बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने यातायात नियमों के उल्लंघन के एक मामले में कहा कि केवल कोर्ट ट्रैफिक चालान एमाउंट तय कर सकता है. हाईकोर्ट ने यह साफ किया कि ट्रैफिक पुलिस को ट्रैफिक चालान की राशि तय करने का अधिकार नहीं है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ट्रैफिक डिवीजन के कार्यालय द्वारा जारी उस सर्कुलर को बरकरार रखा है. इसमें कहा गया है कि ट्रैफिक पुलिस आरोपियों से जुर्माना नहीं वसूल सकती.
न्यायमूर्ति हेमंत चंदन गौडर की पीठ ने के.आर.पीट, सुभाष नगर निवासी के.टी. नटराजू द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया. इसमें हेलमेट न पहनने पर जुर्माना देने से इनकार करने और बल प्रयोग करके एक सरकारी अधिकारी के कर्तव्य में बाधा डालने के लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र को रद्द करने की मांग की गई थी.
साथ ही वाहन निरीक्षण गतिविधि की वीडियोग्राफी कराई जाए. पुलिस अधिकारी पर हमला करने वाले व्यक्ति को रोका जाना चाहिए. संबंधित थाने की पुलिस को मौके पर बुलाया जाए और आरोपियों को हिरासत में लिया जाए. अन्यथा, अदालत ने स्पष्ट किया कि मारपीट और बलपूर्वक सरकारी अधिकारी की ड्यूटी में बाधा डालने का मामला साबित नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने माना कि पुलिस ने केटी नटराजू के खिलाफ मामला दर्ज करते समय इनमें से किसी भी मानदंड/नियम का पालन नहीं किया और उसके खिलाफ मामला रद्द कर दिया.
क्या था मामला? केआर पेट के किक्केरी डिवीजन के एसीपी सीडी सुरेंद्रनाथ ने 3 मार्च 2020 को नटराज के खिलाफ शिकायत दर्ज की. इसमें कहा गया कि बेंगलुरु-जलसूर रोड पर वाहनों की जांच शुरू की. ट्रैफिक पुलिस के साथ यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों की जांच करने और चालकों पर जुर्माना लगाया. इसी दौरान टीबी सर्कल की ओर से बिना हेलमेट पहने बाइक चला रहे नटराजू को प्रोबेशनरी पीएसआई महेश्वर ने रोका. उन्होंने शिकायत की कि बाइक रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड की जांच के बाद हेलमेट न पहनने पर उन पर जुर्माना लगाया गया.
नटराज ने जवाब दिया, 'आपको बाइक पकड़ने का क्या अधिकार है? मेरे पास पैसे नहीं है. मैं जुर्माना नहीं भरता. चाहो तो बाइक रख लो. एसीपी ने शिकायत में आरोप लगाया कि उसने कपड़े उतारे और यह कहकर झगड़ा किया कि वह उन्हें जानता है. ड्यूटी करने से रोका और बाइक रोककर चला गया. मामले की जांच करने वाली केआर टाउन पुलिस स्टेशन ने एक सरकारी अधिकारी की ड्यूटी पर हमले और बल प्रयोग और यातायात नियमों के उल्लंघन के आरोप में नटराज के खिलाफ अधीनस्थ अदालत में आरोप पत्र दायर किया. इसे रद्द करने के लिए नटराज ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, 'जुर्माना नहीं भरने पर पुलिस के पास वाहन जब्त करने का अधिकार नहीं है. मामले में पुलिस ने याचिकाकर्ता को बाइक थाने में खड़ी करने के लिए मजबूर किया. आवेदक जुर्माना भरने के लिए पुलिस स्टेशन जाता है लेकिन जुर्माना नहीं लिया जाता है. याचिकाकर्ता को अदालत की अनुमति के बिना हथकड़ी लगा दी गई और गिरफ्तार कर लिया गया.