रांची: 14 अक्टूबर को आपके सामने इस घालमेल से जुड़ा पार्ट -3 पेश करने जा रहे हैं. रांची के धुर्वा स्थित यूको बैंक का जो नया कारनामा सामने आया है, उसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. जिस इंद्रजीत रॉय नामक वैल्यूअर को कर्जदारों की संपत्ति के आकलन के लिए जोनल ऑफिस की पहल पर इमपैनल किया गया है, उन्हें साल 2017 में ही बैंक आफ इंडिया ने डी-पैनल्ड कर दिया था. मतलब उन्हें वैल्यूअर की सूची से हटा दिया था. उन पर एक बड़े कारोबारी की संपत्ति के आकलन में घालमेल का आरोप लगा था. इस मामले में ईटीवी भारत की टीम ने इंद्रजीत राय से संपर्क किया तो उनका एक लाइन में जवाब था कि " मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा, आप बैंक से बात करें ". यह कहकर उन्होंने फोन काट दिया था. उन्होंने मिलने से भी इनकार कर दिया.
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बीओआई ने ठुकराया यूका बैंक ने अपनाया: अब सवाल है कि एक बड़े सरकारी बैंक द्वारा डी-पैनल किए गए वैल्यूअर से यूको बैंक कैसे काम लेता रहा. जानकारों का कहना है कि यूको बैंक के धुर्वा ब्रांच का ग्रोथ जेडएलसीसी यानी जोनल लेवल क्रेडिट कमेटी के आशीर्वाद के बिना संभव ही नहीं है. ब्रांच मैनेजर एक लिमिट तक ही लोन को अप्रुव कर सकता है. यूको बैंक के 7 अप्रैल 2021 के सर्कुलर के मुताबिक इमपैनल किए गए वैल्यूअर को डिक्लेरेशन-कम-अंडरटेकिंग फॉर्म के जरिए 3 दिन के भीतर यह बताना जरूरी है कि उन्हें किसी दूसरे बैंक ने डी-पैनल कर दिया है.
पति पत्नी एक ही बैंक में वैल्यूअर: अब सवाल है कि जब साल 2017 में ही बैंक ऑफ इंडिया ने उन्हें अपनी लिस्ट से हटा दिया था तो फिर यूको बैंक ने वैल्यूअर कैसे बना दिया. सवाल यह भी है कि इंद्रजीत रॉय की पत्नी प्रियंका राय को भी यूको बैंक ने वैल्यूअर क्यों बनाया. यह जानते हुए कि एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का वैल्यूएशन होने पर दूसरे वैल्यूअर से आकलन कराने का प्रावधान है. बैंक के नियम के मुताबिक 1 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का वैल्यूएशन होने पर दूसरे वैल्यूअर से रिपोर्ट ली जाती है. अगर दूसरा वैल्यूअर 15 प्रतिशत के डिफरेंस में रिपोर्ट तैयार करता है तो वह ओके हो जाता है. इसमें घालमेल की संभावना से कैसे इनकार किया जा सकता है. पूर्व में सस्पेंडेड ब्रांच मैनेजर कह चुके हैं कि ब्रांच का पावर बहुत सीमित होता है. तमाम बड़े फैसले जोनल ऑफिस के स्तर पर होता है.
जोनल हेड को हटाने का प्रस्ताव: जानकारी के मुताबिक पूरे घालमेल की जांच कर रही रंजना घोष ने हेड ऑफिस को बता दिया है कि यूको बैंक के जोनल हेड विक्रांत टंडन को हटाया जाए. इसके बिना निष्पक्षता से जांच करना संभव नहीं है. दूसरी तरफ इंटरल कम्यूनिकेशन में यूको बैंक ने वैल्यूअर इंद्रजीत रॉय, उनकी पत्नी प्रियंका रॉय, विनोद पांडेय और मुकेश अग्रवाल से अगले आदेश तक संपत्ति का वैल्यूएशन नहीं कराने के लिए सभी ब्रांच को पत्र जारी कर दिया है. इसको लेकर भी कुछ सवाल उठे हैं, जिसका खुलासा हम अगली कड़ी में करेंगे. दूसरी तरफ बैंक यूनियन में इस बात की चर्चा जोरों पर हैं कि एक तरफ आम जरूरतमंदों से लोन देने के एवज में तमाम तरह की सिक्यूरिटी मांगी जाती है और दूसरी तरफ पसंदीदा लोगों के लिए कायदे कानून को ताक पर रखा जाता है.
आईटी रिटर्न खंगालने पर हो सकते हैं चौकाने वाले खुलासे: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सस्पेंडेड ब्रांच मैनेजर राजीव चौधरी के कार्यकाल में जिन लोगों को कर्ज दिया गया है उन सभी के इनकम टैक्स रिटर्न को खंगालने पर कई और चौंकने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं. बैंक स्तर पर आम जरूरतमंदों को लोन नहीं मिलने का मामला अक्सर उठता है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कई प्लेटफॉर्म पर इस बात को कह चुके हैं कि किसी आम नागरिक को व्यवसाय के लिए लोन देने में बैंक आनाकानी करती है. लिहाजा, यूको बैंक में लोन के नाम पर जो कुछ हुआ है, उसका जल्द से जल्द खुलासा होना चाहिए. ताकि लोगों का बैंक पर भरोसा कायम रह सके.