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त्रिकूट रेस्क्यू ऑपरेशन : पन्नालाल को मिले सम्मान का ग्रामीणों ने जताया विरोध

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Published : Apr 15, 2022, 5:15 PM IST

झारखंड रोपवे हादसे (jharkhand ropeway accident) का त्रिकूट रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरो पन्नालाल को प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किये जाने का ग्रामीणों ने विरोध जताया है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने भी रेस्क्यू में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला.

त्रिकूट रेस्क्यू ऑपरेशन
त्रिकूट रेस्क्यू ऑपरेशन

रांची/देवघर : झारखंड रोपवे हादसे (jharkhand ropeway accident) का त्रिकूट रेस्क्यू ऑपरेशन (trikut rescue operation) पूरा होने के बाद रोपवे कर्मचारी पन्नालाल एक रियल हीरो (real hero pannalal) बनकर उभरे हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सम्मानित कर चुके हैं. अब यही बात कुछ ग्रामीणों को तकलीफ दे रही है. ग्रामीणों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं कि पन्नालाल ने हार्नेस की मदद से रोपवे पर चढ़कर ट्रॉली से पर्यटकों को उतारने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन इस काम में ग्रामीणों की भूमिका भी कम नहीं थी. ग्रामीण अगर रस्सी को खींचने में मदद नहीं करते तो ट्रॉली में फंसे लोग नीचे नहीं आ पाते.

सम्मान नहीं मिलने से ग्रामीणों में रोष : ग्रामीणों का यह भी कहना है कि तीन दिनों तक देवघर के त्रिकुट पर्वत पर चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उन लोगों ने ड्रोन की मदद से पर्यटकों तक पानी-बिस्किट पहुंचाया था. पप्पू नाम के ग्रामीण ने बताया कि 13 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने पन्नालाल को सम्मानित किया था. स्थानीय सांसद निशिकांत दूबे ने पन्नालाल को प्रधानमंत्री से रूबरू करवाया था. लेकिन हम लोगों को कोई सम्मान नहीं मिला. तीन दिन तक बिना खाए-पीये रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मदद पहुंचाते रहे.

नाराज ग्रामीणों का बयान

पढ़ें : झारखंड रोपवे हादसे के बचाव दल से पीएम मोदी ने की बात, कहा- वर्दी पर लोगों की गहरी आस्था

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Ropeway Accidents Chronology: जानिए, देश में कब-कब और कहां-कहां हुए ऐसे रोपवे हादसे

रोपवे बंद होने से रोजी-रोटी पर आफत : ग्रामीणों ने कहा कि पीएम के साथ चर्चा के दौरान अगर उन्हें भी शामिल किया गया होता तो उन्हें खुशी मिलती. इससे उनका भी मनोबल बढ़ता. अब रोपवे बंद होने से रोजी रोटी पर भी आफत आ गई है. एक ग्रामीण ने बताया कि हादसे के बाद एंबुलेंस पहुंचने में देरी हुई तो कई पर्यटकों को कंधों पर लादकर पीसीआर वैन तक पहुंचाया. पीएम के साथ संवाद का कार्यक्रम अगर गांव में होता तो बहुत खुशी मिलती. ग्रामीणों ने कहा कि स्थानीय सासंद निशिकांत दूबे चाहते तो उन्हें भी पीएम के समक्ष अपनी बात रखने का मौका मिलता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

रांची/देवघर : झारखंड रोपवे हादसे (jharkhand ropeway accident) का त्रिकूट रेस्क्यू ऑपरेशन (trikut rescue operation) पूरा होने के बाद रोपवे कर्मचारी पन्नालाल एक रियल हीरो (real hero pannalal) बनकर उभरे हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सम्मानित कर चुके हैं. अब यही बात कुछ ग्रामीणों को तकलीफ दे रही है. ग्रामीणों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं कि पन्नालाल ने हार्नेस की मदद से रोपवे पर चढ़कर ट्रॉली से पर्यटकों को उतारने में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन इस काम में ग्रामीणों की भूमिका भी कम नहीं थी. ग्रामीण अगर रस्सी को खींचने में मदद नहीं करते तो ट्रॉली में फंसे लोग नीचे नहीं आ पाते.

सम्मान नहीं मिलने से ग्रामीणों में रोष : ग्रामीणों का यह भी कहना है कि तीन दिनों तक देवघर के त्रिकुट पर्वत पर चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उन लोगों ने ड्रोन की मदद से पर्यटकों तक पानी-बिस्किट पहुंचाया था. पप्पू नाम के ग्रामीण ने बताया कि 13 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने पन्नालाल को सम्मानित किया था. स्थानीय सांसद निशिकांत दूबे ने पन्नालाल को प्रधानमंत्री से रूबरू करवाया था. लेकिन हम लोगों को कोई सम्मान नहीं मिला. तीन दिन तक बिना खाए-पीये रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मदद पहुंचाते रहे.

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रोपवे बंद होने से रोजी-रोटी पर आफत : ग्रामीणों ने कहा कि पीएम के साथ चर्चा के दौरान अगर उन्हें भी शामिल किया गया होता तो उन्हें खुशी मिलती. इससे उनका भी मनोबल बढ़ता. अब रोपवे बंद होने से रोजी रोटी पर भी आफत आ गई है. एक ग्रामीण ने बताया कि हादसे के बाद एंबुलेंस पहुंचने में देरी हुई तो कई पर्यटकों को कंधों पर लादकर पीसीआर वैन तक पहुंचाया. पीएम के साथ संवाद का कार्यक्रम अगर गांव में होता तो बहुत खुशी मिलती. ग्रामीणों ने कहा कि स्थानीय सासंद निशिकांत दूबे चाहते तो उन्हें भी पीएम के समक्ष अपनी बात रखने का मौका मिलता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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