नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले में बीते एक साल से भी ज्यादा समय तक तिहाड़ जेल में बंद रही नताशा नरवाल (Natasha Narwal) और देवांगना कलीता (Devangana Kalita) ने ईटीवी भारत से बातचीत में देश में यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट) में जमानत न मिल पाने के प्रावधानों पर सवाल उठाया है. नताशा नरवाल और देवांगना कलीता ने ईटीवी भारत स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत से बातचीत में कहा कि राजद्रोह और व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह दोनों अलग-अलग पहलू हैं, लेकिन मौजूदा कानून को इस तरह से लागू किया जा रहा है, जिसमें दोनों में भेद मिट रहा है.
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दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) मामले में गंभीर आरोपों में तिहाड़ में बंद रही दोनों स्टूडेंट एक्टिविस्ट ने ईटीवी भारत से चर्चा में जेएनयू (JNU) में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोपों के बचाव में कहा कि वंचितों की आवाज उठाना, अपने देश के नागरिकों के अधिकारों की बात करना राष्ट्रविरोधी नहीं है. शिक्षा और विचारों के लिए संघर्ष दोनों साथ चलना चाहिए. अगर सरकार की पॉलिसी के खिलाफ सवाल उठाना देशद्रोह मान लिया जाएगा तो फिर कैसे कोई समस्या हल होगी.
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देश में आतंकवाद पर नकेल के लिए सख्त कानून की प्रासंगिकता से जुड़े ईटीवी भारत के सवाल पर स्टूडेंट एक्टिविस्ट (student activist) ने कहा कि सख्त कानून जरूरी है, इससे इनकार नहीं, लेकिन कम से कम ऐसे प्रावधान न हों, जिसमें जमानत मिलना इतना मुश्किल हो जाए क्योंकि जितने सालों में जमानत मिलती है, तब तक परिवार और समाज में आप टेररिस्ट घोषित हो जाते हो, इसकी कोई रेमिडी नहीं. बता दें कि नताशा नरवाल और देवांगना कलीता पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य हैं. दोनों को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था.
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