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Bihar Train Accident : क्यों होते हैं रेल हादसे? आखिर छुक-छुक गाड़ी को लग गई किसकी नजर? जानें कारण

देश में ट्रेन हादसों की संख्या बढ़ गई है. भरोसे की ट्रेन से यात्रियों का भरोसा उतरता जा रहा है. ऐसे में ये सवाल हर किसी के जेहन में है कि आखिर ट्रेन डिरेल कैसे होती है, और इसे कैसे रोका जा सकता है?

Bihar Train Accident
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2023, 11:02 PM IST

विद्यानंद प्रसाद शर्मा, रिटायर्ड स्टेशन महाप्रबंधक

पटना : भारत का रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. ये इतना बड़ा है कि लगभग आस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर लोग हर दिन सफर ट्रेनों में सफर करते हैं. हर दिन लगभग 2.50 करोड़ यात्री ट्रनों से यात्रा करते हैं. ट्रेन के सफर को आरामदायक और सुरक्षित माना जाता है. लेकिन, जिस तरह से देश के अंदर ट्रेन हादसे हो रहे हैं उससे यात्रियों का रेल से विश्वास डिगा है. लोग अब ट्रेन से यात्राएं करते हुए भी कतराने लगे हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar Train Accident : नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में अब तक 5 की मौत.. बोले ट्रेन के गार्ड- '100 की रफ्तार में हुआ हादसा'

क्या कहते हैं आंकड़े : वर्ष 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट को अगर देखा जाए तो साल 2022 की तुलना में 2021 में रेल दुर्घटनाओं में 38.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार 1793 दुर्घटनाओं में से 19.4% महाराष्ट्र में हुई, इसके बाद पश्चिम बंगाल और ज्यादातर हादसों की बड़ी वजह ड्राइवर की गलती, रेलवे ट्रैक मेंटेन्स, सिंगल प्रणाली, पहियों का मेंटेनेंस नहीं हो पाना इस तरह की बात रिपोर्ट में सामने आती है.

"खराब मेंटिनेंस की वजह से ट्रेन हादसे होते हैं. अगर ठीक ढंग से मेंटिनेंस न हो, चक्कों की ब्रेक बाइंडिंग ठीक से न हों तो भी ट्रेन पटरी से उतर जाती है. अक्सर हादसे मानवीय त्रुटि की वजह से होते हैं. इन्हें टाला जा सकता है अगर ठीक ढंग से निगरानी की जाए और सिंसियर रेलवे के कर्मचारी से काम लिया जाए."- विद्यानंद प्रसाद शर्मा, रिटायर्ड स्टेशन महाप्रबंधक

पटरियों की ठीक ढंग से मरम्मत का न होना
पटरियों की ठीक ढंग से मरम्मत का न होना

इन वजहों से पटरी से उतरती है ट्रेन : रिटायर्ड रेल अधिकारी विद्यानंद शर्मा बताते हैं कि रेल पटरी से तब उतरी है जब मैकेनिकल फॉल्ट हो जाता है. रेलवे ट्रैक पर लगे उपकरण जब खराब हो जाते हैं तो आंकड़े गलत आने लगते हैं. ऐसे में उन आंकड़ों को समय-समय पर निगरानी करने और मिलान करने की जरूरत होती है.

गर्मी की वजह से रेल हादसे : गर्मी के दिनों में धातु में प्रसार होने की वजह से पटरी टेढी पड़ जाती है. पटरियां चटक जाती हैं. दरार पड़ जाने के चलते जब ट्रेन स्पीड में गुजरती है तो उनका वजन झेल पाना मुश्किल होता है.ऐसे में अगर इसे ठीक ढंग से नहीं देखा गया या मेंटेनेंस किया गया तो हादसा हो सकता है.

तकनीकी खराबी की वजह से हादसा : जिस एक्सेल से चक्का जुड़ा होता है उसके टूट जाने से भी ट्रेन डिरेल हो जाती है. काशन होने के बावजूद कर्व या मोड़ पर तय स्पीड से ज्यादा रफ्तार में ट्रेनों के चलाने पर भी डिरेल होने का खतरा रहता है. अचानक से इमरजेंसी ब्रेक लगाने से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है.

मैंटिनेंस की अनदेखी से हादसा : इन सब कारणों को अगर समय पर न किया गया. उनकी अनदेखी की गई या टाल दिया गया तो इससे बड़ा हादसा हो सकता है. शराररती तत्वों द्वारा पटरियों पर लोहे का सामान रखने पर भी ट्रेन के बेपटरी होने का खतरा रहता है. ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने के कई कारण हैं.

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विद्यानंद प्रसाद शर्मा, रिटायर्ड स्टेशन महाप्रबंधक

पटना : भारत का रेल नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. ये इतना बड़ा है कि लगभग आस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर लोग हर दिन सफर ट्रेनों में सफर करते हैं. हर दिन लगभग 2.50 करोड़ यात्री ट्रनों से यात्रा करते हैं. ट्रेन के सफर को आरामदायक और सुरक्षित माना जाता है. लेकिन, जिस तरह से देश के अंदर ट्रेन हादसे हो रहे हैं उससे यात्रियों का रेल से विश्वास डिगा है. लोग अब ट्रेन से यात्राएं करते हुए भी कतराने लगे हैं.

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क्या कहते हैं आंकड़े : वर्ष 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट को अगर देखा जाए तो साल 2022 की तुलना में 2021 में रेल दुर्घटनाओं में 38.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार 1793 दुर्घटनाओं में से 19.4% महाराष्ट्र में हुई, इसके बाद पश्चिम बंगाल और ज्यादातर हादसों की बड़ी वजह ड्राइवर की गलती, रेलवे ट्रैक मेंटेन्स, सिंगल प्रणाली, पहियों का मेंटेनेंस नहीं हो पाना इस तरह की बात रिपोर्ट में सामने आती है.

"खराब मेंटिनेंस की वजह से ट्रेन हादसे होते हैं. अगर ठीक ढंग से मेंटिनेंस न हो, चक्कों की ब्रेक बाइंडिंग ठीक से न हों तो भी ट्रेन पटरी से उतर जाती है. अक्सर हादसे मानवीय त्रुटि की वजह से होते हैं. इन्हें टाला जा सकता है अगर ठीक ढंग से निगरानी की जाए और सिंसियर रेलवे के कर्मचारी से काम लिया जाए."- विद्यानंद प्रसाद शर्मा, रिटायर्ड स्टेशन महाप्रबंधक

पटरियों की ठीक ढंग से मरम्मत का न होना
पटरियों की ठीक ढंग से मरम्मत का न होना

इन वजहों से पटरी से उतरती है ट्रेन : रिटायर्ड रेल अधिकारी विद्यानंद शर्मा बताते हैं कि रेल पटरी से तब उतरी है जब मैकेनिकल फॉल्ट हो जाता है. रेलवे ट्रैक पर लगे उपकरण जब खराब हो जाते हैं तो आंकड़े गलत आने लगते हैं. ऐसे में उन आंकड़ों को समय-समय पर निगरानी करने और मिलान करने की जरूरत होती है.

गर्मी की वजह से रेल हादसे : गर्मी के दिनों में धातु में प्रसार होने की वजह से पटरी टेढी पड़ जाती है. पटरियां चटक जाती हैं. दरार पड़ जाने के चलते जब ट्रेन स्पीड में गुजरती है तो उनका वजन झेल पाना मुश्किल होता है.ऐसे में अगर इसे ठीक ढंग से नहीं देखा गया या मेंटेनेंस किया गया तो हादसा हो सकता है.

तकनीकी खराबी की वजह से हादसा : जिस एक्सेल से चक्का जुड़ा होता है उसके टूट जाने से भी ट्रेन डिरेल हो जाती है. काशन होने के बावजूद कर्व या मोड़ पर तय स्पीड से ज्यादा रफ्तार में ट्रेनों के चलाने पर भी डिरेल होने का खतरा रहता है. अचानक से इमरजेंसी ब्रेक लगाने से भी ट्रेन डिरेल हो सकती है.

मैंटिनेंस की अनदेखी से हादसा : इन सब कारणों को अगर समय पर न किया गया. उनकी अनदेखी की गई या टाल दिया गया तो इससे बड़ा हादसा हो सकता है. शराररती तत्वों द्वारा पटरियों पर लोहे का सामान रखने पर भी ट्रेन के बेपटरी होने का खतरा रहता है. ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने के कई कारण हैं.

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