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Umesh Pal अपहरण केस में अतीक सहित 3 को आजीवन कारावास, फैसले के बाद फूट-फूटकर राेया माफिया

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Published : Mar 28, 2023, 7:08 AM IST

Updated : Mar 28, 2023, 6:00 PM IST

प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में उमेश पाल अपहरण केस में फैसला आ चुका है. कोर्ट ने अतीक समेत 3 काे दोषी करार दिया है, जबकि अशरफ समेत 7 को दोषमुक्त कर दिया गया है. कोर्ट ने अतीक सहित तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

उमेश पाल अपहरण केस में आज अतीक और अशरफ की पेशी होनी है.
उमेश पाल अपहरण केस में आज अतीक और अशरफ की पेशी होनी है.
Umesh Pal अपहरण केस में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है.

प्रयागराज : उमेश पाल अपहरण केस में फैसला आ चुका है. माफिया अतीक अहमद, उसके करीबी शौकत हनीफ और दिनेश पासी को जिला न्यायालय की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ला ने दोषी करार दिया है. तीनों काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जबकि अशरफ समेत 7 दोषमुक्त करार दिए गए हैं. अदालत ने आईपीसी की धारा 364 ए के तहत 3 आरोपियों को दोषी पाया. दोषियों पर 5-5 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है. इसके अलावा इन्हें एक-एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति भी देनी होगी. वहीं फैसला सुनकर अतीक अपने भाई अशरफ के गले मिलकर फूट-फूटकर रोया.

बता दें कि सोमवार काे ही अतीक काे साबरमती जेल से, जबकि अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था. मंगलवार काे अतीक, अशरफ और फरहान काे कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से अलग-अलग प्रिजन वैन के जरिए कोर्ट ले जाया गया. अतीक के कोर्ट परिसर पहुंचते ही पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया. कुछ वकील जूतों की माला लेकर कोर्ट परिसर पहुंच गए. उमेश पाल की हत्या से नाराज वकील ये माला अतीक को पहनाना चाहते थे. हालांकि कोर्ट के गेट से पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद वापस भेज दिया.

फैसला सुनकर माफिया कोर्ट में ही रो पड़ा.

बता दें कि 25 जनवरी, 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी. उमेश पाल मामले में चश्मदीद गवाह थे. माफिया अतीक ने उनसे केस से हटने के लिए बोला था. उमेश पाल उसकी बात नहीं मान रहे थे. इसके बाद 2006 में 28 फरवरी को उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया. उसे माफिया के मुताबिक गवाही देने के लिए बोला गया. अतीक की बात न मानने पर उसे कई तरह की यातनाएं भी दी गईं.

अपहरण कांड में 11 लोगों काे आरोपी बनाया गया था. कोर्ट में पेशी के लिए अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ नैनी सेंट्रल जेल में पहुंचे थे. जबकि फरहान नाम का एक आरोपी पहले से ही नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. वहीं अतीक के वकील खान सौलत हनीफ समेत अन्य आरोपी जमानत पर हैं. इसके अलावा अंसार नाम के एक आरोपी की मौत हो चुकी है. मंगलवार को फैसला सुनाए जाते समय अतीक और अशरफ के साथ फरहान भी मौजूद रहा.

प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में सोमवार को अतीक अहमद समेत परिवार के 3 सदस्यों की रात बीती. ऐसा पहली बार हुआ जब अतीक के परिवार के 3 लोग किसी जेल में एक साथ रहे. माफिया के छोटे भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ को बरेली जेल से नैनी सेंट्रल जेल लाया गया. जबकि अतीक अहमद का दूसरे नंबर का बेटा अली अहमद कई महीने से नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. अतीक अहमद समेत तीनों लोग अलग-अलग बैरक में रखे गए हैं.

उमेश पाल हत्याकांड के एक महीने तीन दिन बाद अतीक और अशरफ को प्रयागराज लाया गया है. पिता और चाचा के नैनी सेंट्रल जेल लाने की सूचना मिलने के बाद अली ने जेल प्रशासन से पिता से मुलाकात कराने की मांग की थी लेकिन उसे इसकी इजाजत नहीं मिली. अली को भी दूसरी बैरक में भेज दिया गया है. अतीक अहमद और अशरफ को भी अलग-अलग हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है. इससे पहले राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद और अशरफ कुछ समय के लिए नैनी सेंट्रल जेल में रह चुके हैं.

उमेश पाल के अपहरण के मामले में बाहुबली अतीक अहमद और ख़ालिद अजीम उर्फ अशरफ और खान शौलत हनीफ को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. इसके साथ ही तीनों आरोपियों के ऊपर तीन तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा केस में शामिल 7 आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया है. बाहुबली अतीक अहमद के छोटे भाई खालिद उर्फ अशरफ भी दोषमुक्त किया गया है.
-राजेश गुप्ता, उमेश पक्ष के वकील

पहली बार मिली सजा : प्रयागराज के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में बाहुबली अतीक अहमद काे सजा सुनाई गई. ये पहला मौका है जब अतीक अहमद को किसी मामले में सजा सुनाई गई. अतीक के खिलाफ 101 केस दर्ज हैं, वहीं उसके भाई अशरफ के खिलाफ भी 50 से अधिक मामले दर्ज हैं. अभी तक इन माफिया बंधुओं को किसी मामले में सजा नहीं हुई थी.

अतीक ने जुर्म की दुनिया में 33 साल पहले कदम रखा था. उसके खिलाफ 1989 में हत्या का पहला मुकदमा लिखा गया था. उसके खिलाफ आखिरी केस 24 फरवरी को उमेश पाल और 2 पुलिस वालों की हत्या का लिखा गया. जेल में रहने के दौरान हत्याकांड की साजिश रचने से लेकर उसमें शूटरों को असलहे और कैश उपलब्ध करवाने तक का आरोप उसी पर है. अतीक अहमद समेत उसका पूरा परिवार आरोपी बनाया गया था. अभी तक उसे किसी केस में सजा सुनाए जाने की नौबत नहीं आई.

कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम : कोर्ट रूम के बाहर से लेकर मुख्य प्रवेश द्वार तक की सुरक्षा की जिम्मेदारी अलग-अलग पुलिस अधिकारियों को दी गई. प्रयागराज के जनपद न्यायालय के बाहर बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं के साथ ही मीडिया कर्मियों का भी जमावड़ा लगा रहा. एमपी एमएलए कोर्ट में मीडिया कर्मियों को प्रवेश नहीं दिया गया. इसके साथ ही पुलिस और पीएसी के जवानों को कोर्ट परिसर के चारों तरफ तैनात किया गया. मंगलवार को एमपी एमएलए कोर्ट में सिर्फ इसी मामले की सुनवाई की गई. अन्य सारे मामले में दूसरी तारीख लगाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : प्रापर्टी डीलर से रंगदारी वसूलने के मामले में अतीक अहमद और उसके बेटे उमर की डिस्चार्ज अर्जी खारिज

Umesh Pal अपहरण केस में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है.

प्रयागराज : उमेश पाल अपहरण केस में फैसला आ चुका है. माफिया अतीक अहमद, उसके करीबी शौकत हनीफ और दिनेश पासी को जिला न्यायालय की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डॉक्टर दिनेश चंद्र शुक्ला ने दोषी करार दिया है. तीनों काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जबकि अशरफ समेत 7 दोषमुक्त करार दिए गए हैं. अदालत ने आईपीसी की धारा 364 ए के तहत 3 आरोपियों को दोषी पाया. दोषियों पर 5-5 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है. इसके अलावा इन्हें एक-एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति भी देनी होगी. वहीं फैसला सुनकर अतीक अपने भाई अशरफ के गले मिलकर फूट-फूटकर रोया.

बता दें कि सोमवार काे ही अतीक काे साबरमती जेल से, जबकि अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था. मंगलवार काे अतीक, अशरफ और फरहान काे कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से अलग-अलग प्रिजन वैन के जरिए कोर्ट ले जाया गया. अतीक के कोर्ट परिसर पहुंचते ही पुलिस, पीएसी और आरएएफ के जवानों ने मोर्चा संभाल लिया. कुछ वकील जूतों की माला लेकर कोर्ट परिसर पहुंच गए. उमेश पाल की हत्या से नाराज वकील ये माला अतीक को पहनाना चाहते थे. हालांकि कोर्ट के गेट से पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक लिया. इसके बाद वापस भेज दिया.

फैसला सुनकर माफिया कोर्ट में ही रो पड़ा.

बता दें कि 25 जनवरी, 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या कर दी गई थी. उमेश पाल मामले में चश्मदीद गवाह थे. माफिया अतीक ने उनसे केस से हटने के लिए बोला था. उमेश पाल उसकी बात नहीं मान रहे थे. इसके बाद 2006 में 28 फरवरी को उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया. उसे माफिया के मुताबिक गवाही देने के लिए बोला गया. अतीक की बात न मानने पर उसे कई तरह की यातनाएं भी दी गईं.

अपहरण कांड में 11 लोगों काे आरोपी बनाया गया था. कोर्ट में पेशी के लिए अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ नैनी सेंट्रल जेल में पहुंचे थे. जबकि फरहान नाम का एक आरोपी पहले से ही नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. वहीं अतीक के वकील खान सौलत हनीफ समेत अन्य आरोपी जमानत पर हैं. इसके अलावा अंसार नाम के एक आरोपी की मौत हो चुकी है. मंगलवार को फैसला सुनाए जाते समय अतीक और अशरफ के साथ फरहान भी मौजूद रहा.

प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में सोमवार को अतीक अहमद समेत परिवार के 3 सदस्यों की रात बीती. ऐसा पहली बार हुआ जब अतीक के परिवार के 3 लोग किसी जेल में एक साथ रहे. माफिया के छोटे भाई पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ को बरेली जेल से नैनी सेंट्रल जेल लाया गया. जबकि अतीक अहमद का दूसरे नंबर का बेटा अली अहमद कई महीने से नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. अतीक अहमद समेत तीनों लोग अलग-अलग बैरक में रखे गए हैं.

उमेश पाल हत्याकांड के एक महीने तीन दिन बाद अतीक और अशरफ को प्रयागराज लाया गया है. पिता और चाचा के नैनी सेंट्रल जेल लाने की सूचना मिलने के बाद अली ने जेल प्रशासन से पिता से मुलाकात कराने की मांग की थी लेकिन उसे इसकी इजाजत नहीं मिली. अली को भी दूसरी बैरक में भेज दिया गया है. अतीक अहमद और अशरफ को भी अलग-अलग हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया है. इससे पहले राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद और अशरफ कुछ समय के लिए नैनी सेंट्रल जेल में रह चुके हैं.

उमेश पाल के अपहरण के मामले में बाहुबली अतीक अहमद और ख़ालिद अजीम उर्फ अशरफ और खान शौलत हनीफ को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. इसके साथ ही तीनों आरोपियों के ऊपर तीन तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा केस में शामिल 7 आरोपियों को कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया है. बाहुबली अतीक अहमद के छोटे भाई खालिद उर्फ अशरफ भी दोषमुक्त किया गया है.
-राजेश गुप्ता, उमेश पक्ष के वकील

पहली बार मिली सजा : प्रयागराज के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में बाहुबली अतीक अहमद काे सजा सुनाई गई. ये पहला मौका है जब अतीक अहमद को किसी मामले में सजा सुनाई गई. अतीक के खिलाफ 101 केस दर्ज हैं, वहीं उसके भाई अशरफ के खिलाफ भी 50 से अधिक मामले दर्ज हैं. अभी तक इन माफिया बंधुओं को किसी मामले में सजा नहीं हुई थी.

अतीक ने जुर्म की दुनिया में 33 साल पहले कदम रखा था. उसके खिलाफ 1989 में हत्या का पहला मुकदमा लिखा गया था. उसके खिलाफ आखिरी केस 24 फरवरी को उमेश पाल और 2 पुलिस वालों की हत्या का लिखा गया. जेल में रहने के दौरान हत्याकांड की साजिश रचने से लेकर उसमें शूटरों को असलहे और कैश उपलब्ध करवाने तक का आरोप उसी पर है. अतीक अहमद समेत उसका पूरा परिवार आरोपी बनाया गया था. अभी तक उसे किसी केस में सजा सुनाए जाने की नौबत नहीं आई.

कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम : कोर्ट रूम के बाहर से लेकर मुख्य प्रवेश द्वार तक की सुरक्षा की जिम्मेदारी अलग-अलग पुलिस अधिकारियों को दी गई. प्रयागराज के जनपद न्यायालय के बाहर बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं के साथ ही मीडिया कर्मियों का भी जमावड़ा लगा रहा. एमपी एमएलए कोर्ट में मीडिया कर्मियों को प्रवेश नहीं दिया गया. इसके साथ ही पुलिस और पीएसी के जवानों को कोर्ट परिसर के चारों तरफ तैनात किया गया. मंगलवार को एमपी एमएलए कोर्ट में सिर्फ इसी मामले की सुनवाई की गई. अन्य सारे मामले में दूसरी तारीख लगाई जाएगी.

यह भी पढ़ें : प्रापर्टी डीलर से रंगदारी वसूलने के मामले में अतीक अहमद और उसके बेटे उमर की डिस्चार्ज अर्जी खारिज

Last Updated : Mar 28, 2023, 6:00 PM IST
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