हैदराबाद : सनसनीखेज टीएसपीएससी पेपर लीक मामले में एक और नया पहलू सामने आया है. पुलिस के मुताबिक, परीक्षा में नकल करने के लिए आरोपी ने चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया. टीएसपीएससी परीक्षा इस साल फरवरी में आयोजित की गई थी. एसआईटी ने इस बात की पुष्टि की है कि बिजली विभाग के डीई रमेश कनुसन्नालो की देखरेख में बड़ी संख्या में प्रश्न पत्र बदले गए थे. जांच में एसआईटी पुलिस ने पाया कि एईई और डीएओ परीक्षा में शामिल होने वाले कुछ अभ्यर्थियों से समझौता करने के बाद तकनीक की मदद से परीक्षा हॉल में सात अभ्यर्थियों को उत्तर बताये गये थे.
इस मामले में एक परीक्षक के भी शामिल होने की जानकारी सामने आ रही है. पहली बार ऐसे मामले में जहां सिर्फ प्रश्नपत्र बेचकर पैसे कमाए गए, आरोपी ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल किया. यह सनसनी बन गई है. विद्युत विभाग के डीई रमेश के साथ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से परीक्षा लिखने वाले प्रशांत, नरेश, महेश व श्रीनिवास को एसआईटी के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि पुलिस ने उस गैंग से प्रश्न पत्र खरीदने वाले 20 और अभ्यर्थियों की पहचान की है.
आरोपी ने एईई परीक्षा में नकल करने के लिए चैट जीपीटी का इस्तेमाल किया : पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी प्रवीण कुमार टीएसएसपीडीसीएल के कनिष्ठ सहायक सुरेश का परिचित है. प्रवीण के हाथ में टीएसपीएससी का प्रश्नपत्र आने के बाद उसने सुरेश को दलाल बना लिया. सुरेश ने 25 लोगों को एईई और डीएओ के प्रश्न पत्र बेचकर पैसा कमाया. ऐसा लगता है कि डीई रमेश ने कुछ प्रश्न पत्र लिए और सुरेश के माध्यम से उन्हें बेच दिए. कुछ अन्य अभ्यर्थियों ने उसपर एईई और डीएओ प्रश्नपत्र मांगने का दबाव बनाया लेकिन वह असफल रहा. इसके साथ ही रमेश ने प्रौद्योगिकी की मदद से उत्तर देने के लिए सात उम्मीदवारों के साथ 20-30 लाख रुपये में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए.
डीई रमेश ने सबसे पहले अभ्यर्थियों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मुहैया कराए : वारंगल डीई रमेश ने एईई परीक्षा में नकल करने में की मदद इनसे पैसे लेने के बाद डीई रमेश ने सबसे पहले उन अभ्यर्थियों को माइक्रोफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मुहैया कराए. उम्मीदवार उन्हें बेल्ट में सुरक्षित रख कर परीक्षा हॉल में प्रवेश करते थे. परीक्षार्थियों ने वहां परीक्षक की मदद से प्रश्नपत्रों के फोटो खींचे. वे परीक्षा शुरू होने से 10 मिनट पहले चैटजीपीटी के माध्यम से रमेश ने उपयुक्त उत्तर एकत्र किए और उन्हें व्हाट्सएप फोन कॉल के माध्यम से परीक्षा हॉल में सात परीक्षार्थियों को भेजा.
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पुलिस उस परीक्षक की पहचान करने की कोशिश कर रही है जिसने परीक्षा के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को परीक्षा केंद्रों में ले जाने में मदद की. अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ने की संभावना है.