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बाल गृह की आड़ में मानव तस्करी की आशंका, छत्तीसगढ़ से रेस्क्यू किए गए मध्य प्रदेश के 19 बच्चे - twenty childrens freed Raipur

रायपुर के राखी इलाके में अवैध बाल गृह का संचालन हो रहा था. यहां से करीब 19 नाबालिग रिहा कराए गए हैं. इनमें ज्यादातर बच्चे कोरोना काल में अनाथ में हुए थे. अधिकांश बालक और बालिकाएं एमपी के मंडला जिले के हैं. पुलिस इस केस की जांच बाल तस्करी के एंगल से भी कर रही है.

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Published : Jul 10, 2021, 5:48 PM IST

Updated : Jul 10, 2021, 6:31 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ का राजधानी रायपुर में अवैध रूप से संचालित किए जा रहे एक बाल गृह से महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) की टीम ने 19 बच्चों को रेस्क्यू किया है. ये सभी बच्चे मध्य प्रदेश के मंडला के बताए जा रहे हैं. इन बच्चों को एसओएस बाल गृह में रखा गया है. वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग ने मामले की जांच और कार्रवाई पुलिस को हैंडओवर कर दिया है. अधिकांश बच्चे कोरोना काल में अनाथ हुए थे. हैरत की बात यह है कि बाल गृह 20 दिन पहले शुरू किया गया था. पुलिस इस केस को बाल तस्करी के एंगल से भी देख रही है.

महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को सूचना मिली थी कि भिलाई के रिसाली की लाइफ शो फाउंडेशन (Life Show Foundation) अवैध रूप से बाल गृह का संचालन कर रही है. इस पर टीम ने मौके पर छापा मारा तो एक मकान में ये बच्चे मिले. मकान के सामने अनाथ आश्रम का बैनर (orphanage banner) लगाकर बच्चों को रखा गया था. दस्तावेजों की जांच में पता चला कि नियमों के अनुसार बाल गृह का संचालन (operation of children of home) नहीं हो रहा था. सभी बच्चों को यहां अवैध रूप से रखा गया था.

19 बच्चे कराए गए मुक्त

इस बाल गृह से कुल 19 बच्चे मुक्त कराए गए हैं. रिहा कराए गए नाबालिगों में 10 बालक और 9 बालिका हैं. जिन्हें एक साथ रखा गया था. खास बात यह है कि इन सभी बच्चों में अंधिकाश मध्यप्रदेश के मंडला जिले के रहने वाले हैं. पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की टीम इसे बाल तस्करी से भी जोड़ को देख रही है.

महज 20 दिनों से हो रहा था बाल गृह का संचालन

यह भी सामने आया कि जिन बच्चों को संस्था में रखा गया था, उनके संबंध में चाइल्ड लाइन (1098), पुलिस, सखी सेंटर (181), बाल संरक्षण इकाई या बाल कल्याण समिति (CWC) को किसी तरह की कोई सूचना तक नहीं दी गई थी. जबकि, बच्चा मिलने के 24 घंटे के अंदर ऐसी जानकारी देना जरूरी होता है. पूछताछ में यह भी पता चला कि संस्था महज 20 दिन से ही संचालित हो रही है. नियमानुसार, लड़के और लड़कियों को अलग-अलग न कर एक साथ, एक ही कमरे में रखा गया था. उन सभी को जमीन पर सुलाया जा रहा था.

अनाथ आश्रम में नहीं था कोई कर्मी

विभाग की ओर से इस संबंध में राखी थाने (Rakhi police station) में कार्रवाई की जा रही है. बच्चों के लिए बनाए गए अनाथ आश्रम में कर्मचारी भी नहीं थे. वहां केवल एक रसोइया था. बच्चों को माना स्थित CWC में पेश कर लड़कों को बाल गृह और लड़कियों को LOS गृह में भेजा गया है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ का राजधानी रायपुर में अवैध रूप से संचालित किए जा रहे एक बाल गृह से महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) की टीम ने 19 बच्चों को रेस्क्यू किया है. ये सभी बच्चे मध्य प्रदेश के मंडला के बताए जा रहे हैं. इन बच्चों को एसओएस बाल गृह में रखा गया है. वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग ने मामले की जांच और कार्रवाई पुलिस को हैंडओवर कर दिया है. अधिकांश बच्चे कोरोना काल में अनाथ हुए थे. हैरत की बात यह है कि बाल गृह 20 दिन पहले शुरू किया गया था. पुलिस इस केस को बाल तस्करी के एंगल से भी देख रही है.

महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों को सूचना मिली थी कि भिलाई के रिसाली की लाइफ शो फाउंडेशन (Life Show Foundation) अवैध रूप से बाल गृह का संचालन कर रही है. इस पर टीम ने मौके पर छापा मारा तो एक मकान में ये बच्चे मिले. मकान के सामने अनाथ आश्रम का बैनर (orphanage banner) लगाकर बच्चों को रखा गया था. दस्तावेजों की जांच में पता चला कि नियमों के अनुसार बाल गृह का संचालन (operation of children of home) नहीं हो रहा था. सभी बच्चों को यहां अवैध रूप से रखा गया था.

19 बच्चे कराए गए मुक्त

इस बाल गृह से कुल 19 बच्चे मुक्त कराए गए हैं. रिहा कराए गए नाबालिगों में 10 बालक और 9 बालिका हैं. जिन्हें एक साथ रखा गया था. खास बात यह है कि इन सभी बच्चों में अंधिकाश मध्यप्रदेश के मंडला जिले के रहने वाले हैं. पुलिस और महिला बाल विकास विभाग की टीम इसे बाल तस्करी से भी जोड़ को देख रही है.

महज 20 दिनों से हो रहा था बाल गृह का संचालन

यह भी सामने आया कि जिन बच्चों को संस्था में रखा गया था, उनके संबंध में चाइल्ड लाइन (1098), पुलिस, सखी सेंटर (181), बाल संरक्षण इकाई या बाल कल्याण समिति (CWC) को किसी तरह की कोई सूचना तक नहीं दी गई थी. जबकि, बच्चा मिलने के 24 घंटे के अंदर ऐसी जानकारी देना जरूरी होता है. पूछताछ में यह भी पता चला कि संस्था महज 20 दिन से ही संचालित हो रही है. नियमानुसार, लड़के और लड़कियों को अलग-अलग न कर एक साथ, एक ही कमरे में रखा गया था. उन सभी को जमीन पर सुलाया जा रहा था.

अनाथ आश्रम में नहीं था कोई कर्मी

विभाग की ओर से इस संबंध में राखी थाने (Rakhi police station) में कार्रवाई की जा रही है. बच्चों के लिए बनाए गए अनाथ आश्रम में कर्मचारी भी नहीं थे. वहां केवल एक रसोइया था. बच्चों को माना स्थित CWC में पेश कर लड़कों को बाल गृह और लड़कियों को LOS गृह में भेजा गया है.

Last Updated : Jul 10, 2021, 6:31 PM IST
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