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त्रिपुरा हिंसा : SC ने आदेश के बावजूद नोटिस भेजने पर पुलिस को लगाई फटकार - tripura violence

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को त्रिपुरा पुलिस को राज्य में कथित सांप्रदायिक हिंसा (Tripura Police) को लेकर किए गए एक पत्रकार के ट्वीट के संबंध में ट्विटर को दिए नोटिस पर कार्रवाई करने से रोक दिया था. इसके बाद भी त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया था.

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सुप्रीम कोर्ट त्रिपुरा हिंसा
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Published : Feb 7, 2022, 3:18 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने के उसके आदेश के बावजूद त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर सामग्री साझा करने वाले लोगों को नोटिस भेजने के लिए त्रिपुरा पुलिस (SC slammed Tripura Police) को सोमवार को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक पीठ ने राज्य के अधिकवक्ता को आगाह किया कि अगर त्रिपुरा पुलिस ने लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो वह गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को समन करेंगे.

शीर्ष अदालत पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. शब्बीर खान ने त्रिपुरा पुलिस द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत पेश होने के लिए उन्हें जारी किए नोटिस के खिलाफ यह याचिका दायर की थी. पीठ ने कहा, 'पुलिस अधीक्षक को सूचित करें कि इस तरह से लोगों को परेशान नहीं करें. किसी को उच्चतम न्यायालय आने की जरूरत क्यों पड़े? अगर यह उत्पीड़न नहीं है तो क्या है.'

पीठ ने कहा, 'अगर हमें पता लगा कि पुलिस अधीक्षक लोगों को नोटिस जारी करके आदेश के अनुपालन से बचने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम उन्हें अदालत बुलाएंगे और उनकी जवाबदेही तय की जाएगी. हम गृह सचिव सहित सभी को अदालत में पेश होने को कहेंगे...एक बार जब हमने इस संबंध में आदेश पारित कर दिया है तो आपको जिम्मेदाराना रवैया दिखाना चाहिए.'

खान की ओर से अधिवक्ता शाहरुख आलम ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को एक अंतरिम आदेश पारित कर पुलिस को पत्रकार के ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया था. आलम ने कहा, 'मैंने दस्ती नोटिस के लिए अनुरोध नहीं किया था...आदेश पुलिस अधीक्षक तक नहीं पहुंचा है. मुझे (याचिकाकर्ता को) दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए के तहत अगरतला में आज उनके समक्ष पेश होने को नोटिस भेजा गया है. हालांकि, इस आदेश के संबंध में काफी खबरें चली थीं.'

त्रिपुरा सरकार के वकील ने अनुरोध किया कि मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया जाए. इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा, 'जब आपने आज पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है, तो दो सप्ताह के लिए मामले को स्थगित करने के अनुरोध से आपका क्या तात्पर्य है?' शीर्ष अदालत ने त्रिपुरा पुलिस को निर्देश दिया कि वह मामले में खान को पेश होने के नोटिस के संबंध में कोई और कदम नहीं उठाए.

पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि इस अदालत द्वारा पारित 10 जनवरी 2022 का आदेश, जिसके संबंध में व्यापक रूप से खबरें दी गईं, हालांकि औपचारिक रूप से पुलिस अधीक्षक को दिया जाना बाकी है. जैसा कि सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत 20 जनवरी 2022 को एक नोटिस जारी किया गया था... जिसके तहत याचिकाकर्ता को आज पेश होना है.'

यह भी पढ़ें- त्रिपुरा हिंसा: SC ने दो पत्रकारों के खिलाफ पुलिस की कार्यवाही पर लगाई रोक

अदालत ने कहा, 'याचिकाकर्ता को क्योंकि 10 जनवरी को पारित आदेश के तहत संरक्षण मिल चुका है, इसिलए आगामी आदेश लंबित रहने तक धारा 41ए के तहत जारी नोटिस के अनुरूप कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. त्रिपुरा राज्य के वकील, वर्तमान आदेश और पिछले आदेश दिनांक 10 जनवरी 2022 की प्रतियां पुलिस अधीक्षक को पहुंचाएं.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने के उसके आदेश के बावजूद त्रिपुरा में कथित सांप्रदायिक हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर सामग्री साझा करने वाले लोगों को नोटिस भेजने के लिए त्रिपुरा पुलिस (SC slammed Tripura Police) को सोमवार को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की एक पीठ ने राज्य के अधिकवक्ता को आगाह किया कि अगर त्रिपुरा पुलिस ने लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो वह गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को समन करेंगे.

शीर्ष अदालत पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. शब्बीर खान ने त्रिपुरा पुलिस द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत पेश होने के लिए उन्हें जारी किए नोटिस के खिलाफ यह याचिका दायर की थी. पीठ ने कहा, 'पुलिस अधीक्षक को सूचित करें कि इस तरह से लोगों को परेशान नहीं करें. किसी को उच्चतम न्यायालय आने की जरूरत क्यों पड़े? अगर यह उत्पीड़न नहीं है तो क्या है.'

पीठ ने कहा, 'अगर हमें पता लगा कि पुलिस अधीक्षक लोगों को नोटिस जारी करके आदेश के अनुपालन से बचने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम उन्हें अदालत बुलाएंगे और उनकी जवाबदेही तय की जाएगी. हम गृह सचिव सहित सभी को अदालत में पेश होने को कहेंगे...एक बार जब हमने इस संबंध में आदेश पारित कर दिया है तो आपको जिम्मेदाराना रवैया दिखाना चाहिए.'

खान की ओर से अधिवक्ता शाहरुख आलम ने पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को एक अंतरिम आदेश पारित कर पुलिस को पत्रकार के ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया था. आलम ने कहा, 'मैंने दस्ती नोटिस के लिए अनुरोध नहीं किया था...आदेश पुलिस अधीक्षक तक नहीं पहुंचा है. मुझे (याचिकाकर्ता को) दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए के तहत अगरतला में आज उनके समक्ष पेश होने को नोटिस भेजा गया है. हालांकि, इस आदेश के संबंध में काफी खबरें चली थीं.'

त्रिपुरा सरकार के वकील ने अनुरोध किया कि मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया जाए. इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा, 'जब आपने आज पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है, तो दो सप्ताह के लिए मामले को स्थगित करने के अनुरोध से आपका क्या तात्पर्य है?' शीर्ष अदालत ने त्रिपुरा पुलिस को निर्देश दिया कि वह मामले में खान को पेश होने के नोटिस के संबंध में कोई और कदम नहीं उठाए.

पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि इस अदालत द्वारा पारित 10 जनवरी 2022 का आदेश, जिसके संबंध में व्यापक रूप से खबरें दी गईं, हालांकि औपचारिक रूप से पुलिस अधीक्षक को दिया जाना बाकी है. जैसा कि सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत 20 जनवरी 2022 को एक नोटिस जारी किया गया था... जिसके तहत याचिकाकर्ता को आज पेश होना है.'

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अदालत ने कहा, 'याचिकाकर्ता को क्योंकि 10 जनवरी को पारित आदेश के तहत संरक्षण मिल चुका है, इसिलए आगामी आदेश लंबित रहने तक धारा 41ए के तहत जारी नोटिस के अनुरूप कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. त्रिपुरा राज्य के वकील, वर्तमान आदेश और पिछले आदेश दिनांक 10 जनवरी 2022 की प्रतियां पुलिस अधीक्षक को पहुंचाएं.'

(पीटीआई-भाषा)

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