नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले गिरफ्तार तीन छात्रों को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली जमानत के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. इसके साथ ही उच्च न्यायालय के फैसलों के खिलाफ पुलिस की अपील पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में जमानत पाने वाले तीन छात्र कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कहा आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए (UAPA) को पढ़ना महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसके पूरे भारत पर असर हो सकते हैं.
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रह्मण्यन की अवकाश पीठ दिल्ली पुलिस द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन छात्र कार्यकर्ताओं को जमानत देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसलों को मिसाल के तौर पर दूसरे मामलों में ऐसी ही राहत पाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
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उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 15 जून को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा को जमानत दे दी थी लेकिन निचली अदालत से उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश बृहस्पतिवार को आया.
इससे पहले उन्होंने उच्च न्यायालय से रिहाई की औपचारिकता पूरी होने में देरी की शिकायत की थी. उच्च न्यायालय ने सुबह के अपने आदेश में निचली अदालत से आरोपियों की रिहाई के मामले पर 'तत्परता' से गौर करने को कहा था.
दिल्ली की अदालत ने अपने आदेश में उनकी तुंरत रिहाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा सत्यापन की प्रक्रिया आरोपियों को जेल में रखने की तार्किक वजह नहीं हो सकती.
दिल्ली पुलिस ने इसके बाद तीन अलग-अलग याचिकाओं के जरिये नरवाल, कालिता और तनहा को उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने के आदेश को चुनौती दी.
तीनों को मई महीने में गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम या यूएपीए के सख्त प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था.