के लिए एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, त्वचा विशेषज्ञ आदि के समन्वय को प्रोत्साहित किया गया और इस बीमारी के दो प्रमुख कारणों आनुवंशिकी और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली पर भी प्रकाश डाला गया. विशेषज्ञों ने कहा कि प्रतिभागियों ने महिलाओं में पीसीओएस के प्रसार के कारणों और इस बीमारी के समय पर निदान पर चर्चा की. सेमिनार में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और पीसीओएस पर जागरूकता फैलाने पर जोर दिया.

विशेषज्ञों के अनुसार, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं होती हैं. रक्त वाहिकाओं की अनियमितता से शुरू होकर बांझपन, उम्र बढ़ने के साथ यह अन्य बीमारियों जैसे मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी कारण बनता है. विशेषज्ञों के अनुसार, कई महिलाओं को पीसीओएस होता है. लेकिन उन्हें पता नहीं चलता.

इसकी पहचान केवल अल्ट्रासाउंड के जरिए नहीं की जा सकती है. अन्य लक्षणों के अलावा, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में बालों का पतला होना, मुंहासे, चेहरे और शरीर पर कठोर और अनावश्यक बाल भी होते हैं. पीसीओएस सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. डोरो शाह ने कहा कि हालांकि यह बीमारी नई नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव के कारण यह महिलाओं में आम होती जा रही है.

देश के बाकी हिस्सों की तरह, कश्मीर घाटी में भी महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं और अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना 15 से 20 मरीज देखे जाते हैं. पीसीओएस सोसाइटी इंडिया के संयोजक डॉ. सबाहत रसूल ने कहा कि इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण कई महिलाएं इलाज के बिना रह जाती हैं, यहां तक कि कई महिलाएं उचित इलाज के अभाव में मर भी जाती हैं.

उन्होंने कहा कि इस बीमारी का पूरा इलाज अभी तक संभव नहीं हो सका है. हालांकि, SKIMS सौरा के पूर्व निदेशक, डॉ. सबाहत ने कहा कि सावधानी बरतने और जीवनशैली में बदलाव करके इस बीमारी से बचा जा सकता है. कार्यक्रम में डॉ. अब्दुल हमीद जरगर, घाटी के जाने-माने एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. मुहम्मद हयात और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मासूमा रिज़वी व डॉ. फरहा नबी मौजूद रहीं.

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