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सदन में गतिरोध के लिए सरकार जिम्मेदार, चर्चा से भाग रही : TMC - सत्र का बहिष्कार

तृणमूल कांग्रेस ने साफ किया है कि वह सत्र का बहिष्कार नहीं करेगी. टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन (TMC Rajya Sabha MP Derek O'brien) ने कहा कि वे संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों (important issues) पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन सरकार चर्चा से भाग रही है.

TMC MP Derek O'Brien and others   (Photo: ETV Bharat)
टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन व अन्य (फोटो-ईटीवी भारत)
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Published : Nov 30, 2021, 5:51 PM IST

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस ने संसद सत्र ठीक से नहीं चलने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि टीएमसी ने कहा कि वह सत्र का बहिष्कार (boycott the session) नहीं करेगी. टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन (TMC Rajya Sabha MP Derek O'brien) ने कहा कि वे संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन यह सरकार है जो चर्चा से भाग रही है.

डेरेक ओब्रायन ने मंगलवार को मीडिया से कहा 'हम चाहते हैं कि सदन चले, हम शून्यकाल चलाना चाहते हैं...हम चाहते हैं कि सरकार जवाबदेह हो, हम चाहते हैं कि प्रश्नकाल चले, हम विधेयकों पर चर्चा चाहते हैं. हम मानसून सत्र में भी ऐसा चाहते थे लेकिन मानसून सत्र में जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पेगासस पर सरकार ने चर्चा की अनुमति नहीं दी थी. आप सभी जानते हैं कि सितंबर 2020 में कृषि कानूनों पर क्या हुआ था. इसलिए यह सरकार नहीं चाहती कि यह संसद चले. वही स्टंट वह संसद के शीतकालीन सत्र में भी अपना रही है.

12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने की अपनी मांग को दोहराते हुए टीएमटीएमसी नेता ने आरोप लगाया कि उन्हें सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने उकसाया था. टीएमसी नेता ने कहा कि '12 सांसदों को नहीं बल्कि 90 भाजपा सांसदों को निलंबित किया जाना चाहिए था क्योंकि उन्होंने बुलडोजिंग बिलों पर जोर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा नहीं करने पर जोर दिया.'

संसद के कामकाज और सदन में विधेयकों को मीडिया के सामने पेश करने के बारे में कुछ डेटा रखते हुए, टीएमसी सांसद ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के दौरान संसदीय समितियों द्वारा बिलों की जांच की दर में भारी गिरावट आई है.

'मोदी सरकार में बिलों की जांच में आई है कमी'
डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, 14वीं और 15वीं लोकसभा में 60 से 70% बिलों की संसदीय समितियों ने जांच की थी, लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान यह आंकड़ा 25% तक गिर गया था. मोदी 2.0 में यह आंकड़ा 10% तक कम है. दूसरे शब्दों में 10 विधेयकों में से केवल एक की जांच की जाती है. डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि सदन चलने में व्यवधान के लिए कौन जिम्मेदार है?'
टीएमसी सांसद ने कहा कि आखिरी बार 5 साल पहले नवंबर 2016 में राज्यसभा में नियम 267 लागू किया गया था. 5 साल तक कोई नियम 267 नहीं था. विपक्ष को बोलने का मौका नहीं मिला है. पारित किए गए प्रत्येक 10 विधेयकों में से चार राज्यसभा में अध्यादेश हैं. टीएमसी नेता ने कहा कि 'हमारे सांसद संसद का बहिष्कार इसलिए नहीं करेंगे ताकि वह सदन में मौजूद रहकर ये मुद्दा उठा सकें कि सरकार चाहती है कि विपक्ष संसद का बहिष्कार करे.'

पढ़ें- कांग्रेस की बुलाई बैठक में शामिल न होने से आसमान नहीं टूटा : टीएमसी

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस ने संसद सत्र ठीक से नहीं चलने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि टीएमसी ने कहा कि वह सत्र का बहिष्कार (boycott the session) नहीं करेगी. टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन (TMC Rajya Sabha MP Derek O'brien) ने कहा कि वे संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन यह सरकार है जो चर्चा से भाग रही है.

डेरेक ओब्रायन ने मंगलवार को मीडिया से कहा 'हम चाहते हैं कि सदन चले, हम शून्यकाल चलाना चाहते हैं...हम चाहते हैं कि सरकार जवाबदेह हो, हम चाहते हैं कि प्रश्नकाल चले, हम विधेयकों पर चर्चा चाहते हैं. हम मानसून सत्र में भी ऐसा चाहते थे लेकिन मानसून सत्र में जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पेगासस पर सरकार ने चर्चा की अनुमति नहीं दी थी. आप सभी जानते हैं कि सितंबर 2020 में कृषि कानूनों पर क्या हुआ था. इसलिए यह सरकार नहीं चाहती कि यह संसद चले. वही स्टंट वह संसद के शीतकालीन सत्र में भी अपना रही है.

12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने की अपनी मांग को दोहराते हुए टीएमटीएमसी नेता ने आरोप लगाया कि उन्हें सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने उकसाया था. टीएमसी नेता ने कहा कि '12 सांसदों को नहीं बल्कि 90 भाजपा सांसदों को निलंबित किया जाना चाहिए था क्योंकि उन्होंने बुलडोजिंग बिलों पर जोर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा नहीं करने पर जोर दिया.'

संसद के कामकाज और सदन में विधेयकों को मीडिया के सामने पेश करने के बारे में कुछ डेटा रखते हुए, टीएमसी सांसद ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के दौरान संसदीय समितियों द्वारा बिलों की जांच की दर में भारी गिरावट आई है.

'मोदी सरकार में बिलों की जांच में आई है कमी'
डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, 14वीं और 15वीं लोकसभा में 60 से 70% बिलों की संसदीय समितियों ने जांच की थी, लेकिन मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान यह आंकड़ा 25% तक गिर गया था. मोदी 2.0 में यह आंकड़ा 10% तक कम है. दूसरे शब्दों में 10 विधेयकों में से केवल एक की जांच की जाती है. डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि सदन चलने में व्यवधान के लिए कौन जिम्मेदार है?'
टीएमसी सांसद ने कहा कि आखिरी बार 5 साल पहले नवंबर 2016 में राज्यसभा में नियम 267 लागू किया गया था. 5 साल तक कोई नियम 267 नहीं था. विपक्ष को बोलने का मौका नहीं मिला है. पारित किए गए प्रत्येक 10 विधेयकों में से चार राज्यसभा में अध्यादेश हैं. टीएमसी नेता ने कहा कि 'हमारे सांसद संसद का बहिष्कार इसलिए नहीं करेंगे ताकि वह सदन में मौजूद रहकर ये मुद्दा उठा सकें कि सरकार चाहती है कि विपक्ष संसद का बहिष्कार करे.'

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