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आरसीईपी में भारत के शामिल नहीं होने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण : आनंद शर्मा

क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में भारत के शामिल नहीं होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने निशाना साधा. उन्होंने सरकार के फैसले को दुर्भाग्यूपर्ण बताया.

आनंद शर्मा
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Published : Nov 17, 2020, 11:02 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा कि 'क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी' (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का सरकार का फैसला दुर्भाग्यूपर्ण है, क्योंकि यह प्रक्रिया भारत के सामरिक एवं आर्थिक हित में है.

शर्मा ने ट्वीट किया कि आरसीईपी में शामिल नहीं होने का भारत का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है. इस एशिया-प्रशांत एकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बनना भारत के सामरिक एवं आर्थिक हित में है.

उन्होंने कहा कि इससे पीछे हटने से उस बातचीत पर पानी फिर गया है जो भारत को आरसेप का हिस्सा बनाने के लिए की गई थी. हम अपने हितों के लिए सुरक्षा कवच सुनिश्चित करने के बारे में बातचीत कर सकते थे. आरसीईपी से दूर रहना एक प्रतिगामी कदम है.

दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि जब तक कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर विचार नहीं रखेगी, तब तक मैं अपना अंतिम दृष्टिकोण सामने नहीं रखूंगा. उन्होंने कहा आरसीईपी में भारत के शामिल होने के पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलें हैं, लेकिन यह बहस संसद में या लोगों के बीच या विपक्षी दलों को शामिल करके कभी नहीं हुई. यह लोकतंत्र में केंद्रीयकृत निर्णय लेने का एक अस्वीकार्य और बुरा उदाहरण है.

आरसीईपी में शामिल होने का किया था विरोध

करीब एक साल पहले कांग्रेस ने आरसीईपी में भारत के शामिल होने संबंधी किसी भी कदम का पुरजोर विरोध किया था. बाद में सरकार ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया था. इस पर कांग्रेस ने दावा किया था कि उसके शीर्ष नेताओं के दबाव में सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े.

पढ़ें-क्या है आरसीईपी, भारत क्यों नहीं हुआ इसमें शामिल

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा कि 'क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी' (आरसीईपी) में शामिल नहीं होने का सरकार का फैसला दुर्भाग्यूपर्ण है, क्योंकि यह प्रक्रिया भारत के सामरिक एवं आर्थिक हित में है.

शर्मा ने ट्वीट किया कि आरसीईपी में शामिल नहीं होने का भारत का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है. इस एशिया-प्रशांत एकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बनना भारत के सामरिक एवं आर्थिक हित में है.

उन्होंने कहा कि इससे पीछे हटने से उस बातचीत पर पानी फिर गया है जो भारत को आरसेप का हिस्सा बनाने के लिए की गई थी. हम अपने हितों के लिए सुरक्षा कवच सुनिश्चित करने के बारे में बातचीत कर सकते थे. आरसीईपी से दूर रहना एक प्रतिगामी कदम है.

दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि जब तक कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर विचार नहीं रखेगी, तब तक मैं अपना अंतिम दृष्टिकोण सामने नहीं रखूंगा. उन्होंने कहा आरसीईपी में भारत के शामिल होने के पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलें हैं, लेकिन यह बहस संसद में या लोगों के बीच या विपक्षी दलों को शामिल करके कभी नहीं हुई. यह लोकतंत्र में केंद्रीयकृत निर्णय लेने का एक अस्वीकार्य और बुरा उदाहरण है.

आरसीईपी में शामिल होने का किया था विरोध

करीब एक साल पहले कांग्रेस ने आरसीईपी में भारत के शामिल होने संबंधी किसी भी कदम का पुरजोर विरोध किया था. बाद में सरकार ने इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया था. इस पर कांग्रेस ने दावा किया था कि उसके शीर्ष नेताओं के दबाव में सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े.

पढ़ें-क्या है आरसीईपी, भारत क्यों नहीं हुआ इसमें शामिल

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