अगरतला : संतरे की खेती को पुनर्जीवित करने के प्रयास में त्रिपुरा के बागवानी और मृदा संरक्षण विभाग ने एक विशेष पहल की है. नागपुर स्थित सेंट्रल साइट्रस रिसर्च इंस्टीट्यूट के चार प्रतिनिधियों की एक टीम ने इस संबंध में 27-28 अप्रैल को जामपुई पहाड़ी में संतरा उत्पादकों के साथ संतरे के बागों का दौरा किया. चार प्रतिनिधियों की टीम में नागपुर स्थित आईसीएआर सीसीआरआई के निदेशक डॉ. दिलीप घोष, प्रधान वैज्ञानिक (प्लांट पैथोलॉजी) डॉ. ए के दास, प्रधान वैज्ञानिक (बागवानी) डॉ. ए ए मुखर्जी और प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) डॉ. जी टी बेहेरे थे. टीम के दो प्रतिनिधियों ने अपने दौरे के दौरान सुझाव दिया कि जामपुई पहाड़ियों में संतरे की खेती को पुनर्जीवित करना संभव है. इसके लिए संतरा उत्पादकों को अधिक जागरूक, मेहनती और वैज्ञानिक तरीके से खेती करनी चाहिए.
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बागवानी और मृदा संरक्षण विभाग को इस संबंध में आवश्यक पहल करनी चाहिए. ताकि गुणवत्ता वाले संतरे के पेड़ के उत्पादन के लिए नर्सरी स्थापित की जा सके. साइट्रस अनुसंधान संस्थान और बागवानी और मृदा संरक्षण विभाग और मिलकर उत्तरी त्रिपुरा जिले का किसान ज्ञान केंद्र इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान जम्पुई पहाड़ी प्रखंड सलाहकार समिति के अध्यक्ष रियाकचुंगनुंगा, उद्यान एवं मृदा संरक्षण विभाग के निदेशक डॉ. फणी भूषण जमातिया उपस्थित थे. प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 60 संतरा उत्पादकों ने भाग लिया. टीम के 2 दिवसीय दौरे के दौरान उत्तर त्रिपुरा जिले के कृषि शोधकर्ता और बागवानी और मृदा संरक्षण विभाग के जिला अधिकारी भी उपस्थित थे.
29 अप्रैल को सेंट्रल साइट्रस रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने किल्ला प्रखंड के उत्तरी बारामुरा गांव क्षेत्र के संतरा बाग का दौरा किया. वहां संतरा उत्पादकों से बातचीत की. उन्होंने वहां नर्सरी के उचित रखरखाव, वर्षा से पहले और बाद में पेड़ों के रखरखाव, संतरे के पेड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने और कीड़ों की रोकथाम पर एक कार्यशाला भी आयोजित की. यहां 50 संतरा उत्पादकों ने कार्यशाला में भाग लिया. विधायक रामपाड़ा जमातिया और उद्यान एवं मृदा संरक्षण विभाग के निदेशक डॉ. फणी भूषण इस दौरे के दौरान उपस्थित थे.