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त्रिपुरा के मेइती समुदाय ने मणिपुर में शांति की अपील की - Meitei Community in Tripura

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

त्रिपुरा के मेइती समुदाय ने मणिपुर में शांति की अपील की
त्रिपुरा के मेइती समुदाय ने मणिपुर में शांति की अपील की
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Published : Jun 12, 2023, 12:24 PM IST

अगरतला: त्रिपुरा में मेइती समुदाय ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति की अपील की और जातीय आधार पर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम का विरोध किया है. 'पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी' और 'ऑल त्रिपुरा मेइती कम्युनिटी' ने हिंसा प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप की भी मांग की. 'पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी' के दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को कहा, 'हम तीन मई से मणिपुर में हो रही घटनाओं को लेकर चिंतित हैं. हम जातीय आधार पर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करते हैं. समग्र विकास के लिए शांति बहाल होनी चाहिए.'

दोनों संगठनों ने रविवार को अगरतला में ‘कैंडल मार्च’ निकाला. अगरतला के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले मणिपुर के छात्रों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की मौत हुई है और 310 अन्य घायल हुए हैं. गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च/ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं.

पढ़ें: मणिपुर हिंसा: 349 राहत शिविरों में रह रहे 50 हजार से अधिक विस्थापित लोग

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं. हिंसा के बाद से मणिपुर के कई आदिवासी विधायकों ने जातीय आधार पर राज्य के विभाजन की मांग की है, जिसका मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विरोध किया है.

पीटीआई-भाषा

अगरतला: त्रिपुरा में मेइती समुदाय ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति की अपील की और जातीय आधार पर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम का विरोध किया है. 'पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी' और 'ऑल त्रिपुरा मेइती कम्युनिटी' ने हिंसा प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप की भी मांग की. 'पुथिबा वेलफेयर एंड कल्चरल सोसाइटी' के दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को कहा, 'हम तीन मई से मणिपुर में हो रही घटनाओं को लेकर चिंतित हैं. हम जातीय आधार पर राज्य को विभाजित करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करते हैं. समग्र विकास के लिए शांति बहाल होनी चाहिए.'

दोनों संगठनों ने रविवार को अगरतला में ‘कैंडल मार्च’ निकाला. अगरतला के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले मणिपुर के छात्रों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की मौत हुई है और 310 अन्य घायल हुए हैं. गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च/ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं.

पढ़ें: मणिपुर हिंसा: 349 राहत शिविरों में रह रहे 50 हजार से अधिक विस्थापित लोग

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं. हिंसा के बाद से मणिपुर के कई आदिवासी विधायकों ने जातीय आधार पर राज्य के विभाजन की मांग की है, जिसका मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विरोध किया है.

पीटीआई-भाषा

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