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RIMC के 100 साल के इतिहास में पहली बार दो लड़कियों को मिला प्रवेश, अगले साल से बढ़ेंगी छात्राओं की सीट

राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (Rashtriya Indian Military College) के 100 साल के इतिहास में पहली बार इस साल नये सत्र से बालिकाओं को भी प्रवेश दिया गया है. आरआईएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि इस बैच में लड़कियों के लिए पांच सीटें थीं, लेकिन केवल दो ही नामांकन की प्रक्रिया को पूरा कर सकीं. उन्होंने कहा कि अगले बैच से लड़कियों के लिए सीटों में वृद्धि की जाएगी.

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राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून
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Published : Sep 27, 2022, 2:09 PM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (Rashtriya Indian Military College) के 100 साल के इतिहास में पहली बार इस साल नये सत्र से बालिकाओं को भी प्रवेश दिया गया है. प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक देहरादून गढ़ी कैंट में मौजूद राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) में पहली बार कक्षा 8 में 2 छात्राओं को प्रवेश दिया गया है.

राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (IMC) में इस साल जुलाई 2022 का बैच बीते रोज सोमवार को कक्षा 8 के छात्रों के साथ शुरू हुआ. जिसमें दो छात्राएं भी शामिल हैं. सेन्ट्रल कमांड के जनसंपर्क अधिकारी (Central Command Public Relations Officer) शांतनु प्रताप सिंह ने इसे कॉलेज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने कक्षा 8 में प्रवेश लेने वाली इन दोनों बलिकाओं के बारे में बताया कि एक छात्रा हरियाणा की है जबकि दूसरी डे स्कॉलर छात्रा है और देहरादून की ही रहने वाली है.
पढ़ें-हिंद के योद्धाओं के लिए खास है 'आर्मी बैंड', रणबांकुरों का बढ़ाता है हौसला

बताते चलें कि RIMC में लड़कियों को प्रवेश देने का निर्णय सरकार द्वारा महिलाओं के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के दरवाजे खोलने के बाद आया. RIMC कमांडेंट कर्नल अजय कुमार ने मार्च में संस्था के शताब्दी स्थापना दिवस के दौरान घोषणा की थी कि वे जल्द ही छात्राओं को भी शामिल करेंगे. संस्थान को छात्राओं के लिए उपयुक्त बनाने के लिए सैन्य कॉलेज ने अपने निर्णय को अंतिम रूप देने से पहले सभी आवश्यक कदमों का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया था.
पढ़ें-IMA में कैडेट्स के प्रशिक्षण के लिए आधुनिक हथियारों की कमी

आरआईएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि इस बैच में लड़कियों के लिए पांच सीटें थीं, लेकिन केवल दो ही नामांकन की प्रक्रिया को पूरा कर सकीं. उन्होंने कहा कि अगले बैच से लड़कियों के लिए सीटों में वृद्धि की जाएगी. पांच सीटों के लिए देशभर से कुल 568 लड़कियों ने प्रवेश दिया था. बता दें कि RIMC की स्थापना 13 मार्च, 1922 को भारतीय युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी. ताकि बाद में उन्हें अधिकारियों के रूप में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया जा सके.

देहरादून: राजधानी देहरादून स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (Rashtriya Indian Military College) के 100 साल के इतिहास में पहली बार इस साल नये सत्र से बालिकाओं को भी प्रवेश दिया गया है. प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक देहरादून गढ़ी कैंट में मौजूद राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) में पहली बार कक्षा 8 में 2 छात्राओं को प्रवेश दिया गया है.

राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (IMC) में इस साल जुलाई 2022 का बैच बीते रोज सोमवार को कक्षा 8 के छात्रों के साथ शुरू हुआ. जिसमें दो छात्राएं भी शामिल हैं. सेन्ट्रल कमांड के जनसंपर्क अधिकारी (Central Command Public Relations Officer) शांतनु प्रताप सिंह ने इसे कॉलेज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने कक्षा 8 में प्रवेश लेने वाली इन दोनों बलिकाओं के बारे में बताया कि एक छात्रा हरियाणा की है जबकि दूसरी डे स्कॉलर छात्रा है और देहरादून की ही रहने वाली है.
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बताते चलें कि RIMC में लड़कियों को प्रवेश देने का निर्णय सरकार द्वारा महिलाओं के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के दरवाजे खोलने के बाद आया. RIMC कमांडेंट कर्नल अजय कुमार ने मार्च में संस्था के शताब्दी स्थापना दिवस के दौरान घोषणा की थी कि वे जल्द ही छात्राओं को भी शामिल करेंगे. संस्थान को छात्राओं के लिए उपयुक्त बनाने के लिए सैन्य कॉलेज ने अपने निर्णय को अंतिम रूप देने से पहले सभी आवश्यक कदमों का आकलन करने के लिए एक समिति का गठन किया था.
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आरआईएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि इस बैच में लड़कियों के लिए पांच सीटें थीं, लेकिन केवल दो ही नामांकन की प्रक्रिया को पूरा कर सकीं. उन्होंने कहा कि अगले बैच से लड़कियों के लिए सीटों में वृद्धि की जाएगी. पांच सीटों के लिए देशभर से कुल 568 लड़कियों ने प्रवेश दिया था. बता दें कि RIMC की स्थापना 13 मार्च, 1922 को भारतीय युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी. ताकि बाद में उन्हें अधिकारियों के रूप में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल किया जा सके.

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