उत्तरकाशी : उत्तराखंड सरकार भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खाली हो चुके नेलांग और जाडुंग गांव को दोबारा आबाद करने की योजना पर काम कर रही है. इस योजना के तहत डीएम मयूर दीक्षित और जनपद के विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने 1962 में नेलांग-जाडुंग गांव से विस्थापित बगोरी गांव के जाड़ समुदाय के ग्रामीणों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों गांवों का स्थलीय निरीक्षण किया. खाली हो चुके जाडुंग गांव के दो मूल निवासियों ने यहां पर होम स्टे बनाने पर सहमति जताई है. जिला प्रशासन का दावा है कि एक माह के भीतर सीमांत गांव में होम स्टे की योजना पर कार्य प्रारंभ हो जाएगा.
बता दें, दो साल पहले हर्षिल दौरे पर सीएम त्रिवेंद्र रावत ने घोषणा की थी कि 1962 भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर खाली हो चुके नेलांग और जाडुंग गांव में पर्यटन और सामरिक दृष्टिकोण से दोबारा आबाद किया जाएगा.
इस योजना को लेकर डीएम मयूर दीक्षित, एसडीएम भटवाड़ी देवेंद्र नेगी, आपदा प्रबधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने अन्य विभागीय अधिकारियों और नेलांग-जाडुंग गांव से विस्थापित बगोरी गांव के ग्रामीणों के साथ स्थलीय निरीक्षण किया. साथ ही आईटीबीपी के अधिकारियों और बगोरी के ग्रामीणों के साथ जाडुंग गांव में होम स्टे शुरू करने पर विचार-विमर्श किया.
पढ़ें: बेटे की चाह में पिता ने छोड़ा साथ, आज बेटियों की काबिलियत बनी परिवार की पहचान
प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की अगर यह योजना पूर्णत धरातल पर उतरती है, तो जनपद के पर्यटन में यह एक मील का पत्थर साबित होगा. बता दें कि वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय सीमांत नेलांग और जाडुंग गांव से जाड़ समुदाय के करीब 70 परिवारों को हर्षिल के समीप बगोरी और डुंडा वीरपुर में विस्थापित किया गया था. उसके बाद यह ग्रामीण मात्र वर्ष में एक दिन लाल देवता की पूजा के लिए जिला प्रशासन और गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन की अनुमति से नेलांग और जाडुंग गांव जाते हैं.