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सुरक्षा के चलते विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर लगी बायोमीट्रिक टोकन मशीन

विशाखापट्टनम में इस नई सर्विस के चालू होने के बाद यात्रियों को सफर करने से पहले बायोमीट्रिक टोकन लेना पड़ेगा. ये टोकन स्टेशन पर लगे बायोमीट्रिक मशीन के जरिए मिलेगी. बायोमीट्रिक टेक्नोलॉजी की मदद से अब रेलवे में सफर करने वाले पैसेंजर को वेरिफाई किया जा सकेगा. इस बायोमीट्रिक सर्विस की वजह से ट्रेन में होने वाले अपराध को रोका जा सकेगा.

biometric token machines
बायोमीट्रिक टोकन मशीनें
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Published : Jan 4, 2021, 8:24 AM IST

विशाखापट्टनम : रेलवे ने शनिवार को आंध्रा प्रदेश के विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (बीटीएस) और ड्रोन के साथ एक निगरानी प्रणाली शुरू की है. सिस्टम का उद्देश्य यात्री प्रवाह को विनियमित करना और स्टेशन पर सुरक्षा को बढ़ाना है. इस तरह की प्रणाली पाने वाला राज्य में पहला रेलवे स्टेशन विशाखापट्टनम है.

यात्रियों के प्रवाह को विनियमित करने और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए, ईस्ट कोस्ट रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर दो बायोमीट्रिक टोकन मशीनें लगाई हैं. इसके साथ ही रेलवे की संपत्ति की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा भी लगाया है. मंडल रेल प्रबंधक चेतन कुमार श्रीवास्तव ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में इन सुविधाओं को शुरू किया.

वीडियो देखें-

'पहले आओ, पहले पाओ'
बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (BTS) एक ऐसी प्रणाली है, जिसके द्वारा सामान्य कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को (जहां सीटें आरक्षित नहीं होती हैं) ट्रेन के प्रस्थान से पहले एक टोकन दिया जाता है. ये टोकन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दिए जाते हैं, उन पर एक सीरियल नंबर होता है, जो उस क्रम को नियंत्रित करता है.

क्या है पूरी प्रक्रिया
इस नई सर्विस के चालू होने के बाद यात्रियों को सफर करने से पहले बायोमीट्रिक टोकन लेना पड़ेगा. ये टोकन स्टेशन पर लगे बायोमीट्रिक मशीन के जरिए मिलेगी. टोकन जारी होने के बाद ही यात्री जनरल बॉगी में बैठ सकेंगे, जिसकी वजह से ट्रेन में सीट के लिए मचने वाली अफरा-तफरी को भी रोका जा सकेगा. इसके अलावा किसी भी बड़ी दुर्घटना के समय में यात्रियों की पहचान की जा सकेगी.

पढ़ें : कश्मीर में चिल्लई-कलां का दौर, देश के अन्य हिस्सों से संपर्क कटा

इस तरह करेगा काम
बायोमीट्रिक आइडेंटिफिकेशन टोकन में यात्रियों के फिंगरप्रिंट के माध्यम से चेहरे की पहचान की जा सकेगी. रेलवे ने इसके लिए आधार पर आधारित टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया है. जैसे आधार कार्ड के लिए यूजर्स की पहचान उनके बायोमेट्रिक डिटेल से हो जाती है. उसी तरह इस बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से यात्रियों की पहचान की जा सकती है.

इस मशीन में सीसीटीवी कैमरा भी फिट किया गया है, जो यात्रियों के चेहरे की तस्वीर को क्लिक करेगा. बायोमीट्रिक टोकन लेने के बाद ही यात्री किसी भी ट्रेन के जनरल बॉगी में बैठ सकेंगे. इसके लिए ट्रेन के जनरल बॉगी की गेट पर रेलवे पुलिस का जवान तैनात रहेंगे और टोकन देखने के बाद ही ट्रेन में यात्रियों को प्रवेश करने देंगे. इसके साथ ही बायोमीट्रिक्स के उपयोग से अनारक्षित टिकटों की कालाबाजारी को भी रोका जा सकता है. टोकन प्रणाली से असहनीय भीड़ को स्वागत में बदलने में मदद मिलती है.

प्रबंधित, अनुशासित समूह
इस प्रणाली को गोदावरी, रत्नाचल, जन्मभूमि, सिमहाद्री, तिरुमाला, कोरबा एक्सप्रेस आदि जैसे आठ उद्भव वाली ट्रेनों में लागू किया जाएगा. निगरानी प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से हाल ही में वॉल्टेयर डिवीजन की खरीद की गई है.

ड्रोन रखेगा निगरानी
मानवरहित हवाई वाहन, ड्रोन, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग और स्वचालित विफल मोड के साथ ड्रोन रेलवे संपत्ति की निगरानी करेगा. साथ ही यात्रियों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. ड्रोन का वास्तविक समय दृश्य उच्च अधिकारियों द्वारा मोबाइल फोन और कंप्यूटर में विशिष्ट सॉफ्टवेयर के माध्यम से भी देखा जा सकता है.

पढ़ें : J-K: हाईकोर्ट ने उप-निरीक्षक पदोन्नति मामले में कैट के फैसले पर लगाई रोक

बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम का उपयोग
डीआरएम चेतन कुमार श्रीवास्तव ने कहा, बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम का उपयोग फिंगर प्रिंट स्कैनिंग के लिए नवीनतम तकनीक के साथ किया जायेगा. इमेज कैप्चरिंग, पैसेंजर डिटेल ब्लॉक, इमरजेंसी बजर सिस्टम, डेटा सारांश स्टोरेज सामान्य कोचों में भीड़ को सुव्यवस्थित करने, अपराध को रोकने और मामलों का पता लगाने में बहुत मददगार होगा.

प्रमुख उद्देश्य
उन्होंने आगे कहा, सुरक्षा अधिकारियों और आपातकालीन उत्तरदाताओं को ऐसे पेशेवर उपकरण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, जैसे ड्रोन असीमित हवाई डेटा एकत्र करने और सुरक्षा खतरों में वास्तविक समय दृश्यता प्रदान करने, तोड़फोड़ की घटनाओं पर नजर रखने के लिए आपातकालीन स्थिति, कमजोर स्थानों पर गश्त, हवाई समीक्षा आदि.

विशाखापट्टनम : रेलवे ने शनिवार को आंध्रा प्रदेश के विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (बीटीएस) और ड्रोन के साथ एक निगरानी प्रणाली शुरू की है. सिस्टम का उद्देश्य यात्री प्रवाह को विनियमित करना और स्टेशन पर सुरक्षा को बढ़ाना है. इस तरह की प्रणाली पाने वाला राज्य में पहला रेलवे स्टेशन विशाखापट्टनम है.

यात्रियों के प्रवाह को विनियमित करने और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए, ईस्ट कोस्ट रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर दो बायोमीट्रिक टोकन मशीनें लगाई हैं. इसके साथ ही रेलवे की संपत्ति की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा भी लगाया है. मंडल रेल प्रबंधक चेतन कुमार श्रीवास्तव ने विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव और अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में इन सुविधाओं को शुरू किया.

वीडियो देखें-

'पहले आओ, पहले पाओ'
बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (BTS) एक ऐसी प्रणाली है, जिसके द्वारा सामान्य कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को (जहां सीटें आरक्षित नहीं होती हैं) ट्रेन के प्रस्थान से पहले एक टोकन दिया जाता है. ये टोकन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर दिए जाते हैं, उन पर एक सीरियल नंबर होता है, जो उस क्रम को नियंत्रित करता है.

क्या है पूरी प्रक्रिया
इस नई सर्विस के चालू होने के बाद यात्रियों को सफर करने से पहले बायोमीट्रिक टोकन लेना पड़ेगा. ये टोकन स्टेशन पर लगे बायोमीट्रिक मशीन के जरिए मिलेगी. टोकन जारी होने के बाद ही यात्री जनरल बॉगी में बैठ सकेंगे, जिसकी वजह से ट्रेन में सीट के लिए मचने वाली अफरा-तफरी को भी रोका जा सकेगा. इसके अलावा किसी भी बड़ी दुर्घटना के समय में यात्रियों की पहचान की जा सकेगी.

पढ़ें : कश्मीर में चिल्लई-कलां का दौर, देश के अन्य हिस्सों से संपर्क कटा

इस तरह करेगा काम
बायोमीट्रिक आइडेंटिफिकेशन टोकन में यात्रियों के फिंगरप्रिंट के माध्यम से चेहरे की पहचान की जा सकेगी. रेलवे ने इसके लिए आधार पर आधारित टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया है. जैसे आधार कार्ड के लिए यूजर्स की पहचान उनके बायोमेट्रिक डिटेल से हो जाती है. उसी तरह इस बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से यात्रियों की पहचान की जा सकती है.

इस मशीन में सीसीटीवी कैमरा भी फिट किया गया है, जो यात्रियों के चेहरे की तस्वीर को क्लिक करेगा. बायोमीट्रिक टोकन लेने के बाद ही यात्री किसी भी ट्रेन के जनरल बॉगी में बैठ सकेंगे. इसके लिए ट्रेन के जनरल बॉगी की गेट पर रेलवे पुलिस का जवान तैनात रहेंगे और टोकन देखने के बाद ही ट्रेन में यात्रियों को प्रवेश करने देंगे. इसके साथ ही बायोमीट्रिक्स के उपयोग से अनारक्षित टिकटों की कालाबाजारी को भी रोका जा सकता है. टोकन प्रणाली से असहनीय भीड़ को स्वागत में बदलने में मदद मिलती है.

प्रबंधित, अनुशासित समूह
इस प्रणाली को गोदावरी, रत्नाचल, जन्मभूमि, सिमहाद्री, तिरुमाला, कोरबा एक्सप्रेस आदि जैसे आठ उद्भव वाली ट्रेनों में लागू किया जाएगा. निगरानी प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से हाल ही में वॉल्टेयर डिवीजन की खरीद की गई है.

ड्रोन रखेगा निगरानी
मानवरहित हवाई वाहन, ड्रोन, रीयल-टाइम ट्रैकिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग और स्वचालित विफल मोड के साथ ड्रोन रेलवे संपत्ति की निगरानी करेगा. साथ ही यात्रियों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. ड्रोन का वास्तविक समय दृश्य उच्च अधिकारियों द्वारा मोबाइल फोन और कंप्यूटर में विशिष्ट सॉफ्टवेयर के माध्यम से भी देखा जा सकता है.

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बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम का उपयोग
डीआरएम चेतन कुमार श्रीवास्तव ने कहा, बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम का उपयोग फिंगर प्रिंट स्कैनिंग के लिए नवीनतम तकनीक के साथ किया जायेगा. इमेज कैप्चरिंग, पैसेंजर डिटेल ब्लॉक, इमरजेंसी बजर सिस्टम, डेटा सारांश स्टोरेज सामान्य कोचों में भीड़ को सुव्यवस्थित करने, अपराध को रोकने और मामलों का पता लगाने में बहुत मददगार होगा.

प्रमुख उद्देश्य
उन्होंने आगे कहा, सुरक्षा अधिकारियों और आपातकालीन उत्तरदाताओं को ऐसे पेशेवर उपकरण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, जैसे ड्रोन असीमित हवाई डेटा एकत्र करने और सुरक्षा खतरों में वास्तविक समय दृश्यता प्रदान करने, तोड़फोड़ की घटनाओं पर नजर रखने के लिए आपातकालीन स्थिति, कमजोर स्थानों पर गश्त, हवाई समीक्षा आदि.

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