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उल्फा ने तेल कंपनी के अगवा दोनों कर्मचारियों को म्यांमार शिफ्ट किया - Two employees of the Kidnapped oil company

21 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के इन्नाओ के पास ड्रिलिंग साइट से एक ड्रिलिंग सुपरिटेन्डेंट गोगोई और एक रेडियो ऑपरेटर कुमार का उल्फा उग्रवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था. अपहरण की रकम नहीं मिलने पर संगठन ने बड़ा कदम उठाने की चेतावनी दी थी. वहीं असम सरकार ने कर्मचारियों को रिहा करने की अपील की है.

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Published : Feb 21, 2021, 4:39 PM IST

गुवाहाटी : अलगाववादी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने हाइड्रोकार्बन कंपनी क्विपो ऑयल एंड गैस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अगवा किए गए दो कर्मचारियों को म्यांमार में शिफ्ट कर दिया है.

उल्फा के करीबी विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि यह उल्फा द्वारा फिरौती के लिए निर्धारित समय सीमा शुक्रवार को खत्म होने के बाद किया गया. विद्रोही समूह को संदेह था कि भारतीय सुरक्षा बल असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर एक विद्रोही ठिकाने पर छापेमारी कर सकते हैं, जहां क्विपो के दोनों कर्मचारियों को रखा गया था.

यहां तक कि जब भारतीय सुरक्षा बल असम और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती जंगलों में दोनों क्विपो कर्मचारियों को बचाने के लिए अभियान जारी रखे हुए हैं, असम सरकार ने उल्फा से उन्हें रिहा करने की अपील की है.

असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'हम परेश बरुआ से दोनों को रिहा करने का आग्रह करते हैं. हम नहीं चाहते कि असम और भारत की धरती खून से लाल हो. अगर दोनों व्यक्तियों के साथ कुछ दुर्भाग्यपूर्ण होता है, तो असम का सिर शर्म से झुक जाएगा. हमारे समुदाय की तुलना तालिबान से की जाएगी.'

सरमा ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा अगर इन दोनों अगवा क्विपो कर्मचारियों पी.के. गोगोई और राम कुमार के साथ कुछ होता है.

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडीपेन्जडेंट) ने शुक्रवार को दोनों क्विपो कर्मचारियों के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की चेतावनी दी, क्योंकि अपेक्षित फिरौती का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. उल्फा-आई के बयान में जिसे इसके 'प्रचार सेल' के सदस्य रूमेल असोम द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है, में कहा कि दोनों के खिलाफ अगले सप्ताह बड़ा कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि शुक्रवार को समय सीमा समाप्त हो चुकी है.

रुमेल असोम ने भी बयान में कहा कि क्विपो को पूरे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में काम करने से रोका जाएगा, जिसका अर्थ है पूर्वोत्तर को उल्फा भारत के हिस्से के रूप में नहीं बल्कि पश्चिमी दक्षिण-पूर्व एशिया के रूप में देखता है.

21 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के इन्नाओ के पास ड्रिलिंग साइट से एक ड्रिलिंग सुपरिटेन्डेंट गोगोई और एक रेडियो ऑपरेटर कुमार का उल्फा उग्रवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था.

पढ़ेंः प्रतिबंधित संगठन के मांग की असम ने की निंदा, कर्मचारियों को रिहा करने की अपील

खुफिया अधिकारियों ने कहा कि उल्फा ने शुरू में उन्हें रिहा करने के लिए 20 करोड़ रुपये की मांग की, लेकिन फिर उस राशि को आधा कर दिया. संकेत थे कि वह इसे और कम करने के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन ऐसा लगता है कि क्विपो द्वारा फिरौती के भुगतान के लिए मना करने से उग्रवादी लीडर नाराज हो गए.

चांगलांग के एसपी मिहिन गाम्बो ने कहा है कि बचाव अभियान जारी है, लेकिन उल्फा के करीबी विश्वसनीय सूत्रों ने संकेत दिया कि दोनों क्विपो कर्मचारियों को संभवत: सीमा पार म्यांमार में शिफ्ट कर दिया गया है.

गोगोई असम के शिवसागर जिले से हैं, जबकि राम कुमार बिहार के खगड़िया जिले से हैं.

गुवाहाटी : अलगाववादी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने हाइड्रोकार्बन कंपनी क्विपो ऑयल एंड गैस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अगवा किए गए दो कर्मचारियों को म्यांमार में शिफ्ट कर दिया है.

उल्फा के करीबी विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि यह उल्फा द्वारा फिरौती के लिए निर्धारित समय सीमा शुक्रवार को खत्म होने के बाद किया गया. विद्रोही समूह को संदेह था कि भारतीय सुरक्षा बल असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर एक विद्रोही ठिकाने पर छापेमारी कर सकते हैं, जहां क्विपो के दोनों कर्मचारियों को रखा गया था.

यहां तक कि जब भारतीय सुरक्षा बल असम और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती जंगलों में दोनों क्विपो कर्मचारियों को बचाने के लिए अभियान जारी रखे हुए हैं, असम सरकार ने उल्फा से उन्हें रिहा करने की अपील की है.

असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'हम परेश बरुआ से दोनों को रिहा करने का आग्रह करते हैं. हम नहीं चाहते कि असम और भारत की धरती खून से लाल हो. अगर दोनों व्यक्तियों के साथ कुछ दुर्भाग्यपूर्ण होता है, तो असम का सिर शर्म से झुक जाएगा. हमारे समुदाय की तुलना तालिबान से की जाएगी.'

सरमा ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा अगर इन दोनों अगवा क्विपो कर्मचारियों पी.के. गोगोई और राम कुमार के साथ कुछ होता है.

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडीपेन्जडेंट) ने शुक्रवार को दोनों क्विपो कर्मचारियों के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की चेतावनी दी, क्योंकि अपेक्षित फिरौती का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. उल्फा-आई के बयान में जिसे इसके 'प्रचार सेल' के सदस्य रूमेल असोम द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है, में कहा कि दोनों के खिलाफ अगले सप्ताह बड़ा कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि शुक्रवार को समय सीमा समाप्त हो चुकी है.

रुमेल असोम ने भी बयान में कहा कि क्विपो को पूरे दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में काम करने से रोका जाएगा, जिसका अर्थ है पूर्वोत्तर को उल्फा भारत के हिस्से के रूप में नहीं बल्कि पश्चिमी दक्षिण-पूर्व एशिया के रूप में देखता है.

21 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के इन्नाओ के पास ड्रिलिंग साइट से एक ड्रिलिंग सुपरिटेन्डेंट गोगोई और एक रेडियो ऑपरेटर कुमार का उल्फा उग्रवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था.

पढ़ेंः प्रतिबंधित संगठन के मांग की असम ने की निंदा, कर्मचारियों को रिहा करने की अपील

खुफिया अधिकारियों ने कहा कि उल्फा ने शुरू में उन्हें रिहा करने के लिए 20 करोड़ रुपये की मांग की, लेकिन फिर उस राशि को आधा कर दिया. संकेत थे कि वह इसे और कम करने के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन ऐसा लगता है कि क्विपो द्वारा फिरौती के भुगतान के लिए मना करने से उग्रवादी लीडर नाराज हो गए.

चांगलांग के एसपी मिहिन गाम्बो ने कहा है कि बचाव अभियान जारी है, लेकिन उल्फा के करीबी विश्वसनीय सूत्रों ने संकेत दिया कि दोनों क्विपो कर्मचारियों को संभवत: सीमा पार म्यांमार में शिफ्ट कर दिया गया है.

गोगोई असम के शिवसागर जिले से हैं, जबकि राम कुमार बिहार के खगड़िया जिले से हैं.

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