मुंबई : मुंबई में कई जगहें वेश्यावृत्ति बाजार (Prostitution In Mumbai) के लिए कुख्यात हैं, जहां लंबे समय से वेश्यावृत्ति का बाजार फल-फूल रहा है. यहां कुछ महिलाएं अपहरण कर लाई जाती हैं तो कुछ अत्यधिक गरीबी में जीते हुए अच्छी नौकरी और बेहतर जीवन के वादे से ठगी जाती हैं. मुख्यधारा का समाज इन्हें हमेशा नजर अंदाज करता रहा है. जिसका नतीजा यह होता है कि कई महिलाएं खुद को बेचना जारी रखती हैं. दो दशक से ज्यादा समय से जबरन वेश्यावृत्ति में धकेली गई महिलाओं को मुक्त करने में लगी त्रिवेणी आचार्य (Triveni acharya) बताती हैं कि कोई भी वेश्यावृत्ति में उत्साह के साथ नहीं आता है, मजबूरी और गरीबी उन्हें अपना जिस्म बेचने के लिए मजबूर करती है.
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अब तक 7,000 यौनकर्मियों को वेश्यावृत्ति के चंगुल से मुक्त करा चुकी त्रिवेणी कहती है कि हमें उनके बारे में सोचना होगा और उनके प्रति हमारी सोच को बदलना होगा. अगर हम कोशिश करें तो संभव है कि जिस्मफरोशी की इस बाजार को खत्म किया जा सके. पत्रकार से समाजसेवी बनी त्रिवेणी ने अपने सफर के बारे में बताया कि 1993 के बाद हमने अपनी सीमित क्षमता में लगभग तीन वर्षों तक काम किया. इसके बाद हमने मुंबई में मैती नेपाल की एक शाखा खोली, क्योंकि अधिकांश लड़कियां नेपाल से ही आई होती थीं. हम लड़कियों को छुड़ाते और एनजीओ को सौंप देते. इसके कुछ साल बाद रेस्क्यू फाउंडेशन (Rescue Foundation) का जन्म हुआ. फिर हमारे संगठन को एक इमारत दान में मिली, जिसे हमने आश्रय गृह बना दिया.
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त्रिवेणी रेस्क्यू फाउंडेशन (Rescue Foundation) के बैनर तले यह काम करती है. रेस्क्यू फाउंडेशन में सौ से ज्यादा सदस्य हैं, जिनमें अंडरकवर जांचकर्ताओं और मुखबिरों का एक समूह है. त्रिवेणी ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होने के नाते इसे सरकार से आर्थिक मदद मिलती है, जबकि थोड़ा बहुत काम करके हम स्वावलंबी होने की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इन लड़कियों के बीच सुकून मिलता है. उनके मुस्कराते चेहरे मुझे ताकत देते हैं.