अगरतला: त्रिपुरा में 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए गुरुवार को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. यह जानकारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) जी. किरणकुमार दिनाकरो ने दी. दिनाकरो ने बताया कि 3,337 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा, जिनमें से 1,100 की पहचान संवेदनशील और 28 की पहचान अति संवेदनशील के रूप में की गई है.
चुनाव में मुख्य रूप से भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन, माकपा-कांग्रेस गठबंधन और पूर्वोत्तर राज्य के पूर्व शाही परिवार के वंशज द्वारा गठित एक क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा हैं. वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी. सीईओ ने कहा कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए 31,000 मतदानकर्मी और केंद्रीय बलों के 25,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं. इसके अलावा, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सशस्त्र पुलिस और राज्य पुलिस के 31,000 कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा.
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Agartala, Tripura | We have made comprehensive security plans for each and every district. Central forces deployed in every booth. There is CCTV camera. Area domination will be conducted to control miscreants. Sec 144 was imposed in entire city: Ajoy Kumar Das, SDPO Sadar Tripura pic.twitter.com/zIdEMBAF0K
— ANI (@ANI) February 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एहतियाती उपायों के तहत राज्य भर में पहले ही निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और यह 17 फरवरी की सुबह छह बजे तक लागू रहेगी. उपद्रवियों को राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमाओं को भी सील कर दिया गया है. कुल मिलाकर 13.53 लाख महिलाओं सहित 28.13 लाख मतदाता 259 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे, जिनमें से 20 महिलाएं हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा टाउन बारडोवली निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार हैं, जबकि केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक भाजपा के टिकट पर धनपुर से चुनाव लड़ रही हैं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी सबरूम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वह वाम-कांग्रेस गठबंधन का चेहरा हैं. टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत देबबर्मा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. भाजपा 55 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, एक सीट पर दोस्ताना मुकाबला होगा.
माकपा 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. टिपरा मोथा ने 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. तृणमूल कांग्रेस ने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जबकि 58 निर्दलीय उम्मीदवार हैं. राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा ने सबसे अधिक 12 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. चुनाव प्रचार के दौरान, भाजपा ने पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर राज्य में हुए विकास पर प्रकाश डाला, वाम मोर्चा और कांग्रेस ने भाजपा-आईपीएफटी सरकार के कुशासन पर जोर दिया. टिपरा मोथा का चुनावी मुद्दा ग्रेटर टिपरालैंड राज्य की मांग है.
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Tripura Assembly Election-2023: A quick view. @ECISVEEP @SpokespersonECI #TripuraElections2023 #TripuraElections2023 pic.twitter.com/bQ3e8ARgcQ
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माणिक सरकार: त्रिपुरा की चुनावी जंग में माकपा के एक अनुभवी राजनेता
पूर्वोत्तर में कम्युनिस्ट आंदोलन को मूर्त रूप देने वाले माणिक सरकार चुनावी राज्य त्रिपुरा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सबसे अनुभवी राजनेता हैं. उनके एक सहयोगी ने माणिक सरकार को एक अनुभवी राजनेता करार देते हुए कहा कि पार्टी उन्हें संन्यास लेने की अनुमति नहीं दे सकती. कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर को नियंत्रित करने की बात आती है, तो वह 74 वर्षीय माणिक सरकार के अलावा और कोई नहीं है.
यही वजह है कि उन्होंने उपद्रव ग्रस्त इस क्षेत्र में माकपा नीत सरकार का 20 सालों की लंबी अवधि तक नेतृत्व किया. हालांकि, वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लहर ने उनकी पार्टी के शासन का अंत कर दिया. वह पिछले कई सप्ताह से कठिन कार्यक्रम में व्यस्त हैं और जीप से सफर करके तथा पैदल चलकर त्रिपुरा की पहाड़ियों और घाटियों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. त्रिपुरा को बांग्लादेश के चारों तरफ लिपटी भूमि की अंगुली के रूप में वर्णित किया जाता है.
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि मैंने अपने सहयोगियों को इस बात के लिए राजी किया कि युवा नेताओं को लाना चाहिए, क्योंकि मैं वर्ष 1979 से चुनाव लड़ रहा हूं और 20 सालों तक मुख्यमंत्री रह चुका हूं. इसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि यद्यपि मैं यहां जंग के मैदान में हूं. माकपा के औसत कार्यकर्ता या समर्थक की नजर में सरकार समूचे वाम मोर्चा के लिए हमेशा से स्टार प्रचारक रहे हैं, हालांकि सीताराम येचुरी, बृंदा करात और मोहम्मद सलीम जैसे माकपा के बड़े राजनेता भी राज्य में उतारे गये हैं.
पूर्वोत्तर से जुड़े राजनीतिक मामलों के टिप्पणीकार और पूर्व पत्रकार शेखर दत्ता ने कहा कि कई आम लोग खासकर उनकी पार्टी का कैडर व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन में उनकी सत्यनिष्ठा और स्वच्छ छवि के लिए उनकी ओर देखता है. माकपा नेता इस बात पर सहमत दिखते हैं कि इस बार असली लड़ाई लोकतंत्र की बहाली, नागरिक आजादी, रोजगार सृजन और आय तथा क्रय शक्ति में बढ़ोतरी को लेकर होगी.
मध्यम परिवार में जन्में सरकार ने महाराज बीर बिक्रम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र कार्यकर्ता के रूप में कम्युनिस्ट आंदोलन में भाग लिया. इसके बाद वह जल्द ही कॉलेज में छात्र नेता बन गये. वह 21 साल की उम्र में राज्य माकपा की समिति के सदस्य बन गए. विधायक चुने जाने के बाद वर्ष 1980 में सरकार को पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया गया और 49 साल की उम्र में वह पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य और राज्य के मुख्यमंत्री बन गये.
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सरकार के जीवन का अधिकांश हिस्सा कांग्रेस पार्टी के खिलाफ लड़ाई में बीता है, लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस और माकपा हाथ मिलाते दिख रहे हैं ताकि भाजपा को पराजित किया जा सके. सरकार ने कहा कि यह सच है कि हम विचारधारा के आधार पर एक-दूसरे से लड़े (माकपा और कांग्रेस), लेकिन आरएसएस-भाजपा और उनके फासीवादी शासन ने हमें एकसाथ आने पर मजबूर कर दिया. लेकिन यदि चुनाव में भाजपा के खिलाफ जीत मिलने पर दोनों दलों के लिए मिलकर सरकार चलाना एक बड़ी चुनौती होगी.
(पीटीआई-भाषा)