हैदराबाद : हिंदू पचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कलाओं के आधार पर 15-15 के दो पक्षों में बांटा गया है. पहले को शुक्ल पक्ष और दूसरे को कृष्ण पक्ष के नाम से जाना जाता है. शुक्रवार यानि आज आषाढ़ अमावस्या है. साल में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं. इन सभी का अपना अलग-अलग महत्व है. कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या पड़ती है. इस दिन चन्द्रमा आकाश में दिखाई नहीं देता है. पृथ्वी के सभी जीव-जंतुओं पर इसका असर पड़ता है.
बता दें हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, प्रत्येक हिंदू मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है. ये दिन विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले तर्पण और स्नान-दान के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से पुण्य मिलता है. व्रत रखने का भी विधान है.
आषाढ़ अमावस्या की तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की 25 जून को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी. इस मास की अमावस्या तिथि को कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन यानि आज है. आज सुबह 05 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जुलाई को प्रातः 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. अमावस्या का व्रत आज नियमानुसार रखा जाएगा.
आषाढ़ अमावस्या पर व्रत एवं तर्पण का विधान
हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि पर विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत और तर्पण करने का विधान है. आषाढ़ मास के अंत से वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है और इस माह में चातुर्मास की भी शुरूआत होती है, इसलिए आषाढ़ की अमावस्या पर तर्पण और व्रत का विशेष विधान है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य प्रदान कर पितरों को तर्पण अर्पित करना चाहिए. इसके तपश्चात दिन भर फलाहार करते हुए व्रत रखना चाहिए और गरीबों में दान करना शुभ माना जाता है.
पितरों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाकर पितरों को स्मरण किया जाता है. इतना ही नहीं यह तिथि पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक मानी गई है. पितृ कर्म के लिए यह तिथि बेहद शुभ मानी जाती है.