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उल्फा (आई) ने असम के डीजीपी की चुनौती स्वीकार की, रखीं ये दो शर्तें - असम के डीजीपी उल्फा के बीच जुबानी जंग

उल्फा (आई) ने असम के डीजीपी को चुनौती दी है. यह चुनौती असम के डीजीपी की ओर से दी गई चुनौती के जवाब में आयी है. पढ़ें पूरी खबर.... Assam DGP vs ULFA, Assam DGP ULFA war of words, ULFA accepts Assam DGP challenge

Assam DGP ULFA war of words
उल्फा (आई) ने असम के डीजीपी की चुनौती स्वीकार की
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 16, 2023, 1:49 PM IST

गुवाहाटी: भारतीय सेना के जोरहाट शिविर के मेन गेट पर हुए ग्रेनेड विस्फोट के बाद असम के पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और प्रतिबंधित समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, असम के डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि परेश बरुआ के नेतृत्व वाले गुट को निर्दोष नागरिकों को आतंकित करने के लिए यहां-वहां ग्रेनेड फेंकना बंद करना चाहिए. अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें असम के डीजीपी मुख्यालय और काहिलीपारा में मेरे आवास को निशाना बनाना चाहिए.

Assam DGP ULFA war of words
उल्फा की ओर से जारी की गई धमकी.

एक ताजा प्रेस विज्ञप्ति में, प्रतिबंधित संगठन ने असम पुलिस प्रमुख की चुनौती पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसने 15 दिसंबर को असम डीजीपी की ओर से जारी चुनौती को 'दो शर्तों पर' स्वीकार कर लिया है. बयान में कहा गया है कि, सबसे पहले, जीपी सिंह को स्थानीय पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबलों के स्थान पर सीआरपीएफ या भारतीय सेना के जवानों को तैनात करना चाहिए.

यूएलए ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दूसरी बात, डीजीपी को कम से कम एक सप्ताह तक गुवाहाटी में स्वतंत्र रूप से (बिना किसी सुरक्षा के) घूमने का साहस दिखाना चाहिए. अतीत के कुछ पिछले उदाहरणों का हवाला देते हुए, जहां उल्फा (आई) और सुरक्षा बलों के बीच झड़प के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों में सेवारत कई स्थानीय लोगों की जान चली गई थी, बयान में कहा गया है कि संगठन 'स्थानीय युवा लोगों का खून नहीं बहाना चाहता'.

उल्फा ने कहा कि डीजीपी उन्हें मूल लोगों के बीच संघर्ष फैलाने के लिए उकसा रहे हैं. शुक्रवार को शुरू हुए वाकयुद्ध के बाद यह प्रकरण सुर्खियों में आ गया है, जब उल्फा (आई) ने 14 दिसंबर के जोरहाट ग्रेनेड विस्फोट की जिम्मेदारी ली. जिसके बाद डीजीपी जीपी सिंह से संगठन को इस तरह के वारदातों से अलग रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक मुद्दे हैं, जिनका राजनीतिक हल ही निकाला जा सकता है.

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गुवाहाटी: भारतीय सेना के जोरहाट शिविर के मेन गेट पर हुए ग्रेनेड विस्फोट के बाद असम के पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और प्रतिबंधित समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, असम के डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि परेश बरुआ के नेतृत्व वाले गुट को निर्दोष नागरिकों को आतंकित करने के लिए यहां-वहां ग्रेनेड फेंकना बंद करना चाहिए. अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें असम के डीजीपी मुख्यालय और काहिलीपारा में मेरे आवास को निशाना बनाना चाहिए.

Assam DGP ULFA war of words
उल्फा की ओर से जारी की गई धमकी.

एक ताजा प्रेस विज्ञप्ति में, प्रतिबंधित संगठन ने असम पुलिस प्रमुख की चुनौती पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसने 15 दिसंबर को असम डीजीपी की ओर से जारी चुनौती को 'दो शर्तों पर' स्वीकार कर लिया है. बयान में कहा गया है कि, सबसे पहले, जीपी सिंह को स्थानीय पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबलों के स्थान पर सीआरपीएफ या भारतीय सेना के जवानों को तैनात करना चाहिए.

यूएलए ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दूसरी बात, डीजीपी को कम से कम एक सप्ताह तक गुवाहाटी में स्वतंत्र रूप से (बिना किसी सुरक्षा के) घूमने का साहस दिखाना चाहिए. अतीत के कुछ पिछले उदाहरणों का हवाला देते हुए, जहां उल्फा (आई) और सुरक्षा बलों के बीच झड़प के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों में सेवारत कई स्थानीय लोगों की जान चली गई थी, बयान में कहा गया है कि संगठन 'स्थानीय युवा लोगों का खून नहीं बहाना चाहता'.

उल्फा ने कहा कि डीजीपी उन्हें मूल लोगों के बीच संघर्ष फैलाने के लिए उकसा रहे हैं. शुक्रवार को शुरू हुए वाकयुद्ध के बाद यह प्रकरण सुर्खियों में आ गया है, जब उल्फा (आई) ने 14 दिसंबर के जोरहाट ग्रेनेड विस्फोट की जिम्मेदारी ली. जिसके बाद डीजीपी जीपी सिंह से संगठन को इस तरह के वारदातों से अलग रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक मुद्दे हैं, जिनका राजनीतिक हल ही निकाला जा सकता है.

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