हैदराबाद : विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन भारत के बड़े स्टेशनों में से एक है. यह रेलवे के राजस्व में बड़ा योगदान देता है. लाखों लोगों को दूर दराज उनकी मंजिल तक पहुंचाता है और मोटी आय कमाता है, लेकि अब सरकार इसका निजीकरण करने की कोशिश कर रही है. सरकार के इस फैसले का ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों के द्वारा विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन पर विरोध किया जा रहा है.
इस स्टेशन से होने वाली मोटी आय और परिवहन के लिए विख्यात होने के बावजूद रेलवे अधिकारी पुनर्विकास के नाम पर इसमें प्लांट लगाकर, इसे लगभग 99 सालों के लिए निजी पार्टियों को किराए पर देने की तैयारी में है.
श्रमिक यूनियन और कर्मचारी संघ दोनों ही इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. वह पुनर्विकास के नाम पर हो रहे निजीकरण को रोकने का सुझाव दे रहे हैं. उन्होंने रेलवे के अधिकारियों से निजीकरण की योजना को वापस लेने और कर्मचारियों के हितों को बचाने की मांग की है.
उनका कहना है कि सौंदर्यीकरण और विकास निजी पार्टियों के बिना भी हो सकता है. उन्होंने सुझाव दिया है कि इसके बजाय रेलवे अपने दम पर इस स्टेशन के पुनर्विकास के लिए ऋण (loan) का विकल्प चुन सकता है. यह उपयोगकर्ता शुल्क और प्लेटफार्म की टिकट में बढ़ोतरी को भी रोकेगा. प्रस्ताव के वापस ना लिए जाने पर ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों ने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.
1888 में बना विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन 30 एकड़ में फैला है. यहां 10 प्लेटफार्मों के साथ एक जंक्शन भी विकसित किया गया है. यह पूरे देश में लोगों और सामानों को स्थानांतरित करता है.
बेहतर सुविधाओं के साथ इसे स्वच्छता और साफ-सुथरे रखरखाव के लिए आईएसआई द्वारा प्रमाणपत्र मिला है. यह बड़ी आय प्राप्त करता है और लाखों लोगों और देश में अन्य जगहों पर हजारों करोड़ रुपये के माल को स्थानांतरित करता है, जबकि निजीकरण के प्रयास लोगों, ट्रेड यूनियनों और कर्मचारियों के साथ-साथ आलोचनाओं को भी आमंत्रण दे रहा है.
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रेलवे अधिकारियों ने वाणिज्यिक विकास (Commercial Development) के माध्यम से निजीकरण के लिए खुली बोली लगाने की योजना बनाई है. हालांकि 30 साल के लीज प्रस्ताव के लिए पक्षकार आगे नहीं आने के बाद रेलवे अधिकारियों ने अब स्टेशन के निजीकरण को 99 साल तक बनाए रखने और पुनर्विकास करने की योजना बनाई है.
इसके कारण ट्रेड यूनियनों, श्रमिक विरोध और मंचन की योजना का विरोध कर रहे हैं. वे प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने रेलवे से इसे वापस लेने का आग्रह किया क्योंकि यह गरीब और निम्न वर्ग और मध्यम वर्ग वर्गों के यात्रा हितों को बाधित करेगा.