नई दिल्ली : सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) से जुड़े सवाल पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा है कि सीयूईटी पूरी तरह से 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम पर आधारित होगा, 11वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से कोई प्रश्न नहीं पूछा जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य बोर्ड के छात्रों को नुकसान नहीं होगा, सीयूईटी परीक्षा में सभी छात्रों को समान अवसर मिलेगा.
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, शीर्ष निजी विश्वविद्यालयों की स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्रों के प्रवेश के लिए सीयूईटी का उपयोग करने में दिलचस्पी है.उन्होंने कहा कि कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) से बोर्ड परीक्षाओं पर कोई खतरा नहीं है. पहले से हो रही बोर्ड परीक्षाएं अप्रासंगिक नहीं बनेंगी. बकौल यूजीसी चेयरमैन, सीयूईटी से 'कोचिंग संस्कृति' को बढ़ावा मिलने की आशंकाएं निराधार हैं. कुमार ने एक साक्षात्कार में कहा कि सीयूईटी का काम केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले तक ही सीमित नहीं होगा, क्योंकि कई प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों ने संकेत दिया है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा के अंकों का इस्तेमाल करने के इच्छुक हैं.
सीयूईटी पर प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी उत्साहित : यूजीसी चेयरमैन ने कहा, 'शुरुआत में इस साल सीयूईटी का एक बार आयोजन किया जाएगा, लेकिन एनटीए आगामी सत्र से साल में कम से कम दो बार परीक्षा आयोजित करने पर विचार करेगी. प्रवेश परीक्षा केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि निजी विश्वविद्यालय भी इसका इस्तेमाल करेंगे. कई प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों ने संकेत दिया है कि वे भी इससे जुड़ना चाहते हैं और सीयूईटी के जरिए छात्रों का दाखिला करने के इच्छुक हैं.'
यह भी पढ़ें- केंद्रीय विवि में दाखिले के लिए 12वीं क्लास का नंबर नहीं बनेगा आधार, एडमिशन टेस्ट में बैठना अनिवार्य
परीक्षा के लिए कोचिंग जरूरी नहीं : कुमार ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए 12वीं कक्षा के अंक नहीं, बल्कि सीयूईटी के अंकों का उपयोग अनिवार्य होगा और केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना न्यूनतम पात्रता मापदंड तय कर सकते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या इस परीक्षा से स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 'कोचिंग संस्कृति' को बढ़ावा मिलेगा, कुमार ने कहा, 'परीक्षा के लिए किसी कोचिंग की आवश्यकता नहीं होगी, इसलिए इससे कोचिंग संस्कृति को बढ़ावा मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
(पीटीआई-भाषा)