नई दिल्ली : चकमा डेवलपमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया की मानें तो चटगांव हिल्स के आसपास आदिवासियों का जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है. इस तररह के जबरन धर्मांतरण और बाद बाद खतरे की वजह से हजारों आदिवासी त्रिपुरी आबादी (जो त्रिपुरा से हैं) और बांग्लादेश के खगराचारी जिले (अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ) के विभिन्न गांवों में बस गए हैं.
चकमा डेवलपमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और संस्थापक सुहास चकमा ने ईटीवी भारत के साथ विशेष साक्षात्कार में कहा कि इस तरह के जबरन धर्मांतरण लंबे समय से चल रहा है. हमने संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया है लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
चकमा ने कहा कि दस्तावेजों से पता चलता है कि पिछले एक महीने में कई त्रिपुरियों को इस्लाम में परिवर्तित किया गया है. मोहम्मद सलेम त्रिपुरा, सैयद सुजान त्रिपुरा, अब्दुल्ला त्रिपुरा जैसे नाम कुछ ऐसे हैं जिन्होंने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले के टेकनाफ में धर्मांतरण का सामना किया है.
उन्होंने कहा कि ट्रकनाफ के कई इलाकों पर रोहिंग्या लोगों ने कब्जा कर लिया है. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब को लिखे एक पत्र में त्रिपुरा माइली जोडा, चकमा सोशियो कल्चरल डेवलपमेंट सोसाइटी, चकमा बौद्ध वेलफेयर सोसाइटी, चकमा यूथ प्रोग्रेस एसोसिएशन, चकमा सोशल कल्चरल ऑर्गनाइजेशन और चकमा डेवलपमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया सहित छह संगठनों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश के खगराचारी जिले के छह अलग-अलग गांवों के कम से कम 860 परिवार 2020 से त्रिपुरा भाग गए हैं और अलग-अलग जगहों पर बस गए हैं.
चकमा ने कहा कि इन 860 परिवारों में से बांग्लादेश के लगभग 195 त्रिपुरी परिवार बलखाली में, 135 परिवार मान्यकुमार पारा में, 82 परिवार रंजीत पारा में और 52 परिवार त्रिपुरा के गोमतीबाड़ी के कटानचंद्र रोजा पारा में बसे हैं.
बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वालों के खिलाफ राज्य स्तरीय जांच की मांग करते हुए चकमा एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा कि बांग्लादेश की सीमा से कम से कम 10000 बांग्लादेशी त्रिपुरी भारत में प्रवेश कर चुके हैं. जबकि 108 रोहिंग्या शरणार्थियों को पिछले तीन साल में त्रिपुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया है. संघों ने दावा किया कि बांग्लादेश में चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) में लगभग 300000 त्रिपुरी बसे हुए हैं.
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चकमा एसोसिएशन ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में दावा किया है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक गंभीर धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं और त्रिपुरा में भाग रहे हैं. पिछले साल नवंबर में बांग्लादेश के कोमिला जिले में कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा इस्लाम को बदनाम करने वाली एक कथित फेसबुक पोस्ट के बारे में अफवाहों को लेकर कई हिंदू परिवारों के घर को तोड़ दिया गया था और जला दिया गया था.