रायपुर: वैज्ञानिकों के अनुसार, मृदा प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि उसकी वजह से मिट्टी में उगाए जाने वाले सब्जी भाजी में भी प्रदूषण की मात्रा आ जाती है. (Tomato Farming cocopeat technology) जिसका दुष्प्रभाव सीधे लोगों की स्वास्थ्य पर पड़ता है. (cocopeat technology for soilless farming) ऐसे परिस्थिति में कोकोपीट द्वारा उगाए गए टमाटर बेहद लाभदायक माने जाते हैं. इस टमाटर के बारे में अधिक जानकारी के लिए बात करते हैं कृषि वैज्ञानिक जीएल शर्मा से....Raipur latest news
सवाल: बिना मिट्टी के इस टमाटर को आप कैसे उगाते हैं ?
जवाब: कोकोपीट माध्यम में रिसर्च करते हुए हमने टमाटर की खेती की, जिसमें हमें सफलता मिली है. साथ ही मिट्टी वर्तमान समय में प्रदूषण की वजह से काफी रोगाणु युक्त हो चुका है, जिससे हमें इस तरह के एक्सपेरिमेंट करने की एक सही वजह मिली. (soilless farming cocopeat techniques in Raipur) यह खेती बागवानी या छत पर करने में भी कारगर है.
सवाल: यह टमाटर अन्य टमाटर से बेहतर कैसे है?
जवाब: प्रत्यक्ष रूप से बेहतर सिद्ध नहीं किया जा सकता है, ऐसे स्थान जहां मिट्टी का स्वास्थ्य खराब हो, तो वहां स्वस्थ टमाटर भी नहीं उगाई जा सकती. लेकिन कोकोपीट में ऐसी दिक्कतें नहीं आती है. (Raipur indira gandhi agriculture university) वो पूरी तरह निगरानी या पॉली हाउस में उगाकर गुणवत्ता पूर्ण होता है. यह टमाटर आम टमाटर जैसा ही लेकिन यह पूरी तरह पेस्टीसाइड और प्रदूषण से मुक्त है. इसलिए यह टमाटर अच्छा है.
सवाल: इस तकनीक से खेती में टमाटर के पौधे की लंबाई कितनी होती है और एक पौधा कितने टमाटर देता है?
जवाब: इस तरह की खेती में टमाटर के पौधे की ऊंचाई में ज्यादा फर्क नहीं होता और टमाटर की संख्या भी लगभग बराबर होती है. लेकिन ये उगाई थोड़ी महंगी होती है. इसलिए आर्थिक रूप से मजबूत वर्ग के लिए ये तकनीक काम करती है.
सवाल: किसानों को इससे कैसे फायदा होगा?
जवाब: इस तरह की खेती में टमाटर की बंपर पैदावर होती है. जिससे किसानों को आमदनी अच्छी होगी. कोकोपीट तकनीक से खेती में कम जगह और कम खेत में अच्छे से खेती की जा सकती है. कृषि वैज्ञानिक जीएल शर्मा ने बताया कि यह खेती लाभप्रद है.
इस तरह की खेती अपनाकर किसान निश्चित ही अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं. ऐसे में अब इस तरह की खेती किसानों के लिए बेहद जरूरी है.