अगरतला : त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वाम मोर्चा के संयोजक बिजन धर (Bijan Dhar) के खिलाफ चल रही जांच पर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी है. धर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया गया था. राज्यभर के कई पुलिस थानों में उनके खिलाफ दर्ज की गई और उनके ट्वीट को भड़काऊ करार दिया गया था.
बता दें, धन अपनी पार्टी में अकेले नहीं थे जिनके खिलाफ इस मामले में जांच चल रही हो. पूर्व मंत्री और सीपीएम विधायक भानु लाल साहा को भी सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में कई एफआईआर का सामना करना पड़ा था. साहा के मामले में, अदालत ने पुलिस को एक विशिष्ट पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी के अनुसार जांच जारी रखने का निर्देश दिया था.
प्राथमिकी को लेकर जांच
एक वकील ने कहा, तीन वाम नेता बिजन धर, जितेंद्र चौधरी और भानु लाल साहा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी की एकल पीठ ने धर द्वारा प्राथमिकी के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. तब तक जांच पर रोक रहेगी.
साहा के मामले में, अदालत ने पुलिस को एक विशिष्ट पुलिस स्टेशन में कुल छह में से एक प्राथमिकी को लेकर जांच जारी रखने का निर्देश दिया था.
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वामपंथी नेताओं को बदनाम करने की कोशिश
इस बीच, सीपीएम नेता जितेंद्र चौधरी द्वारा दायर याचिका पर अगले मंगलवार को सुनवाई होगी. हालांकि, सीपीएम ने अपने नेताओं पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया. पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी का कहना है कि यह पुलिस द्वारा राजनीति से प्रेरित उत्पीड़न का काम था. उन्होंने दावा किया कि भाजपा को आभास हो गया था कि उसकी लोकप्रियता तेजी से घट रही है और उसी हताशा से सम्मानित वामपंथी नेताओं को बदनाम करने के लिए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं.