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Canada-India Tension: ट्रूडो अपने लिए गड्ढा खोद रहे हैं, 'उन्हें देर-सबेर झुकना ही होगा' - एक्सपर्ट

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के द्वारा भारत पर खालिस्तानी चरमपंथी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई है. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रूडो अपने लिए गड्ढा खोद रहे हैं, एक दिन उन्हें झुकना ही पड़ेगा. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

Canada-India Tension
कनाडा भारत तनाव
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 7:29 PM IST

नई दिल्ली: भारत-कनाडा के बीच संबंधों में खटास आ गई है. वहीं राजनयिक संबंधों में तनाव को भारत द्वारा अन्य देशों के साथ बनाए गए किसी भी द्विपक्षीय संबंधों में सबसे कम संबंधों में से एक के रूप में देखा जा सकता है. दरअसल, कनाडा पहला ऐसा पश्चिमी देश है जिसके खिलाफ भारत साहसिक रुख के साथ सामने आया है. इसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के द्वारा भारत सरकार पर कनाडा की धरती पर एक खालिस्तानी चरमपंथी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया. इसके तुरंत बाद भारत ने कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया.

हालांकि, यह सवाल भी सामने आ रहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा पर कड़ी नजर रखी जा रही है. वहीं भारत-कनाडा संबंधों के लिए आगे क्या है और भूराजनीतिक रूप से क्या यह दांव पर है? इस संबंध में भारत के पूर्व राजदूत और विदेश नीति टिप्पणीकार जितेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत ने बताया कि भारत और कनाडा के बीच संबंध फिलहाल निचले स्तर पर हैं, लेकिन अगले छह महीने में चीजें खत्म हो जाएंगी और सुधार होने लगेगा.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में ट्रूडो अपने गठबंधन सहयोगी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के दबाव में अपनी स्थिति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके 25 सांसद उनका समर्थन कर रहे हैं. इसी वजह से उन पर उनकी भाषा बोलने का दबाव है, लेकिन बहुत जल्द ही ट्रूडो को एहसास होगा कि इससे न केवल भारत या कनाडा में बल्कि विश्व स्तर पर भी उनकी लोकप्रियता कम हो रही है. पूर्व राजदूत ने कहा कि पांच देशों के समूह का कोई भी सदस्य ट्रूडो के स्पष्ट समर्थन में सामने नहीं आया है, जो उनके लिए और भी निराशाजनक था. उन्होंने कहा कि जस्टिन ट्रूडो अब एक बिंदु पर झुकना ही होगा जल्दी या फिर बाद में.

विशेष रूप से कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह जो खालिस्तान आंदोलन के प्रबल समर्थक हैं, ने जस्टिन ट्रूडो को कनाडाई प्रधानमंत्री बनने में मदद की है. 20 सितंबर को आयोजित 2021 कनाडाई संघीय चुनाव का उद्देश्य 44वें कनाडाई संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करना था. कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी ने 157 सीटें हासिल कीं, लेकिन बहुमत सरकार के लिए आवश्यक 170 सीटों से पीछे रह गई थी. वहीं 2021 के चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने 25 सीटें हासिल कीं. इसके बाद, जस्टिन ट्रूडो ने जगमीत सिंह के साथ एक समझौता किया, जिससे 25 एनडीपी सदस्यों (कुल सीटें 182) द्वारा समर्थित सरकार का गठन हुआ.

इस व्यवस्था के तहत ट्रूडो के उदारवादियों ने विभिन्न मुद्दों पर वामपंथी झुकाव वाले एनडीपी को अपना समर्थन देने का वादा किया. भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गिरावट पहली बार तब देखी गई जब भारत ने पश्चिमी देशों विशेषकर कनाडा पर चरमपंथी सिख समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि कनाडा ने भारत के लिए खतरा पैदा करने वाले अलगाववादी कारण का समर्थन किया है. भारतीय अधिकारियों ने कनाडा, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने समकक्षों पर हस्तक्षेप न करने का आरोप लगाया है क्योंकि खालिस्तान के लिए प्रवासी लामबंदी, स्वतंत्र राष्ट्र जिसे सिख अलगाववादी पंजाब क्षेत्र में स्थापित करना चाहते हैं. इसको लेकर भारतीय राजनयिक मिशनों में न केवल तोड़फोड़ की गई बल्कि भारतीय राजनयिकों को कई बार धमकी भी दी है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति से संबंधित मुद्दों के विशेषज्ञ पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि हम भारत-कनाडा संबंधों के साथ सहज रहे हैं.

भारत हमेशा से चाहता था कि कनाडा को उन अलगाववादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो घृणा अपराध फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि रिश्ते को इस स्तर तक ले जाने की ज़िम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से कनाडाई प्रधानमंत्री की होगी क्योंकि ऐसा लगता है कि उन्होंने यह निर्णय अपने घरेलू राजनीतिक विचार के आधार पर लिया है. इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्टों के अनुसार कनाडा में भारतीय राजनयिकों की खुफिया जानकारी के लिए जासूसी की गई थी, जिसके कारण जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाए थे. रिपोर्टों के अनुसार इसमें कनाडा में भारतीय अधिकारी और राजनयिक शामिल थे और कुछ खुफिया जानकारी फाइव आइज खुफिया-साझाकरण गठबंधन के एक सदस्य द्वारा प्रदान की गई थी.

इसमें कनाडा के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. हालांकि इस मामले के बारे में पूछे जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने इस तरह के खुलासों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि जासूसी का मुद्दा एक गंभीर मामला है और भारत को इसकी गहराई से जांच करनी होगी. यह वियना कन्वेंशन का भी उल्लंघन है, जिसके तहत हमारे राजनयिक विभिन्न देशों में सेवा करते हैं.

उन्होंने कहा कि ट्रूडो सत्ता में रहना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें खालिस्तान के कट्टर समर्थक और प्रवर्तक जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी की सनक और दबाव के आगे झुकना होगा. कनाडा के कड़े आरोप के खिलाफ एक साहसिक कदम में भारत ने कनाडाई लोगों के लिए वीजा निलंबित कर दिया. इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि सभी श्रेणियों के वीजा निलंबित हैं. मुद्दा भारत की यात्रा का नहीं है, बल्कि मुद्दा कनाडा सरकार द्वारा हिंसा भड़काने और निष्क्रियता का है. जिनके पास वैध वीजा और ओसीआई कार्ड हैं वे स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते हैं. बता दें कि ट्रूडो द्वारा संसद को संबोधित करते हुए कहा गया कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास विश्वसनीय सबूत हैं कि भारत सरकार ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख अलगाववादी नेता निज्जर की घातक गोलीबारी में शामिल थी, जिसके बाद राजनयिक संबंध एक नए निचले स्तर पर पहुंच गए. गौरतलब है कि भारत के बाहर कनाडा में सबसे ज्यादा सिख आबादी रहती है और इससे पहले, कनाडा की सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि वह इसकी रक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेगी लेकिन ऐसा करने में विफल रही.

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नई दिल्ली: भारत-कनाडा के बीच संबंधों में खटास आ गई है. वहीं राजनयिक संबंधों में तनाव को भारत द्वारा अन्य देशों के साथ बनाए गए किसी भी द्विपक्षीय संबंधों में सबसे कम संबंधों में से एक के रूप में देखा जा सकता है. दरअसल, कनाडा पहला ऐसा पश्चिमी देश है जिसके खिलाफ भारत साहसिक रुख के साथ सामने आया है. इसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के द्वारा भारत सरकार पर कनाडा की धरती पर एक खालिस्तानी चरमपंथी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया. इसके तुरंत बाद भारत ने कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया.

हालांकि, यह सवाल भी सामने आ रहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा पर कड़ी नजर रखी जा रही है. वहीं भारत-कनाडा संबंधों के लिए आगे क्या है और भूराजनीतिक रूप से क्या यह दांव पर है? इस संबंध में भारत के पूर्व राजदूत और विदेश नीति टिप्पणीकार जितेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत ने बताया कि भारत और कनाडा के बीच संबंध फिलहाल निचले स्तर पर हैं, लेकिन अगले छह महीने में चीजें खत्म हो जाएंगी और सुधार होने लगेगा.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में ट्रूडो अपने गठबंधन सहयोगी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के दबाव में अपनी स्थिति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके 25 सांसद उनका समर्थन कर रहे हैं. इसी वजह से उन पर उनकी भाषा बोलने का दबाव है, लेकिन बहुत जल्द ही ट्रूडो को एहसास होगा कि इससे न केवल भारत या कनाडा में बल्कि विश्व स्तर पर भी उनकी लोकप्रियता कम हो रही है. पूर्व राजदूत ने कहा कि पांच देशों के समूह का कोई भी सदस्य ट्रूडो के स्पष्ट समर्थन में सामने नहीं आया है, जो उनके लिए और भी निराशाजनक था. उन्होंने कहा कि जस्टिन ट्रूडो अब एक बिंदु पर झुकना ही होगा जल्दी या फिर बाद में.

विशेष रूप से कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह जो खालिस्तान आंदोलन के प्रबल समर्थक हैं, ने जस्टिन ट्रूडो को कनाडाई प्रधानमंत्री बनने में मदद की है. 20 सितंबर को आयोजित 2021 कनाडाई संघीय चुनाव का उद्देश्य 44वें कनाडाई संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव करना था. कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी ने 157 सीटें हासिल कीं, लेकिन बहुमत सरकार के लिए आवश्यक 170 सीटों से पीछे रह गई थी. वहीं 2021 के चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने 25 सीटें हासिल कीं. इसके बाद, जस्टिन ट्रूडो ने जगमीत सिंह के साथ एक समझौता किया, जिससे 25 एनडीपी सदस्यों (कुल सीटें 182) द्वारा समर्थित सरकार का गठन हुआ.

इस व्यवस्था के तहत ट्रूडो के उदारवादियों ने विभिन्न मुद्दों पर वामपंथी झुकाव वाले एनडीपी को अपना समर्थन देने का वादा किया. भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गिरावट पहली बार तब देखी गई जब भारत ने पश्चिमी देशों विशेषकर कनाडा पर चरमपंथी सिख समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि कनाडा ने भारत के लिए खतरा पैदा करने वाले अलगाववादी कारण का समर्थन किया है. भारतीय अधिकारियों ने कनाडा, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने समकक्षों पर हस्तक्षेप न करने का आरोप लगाया है क्योंकि खालिस्तान के लिए प्रवासी लामबंदी, स्वतंत्र राष्ट्र जिसे सिख अलगाववादी पंजाब क्षेत्र में स्थापित करना चाहते हैं. इसको लेकर भारतीय राजनयिक मिशनों में न केवल तोड़फोड़ की गई बल्कि भारतीय राजनयिकों को कई बार धमकी भी दी है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति से संबंधित मुद्दों के विशेषज्ञ पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि हम भारत-कनाडा संबंधों के साथ सहज रहे हैं.

भारत हमेशा से चाहता था कि कनाडा को उन अलगाववादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो घृणा अपराध फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि रिश्ते को इस स्तर तक ले जाने की ज़िम्मेदारी व्यक्तिगत रूप से कनाडाई प्रधानमंत्री की होगी क्योंकि ऐसा लगता है कि उन्होंने यह निर्णय अपने घरेलू राजनीतिक विचार के आधार पर लिया है. इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्टों के अनुसार कनाडा में भारतीय राजनयिकों की खुफिया जानकारी के लिए जासूसी की गई थी, जिसके कारण जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाए थे. रिपोर्टों के अनुसार इसमें कनाडा में भारतीय अधिकारी और राजनयिक शामिल थे और कुछ खुफिया जानकारी फाइव आइज खुफिया-साझाकरण गठबंधन के एक सदस्य द्वारा प्रदान की गई थी.

इसमें कनाडा के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. हालांकि इस मामले के बारे में पूछे जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने इस तरह के खुलासों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि जासूसी का मुद्दा एक गंभीर मामला है और भारत को इसकी गहराई से जांच करनी होगी. यह वियना कन्वेंशन का भी उल्लंघन है, जिसके तहत हमारे राजनयिक विभिन्न देशों में सेवा करते हैं.

उन्होंने कहा कि ट्रूडो सत्ता में रहना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें खालिस्तान के कट्टर समर्थक और प्रवर्तक जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी की सनक और दबाव के आगे झुकना होगा. कनाडा के कड़े आरोप के खिलाफ एक साहसिक कदम में भारत ने कनाडाई लोगों के लिए वीजा निलंबित कर दिया. इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि सभी श्रेणियों के वीजा निलंबित हैं. मुद्दा भारत की यात्रा का नहीं है, बल्कि मुद्दा कनाडा सरकार द्वारा हिंसा भड़काने और निष्क्रियता का है. जिनके पास वैध वीजा और ओसीआई कार्ड हैं वे स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते हैं. बता दें कि ट्रूडो द्वारा संसद को संबोधित करते हुए कहा गया कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों के पास विश्वसनीय सबूत हैं कि भारत सरकार ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख अलगाववादी नेता निज्जर की घातक गोलीबारी में शामिल थी, जिसके बाद राजनयिक संबंध एक नए निचले स्तर पर पहुंच गए. गौरतलब है कि भारत के बाहर कनाडा में सबसे ज्यादा सिख आबादी रहती है और इससे पहले, कनाडा की सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि वह इसकी रक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेगी लेकिन ऐसा करने में विफल रही.

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