नई दिल्ली : तृणमूल के वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि अधिकांश विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग की और व्यापार सलाहकार समिति में भी सदस्यों ने विधेयक पर चर्चा के लिए कहा लेकिन दुर्भाग्य से लोकसभा या राज्यसभा में कोई चर्चा नहीं हुई. हम कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हैं.
संसद हमारे लोकतंत्र का सर्वोच्च मंच है, जहां इस देश के लोगों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की बहुत आवश्यकता है. कृषक समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है. तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल साल भर के कृषि विरोध, उस दौरान हुई मौतों और लखीमपुर खीरी की घटना का मुद्दा उठाना चाहते थे जिसमें 8 लोग मारे गए थे.
इन तीनों कृषि कानूनों के निरस्त होने से अन्य संबंधित मुद्दे जिन पर विपक्ष सरकार को दोनों सदनों में बैकफुट पर रखना चाहता था, नहीं हो सका. तृणमूल कांग्रेस ने मांग की है कि संसद में पेश किए गए सभी विधेयकों पर पहले स्टैंडिंग कमेटी में चर्चा होनी चाहिए. तृणमूल सांसद ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि संसद में विधेयकों पर चर्चा की दर कम है. उन्होंने कहा, चर्चा की दर इतनी नगण्य है कि दस में से केवल एक विधेयक की या तो स्थायी समिति या चयन समिति द्वारा स्क्रूटनी की जाती है. हम मांग करते हैं कि विधेयकों की पहले स्क्रूटनी की जाए और फिर सदन में पेश किया जाए.
संसद के मानसून सत्र के दौरान व्यवधान पैदा करने के आरोप में तृणमूल के दो सांसद डोला सेन और शांता छेत्री को शेष सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया. पार्टी नेतृत्व ने निलंबन को अनुचित और असंवैधानिक बताते हुए प्रावधानों के तहत इस मुद्दे को उठाने का फैसला किया है.
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