जम्मू/राजौरी : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि 5 अगस्त, 2019 के बाद जो बदलाव आया है, उसने तबाही,अशांति, अनिश्चितता और अशांति पैदा की है जिसके आधार पर न तो जम्मू-कश्मीर एक राज्य बना रहा न तो यहां के लोगों का विकास संभव हो पा रहा है. अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में एक के बाद एक लगातार हत्याएं हो रही हैं. अब्दुल्ला ने लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध के मद्देनजर लोगों की भावनाओं का सम्मान करने की भी अपील की और कहा कि लाउडस्पीकर से होने वाले शोर की समस्या को हल करने के लिए बीच का रास्ता खोजने की जरूरत है.
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग मौजूदा प्रशासन से पूरी तरह से ऊब चुके हैं और अपनी पसंद की सरकार बनाने के लिए जल्द चुनाव चाहते हैं. उमर ने कहा कि हालांकि, चुनावों के बारे में निर्णय भारत के चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्णय हमारे द्वारा नहीं लिया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का फैसला चुनाव आयोग द्वारा किया जाएगा. वे कब चुनाव करेंगे, किस परिस्थिति में और कैसे, यह निर्णय भारत के चुनाव आयोग द्वारा किया जाना है.'
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं कहूंगा कि जम्मू-कश्मीर के लोग चाहते हैं कि चुनाव जल्द से जल्द हो जाएं. वे मौजूदा प्रशासन से तंग आ चुके हैं. वे चिंतित हैं. उनकी कोई नहीं सुन रहा है.' उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला की उस टिप्पणी का समर्थन किया कि 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म ने घाटी में नफरत फैलाई है. उमर ने यह भी दावा किया कि कुछ कश्मीरी पंडितों ने उन्हें बताया है कि फिल्म ने समुदाय की घाटी में वापसी में एक बड़ी बाधा उत्पन्न की है.
उमर ने अपने पिता की टिप्पणी के बारे में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजौरी में संवाददाताओं से कहा, 'डॉ. फारूक साहब ने कुछ गलत नहीं कहा है. उन्होंने सही बात कही है. आज लोग सच बोलने से डरते हैं.'
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