ETV Bharat / bharat

मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की अपील पर ब्रिटेन की अदालत ने सुनवाई की - Nirav Modi extradition appeal on mental health grounds

लंदन में उच्च न्यायालय ने दो अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाला मामले में धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ नीरव मोदी की अपील पर मंगलवार को सुनवाई शुरू की.

Nirav Modi's
नीरव मोदी
author img

By

Published : Dec 14, 2021, 10:56 PM IST

लंदन : लंदन में उच्च न्यायालय ( High Court in London ) ने दो अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाला मामले (PNB loan scam case) में धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ नीरव मोदी ( Nirav Modi) की अपील पर मंगलवार को सुनवाई शुरू की.

लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में सुनवाई की अध्यक्षता करते हुए यह निर्धारित किया कि क्या प्रत्यर्पण के पक्ष में जिला न्यायाधीश सैम गूज़ी का फरवरी का फैसला हीरा व्यापारी द्वारा आत्महत्या के उच्च खतरे की अनदेखी करते हुए गलत दिया गया था.

अदालत ने 13 नवंबर को भारतीय अधिकारियों की ओर से दिए गए एक अतिरिक्त आश्वासन के बारे में सुना था, जो नीरव को मुंबई प्रत्यर्पित किए जाने पर पर्याप्त विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल और एक एम्बुलेंस तैयार रखे जाने की पिछली प्रतिबद्धताओं को दोहराता है.

एडवर्ड फिट्जगेराल्ड क्यूसी ने नीरव के पक्ष में दलील देते हुए कहा, 'वह पहले से ही आत्महत्या के उच्च जोखिम पर हैं और मुंबई में उनकी हालत और बिगड़ने की संभावना है.

यह भी पढ़ें- फरार होने के खतरे से नीरव मोदी की जमानत अर्जी चौथी बार खारिज

फिट्जगेराल्ड ने न्यायाधीशों की खंड पीठ के सामने कहा कि प्रत्यर्पित कर आरोपी को आर्थर रोड पर मुंबई सेंट्रल जेल के बैरक 12 में रखने पर भारत सरकार द्वारा चिकित्सा सहायता का आश्वासन, नीरव मोदी के मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने की 'निश्चितता' को देखते हुए पर्याप्त नहीं होगा. उन्होंने पिछले महीने भारत से प्राप्त नए आश्वासन का अध्ययन करने के लिए कम समय-सीमा के मद्देनजर स्थगन का भी अनुरोध किया.

न्यायाधीशों ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के मामले का उल्लेख किया, जो हाल ही में अमेरिकी सरकार के खिलाफ अपनी प्रत्यर्पण अपील हार गए थे जो भारत सरकार के 'संप्रभु आश्वासन' के संदर्भ में इसी तरह की थी. मंगलवार को सुनवाई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मार्टिन चेम्बरलेन के अगस्त में एक फैसले के बाद आई है कि 50 वर्षीय मोदी के 'गंभीर अवसाद' और 'आत्महत्या के उच्च जोखिम' से संबंधित तर्क पूर्ण अपील सुनवाई में बहस योग्य हैं.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों का एक समूह सुनवाई के लिए भारत से आया है. जिसे ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के वकील हेलेन मैल्कम क्यूसी द्वारा भारतीय अधिकारियों की ओर से अदालत में पेश किया जा रहा है.अपील पर निर्णय सुरक्षित रखे जाने की संभावना है, जिसे बाद की तारीख में सुनाया जाएगा.

(इनपुट-भाषा)

लंदन : लंदन में उच्च न्यायालय ( High Court in London ) ने दो अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाला मामले (PNB loan scam case) में धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ नीरव मोदी ( Nirav Modi) की अपील पर मंगलवार को सुनवाई शुरू की.

लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में सुनवाई की अध्यक्षता करते हुए यह निर्धारित किया कि क्या प्रत्यर्पण के पक्ष में जिला न्यायाधीश सैम गूज़ी का फरवरी का फैसला हीरा व्यापारी द्वारा आत्महत्या के उच्च खतरे की अनदेखी करते हुए गलत दिया गया था.

अदालत ने 13 नवंबर को भारतीय अधिकारियों की ओर से दिए गए एक अतिरिक्त आश्वासन के बारे में सुना था, जो नीरव को मुंबई प्रत्यर्पित किए जाने पर पर्याप्त विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल और एक एम्बुलेंस तैयार रखे जाने की पिछली प्रतिबद्धताओं को दोहराता है.

एडवर्ड फिट्जगेराल्ड क्यूसी ने नीरव के पक्ष में दलील देते हुए कहा, 'वह पहले से ही आत्महत्या के उच्च जोखिम पर हैं और मुंबई में उनकी हालत और बिगड़ने की संभावना है.

यह भी पढ़ें- फरार होने के खतरे से नीरव मोदी की जमानत अर्जी चौथी बार खारिज

फिट्जगेराल्ड ने न्यायाधीशों की खंड पीठ के सामने कहा कि प्रत्यर्पित कर आरोपी को आर्थर रोड पर मुंबई सेंट्रल जेल के बैरक 12 में रखने पर भारत सरकार द्वारा चिकित्सा सहायता का आश्वासन, नीरव मोदी के मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने की 'निश्चितता' को देखते हुए पर्याप्त नहीं होगा. उन्होंने पिछले महीने भारत से प्राप्त नए आश्वासन का अध्ययन करने के लिए कम समय-सीमा के मद्देनजर स्थगन का भी अनुरोध किया.

न्यायाधीशों ने विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे के मामले का उल्लेख किया, जो हाल ही में अमेरिकी सरकार के खिलाफ अपनी प्रत्यर्पण अपील हार गए थे जो भारत सरकार के 'संप्रभु आश्वासन' के संदर्भ में इसी तरह की थी. मंगलवार को सुनवाई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मार्टिन चेम्बरलेन के अगस्त में एक फैसले के बाद आई है कि 50 वर्षीय मोदी के 'गंभीर अवसाद' और 'आत्महत्या के उच्च जोखिम' से संबंधित तर्क पूर्ण अपील सुनवाई में बहस योग्य हैं.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों का एक समूह सुनवाई के लिए भारत से आया है. जिसे ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के वकील हेलेन मैल्कम क्यूसी द्वारा भारतीय अधिकारियों की ओर से अदालत में पेश किया जा रहा है.अपील पर निर्णय सुरक्षित रखे जाने की संभावना है, जिसे बाद की तारीख में सुनाया जाएगा.

(इनपुट-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.