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कांग्रेस की बुलाई बैठक में शामिल न होने से आसमान नहीं टूटा : टीएमसी - कांग्रेस की बैठक

हाल के दिनों में कांग्रेस विधायकों के टीएमसी में शामिल होने, संसद सत्र से पहले कांग्रेस की ओर से बुलाई बैठक में टीएमसी के शामिल न होने से ये बात तो साफ है कि दोनों पार्टियों की बीच सबकुछ ठीक नहीं है. कांग्रेस की बैठक में शामिल न होने पर टीएमसी का क्या कहना है, जानिए ईटीवी भारत संवाददाता अभिजीत ठाकुर की इस रिपोर्ट में.

TMC leader with Sukhendu Shekhar Roy (Photo: ETV Bharat)
सुखेन्दु शेखर रॉय के साथ टीएमसी नेता (फोटो-ईटीवी भारत)
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Published : Nov 29, 2021, 6:25 PM IST

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले कांग्रेस की पहल पर विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई गई लेकिन तृणमूल कांग्रेस समेत चार प्रमुख विपक्षी पार्टियां इसमें शामिल नहीं हुईं. हालांकि पिछले अवसरों पर जब भी इस तरह की बैठक कांग्रेस पार्टी ने बुलाई तब तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि मौजूद रहते थे लेकिन बीते कुछ दिनों में तृणमूल और कांग्रेस पार्टी के बीच खटास बढ़ी है. इसका प्रमुख कारण कांग्रेस के कई नेताओं और विधायकों का तृणमूल में शामिल होना भी है. हालांकि इस संबंध में तृणमूल सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय (Trinamool MP Sukhendu Sekhar Roy) का कहना है कि कांग्रेस की बैठक में शामिल न होने से कोई आसमान नहीं टूटा है. यह एक सामान्य बात है.

सुनिए टीएमसी सांसद सुखेन्दु रॉय ने क्या कहा

तृणमूल सांसद ने कहा कि यदि कोई पार्टी बैठक में बुलाती है तो उसमें जाना या न जाना एक पार्टी का स्टैंड होता है. हमने कभी कांग्रेस को अपने यहां बैठक में नहीं बुलाया और उनके बुलाने पर जाने या न जाने का निर्णय लेना पार्टी के ऊपर है. सुखेन्दु ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यदि मुद्दा एक है और एक साथ लड़ने का इरादा है तो सबकुछ एक साथ हो सकता है. भविष्य में क्या होगा यह तो भविष्य ही बताएगा. इस तरह से समान मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के एकजुट हो कर सामने आने की संभावना से तृणमूल नेता ने इनकार नहीं किया है.

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी अपने दिल्ली दौरे पर सोनिया गांधी समेत कई अन्य प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करती रहीं लेकिन हाल के अपने दिल्ली दौरे के दौरान सोनिया से मुलाकात नहीं की. यही नहीं दोनों पार्टियों के नेता भी अब एक दूसरे के खिलाफ बयान देने से गुरेज नहीं करते हैं.

पढ़ें- संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति पर कांग्रेस की बैठक

ऐसे में बताया जा रहा है कि एकजुट विपक्ष से अलग ममता ने अपनी पार्टी को अलग चलने को कहा है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर वह अपने पार्टी को और मजबूती से प्रस्तुत कर सकें और उनकी छवि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गुट का हिस्सा होने की बजाय एक अलग विपक्षी पार्टी की बने.

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले कांग्रेस की पहल पर विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बुलाई गई लेकिन तृणमूल कांग्रेस समेत चार प्रमुख विपक्षी पार्टियां इसमें शामिल नहीं हुईं. हालांकि पिछले अवसरों पर जब भी इस तरह की बैठक कांग्रेस पार्टी ने बुलाई तब तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि मौजूद रहते थे लेकिन बीते कुछ दिनों में तृणमूल और कांग्रेस पार्टी के बीच खटास बढ़ी है. इसका प्रमुख कारण कांग्रेस के कई नेताओं और विधायकों का तृणमूल में शामिल होना भी है. हालांकि इस संबंध में तृणमूल सांसद सुखेन्दु शेखर रॉय (Trinamool MP Sukhendu Sekhar Roy) का कहना है कि कांग्रेस की बैठक में शामिल न होने से कोई आसमान नहीं टूटा है. यह एक सामान्य बात है.

सुनिए टीएमसी सांसद सुखेन्दु रॉय ने क्या कहा

तृणमूल सांसद ने कहा कि यदि कोई पार्टी बैठक में बुलाती है तो उसमें जाना या न जाना एक पार्टी का स्टैंड होता है. हमने कभी कांग्रेस को अपने यहां बैठक में नहीं बुलाया और उनके बुलाने पर जाने या न जाने का निर्णय लेना पार्टी के ऊपर है. सुखेन्दु ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यदि मुद्दा एक है और एक साथ लड़ने का इरादा है तो सबकुछ एक साथ हो सकता है. भविष्य में क्या होगा यह तो भविष्य ही बताएगा. इस तरह से समान मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के एकजुट हो कर सामने आने की संभावना से तृणमूल नेता ने इनकार नहीं किया है.

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी अपने दिल्ली दौरे पर सोनिया गांधी समेत कई अन्य प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करती रहीं लेकिन हाल के अपने दिल्ली दौरे के दौरान सोनिया से मुलाकात नहीं की. यही नहीं दोनों पार्टियों के नेता भी अब एक दूसरे के खिलाफ बयान देने से गुरेज नहीं करते हैं.

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ऐसे में बताया जा रहा है कि एकजुट विपक्ष से अलग ममता ने अपनी पार्टी को अलग चलने को कहा है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर वह अपने पार्टी को और मजबूती से प्रस्तुत कर सकें और उनकी छवि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गुट का हिस्सा होने की बजाय एक अलग विपक्षी पार्टी की बने.

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