बीजापुर: ग्रामीणों का कहना है कि "हम सड़क और पुलिया का विरोध नहीं करते लेकिन बिना ग्राम पंचायत के पुल व सड़क बनाने का काम किया जा रहा है. कैंप खोलकर आदिवासियों को बेवजह मारपीट कर उन्हें जेल में डाला जाता है. हमारी मांग है कि जनता के धरना स्थल पर पुलिस हमला बंद करें. नारायणपुर जिले के सोनपुर थाना क्षेत्र के पास डोंदरीवेडा कैंप के विरोध में बैठी महिलाओं का नहाते समय ड्रोन से वीडियो बनाया गया. टीआई पर कार्रवाई होनी चाहिए."
आदिवासियों ने नाच गाकर जताया विरोध: बीजापुर के आदिवासियों के आंदोलन के समर्थन में महाराष्ट्र के नगर पंचायतों व ग्रामीणों ने भी सहयोग दिया. इस आंदोलन को सहयोग देने के लिए दिल्ली की एक टीम के साथ सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया भी पहुंची है. गुरुवार को आदिवासियों ने लोक नृत्य कर विरोध जताया. इस नृत्य में गाए गए लोक गीत में आदिवासी, जल जंगल जमीन का जिक्र किया गया.
पिछले साल भी आदिवासियों ने किया था आंदोलन: पेसा कानून के उल्लंघन और ग्राम सभाओं को नजरअंदाज करने के कारण आदिवासी समुदाय सरकार से नाराज है. गांव में ग्राम सभा की बिना अनुमति के निर्माण कार्यों का विरोध करते हुए आदिवासियों ने साल 2022 मार्च में भी इसका विरोध किया था. ग्रामीणों का आरोप है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताने के बावजूद उनपर लाठीचार्ज किया गया. जिसमें 50 लोग घायल हुए. जबकि इस आंदोलन में शामिल 8 आदिवासियों को जेल में डाल दिया गया.
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अब दोबारा से इन आदिवासियों ने एकजुटता दिखाई है और 15 जनवरी से इंद्रावती नदी के किनारे रैली निकाली. फिर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. यहां कई ग्राम पंचायतों के 3 हजार से अधिक लोग शामिल हुए हैं. आदिवासियों का कहना है कि "जब तक सरकार पेसा कानून और ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेती तब तक उनके इलाके में सरकारी निर्माण कार्य का विरोध किया जाएगा. सरकार को आदिवासियों का विकास करना है तो उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी. ना तो सरकार नियम कानून का पालन कर रही है और ना ही आदिवासियों को लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने दे रही."
मूलवासी बचाओ मंच इंद्रावती क्षेत्र के पदाधिकारियों ने मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन करने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि "यदि सरकार पिछले साल की तरह शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास करेगी तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है. आने वाले दिनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में यदि आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ता है तो इसका खामियाजा प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भुगतना पड़ेगा. "