वाशिंगटन : टाइटन पनडुब्बी पर सवार सभी पांच यात्रियों की मौत हो चुकी है. अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने औपचारिक रूप से मौत की पुष्टि कर दी है. उनके अनुसार पनडुब्बी में विस्फोट हुआ, जिससे उसके पखच्चे उड़ गए. पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज से लगभग चार किलोमीटर दूर मिला है. पिछले पांच दिनों से उनकी तलाश की जा रही थी. तलाशी अभियान में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन के समुद्री विशेषज्ञ समेत दूसरे देशों के भी एक्सपर्ट शामिल थे. जिस मशीन से टाइटन को ढूंढा, वह ओडेसस 6के है.
ऑपरेशन खत्म होने के बाद इसकी जानकारी देते हुए अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने बताया कि ओडेसस 6के आरओवी की मदद से टाइटन के मलबे को ढूंढा गया. ओडेसस को पेलागिक रीसर्च सर्विसेज ने तैनात किया है. ओडेसस दरअसल रिमोट द्वारा संचालित एक व्हीकल है.
टाइटैनिक जहाज 12500 फीट की गहराई पर है, जबकि ओडेसस 19 हजार फीट की गहराई तक जा सकता है. इसे मुख्य रूप से समुद्र के अंदर बचाव अभियान चलाने के लिए ही बनाया गया है. इसमें हाई क्वालिटी का वीडियो कैमरा फिट है.
ओडेसस पांच फीट चौड़ा और 7.4 फीट ऊंचा है. इसमें सोनार लगा हुआ है. सोनार से आप पानी के अंदर की चीजों को पता लगा सकते हैं. ओडेसस अपने रोबोटिक आर्म्स की मदद से सैंपल भी इकट्ठा कर सकता है.
एक दिन ही पहले ही ओडेसस की तैनाती की गई थी. घंटों की खोजबीन के बाद ओडेसस को टाइटन मलबे का सिग्नल मिला. इस सिग्नल को एनालाइज किया गया. उसके बाद पता चला कि यह टाइटन का टेल है. इस टेल के पास ही पनडुब्बी का मलबा पड़ा था. हालांकि, अभी पूरा मलबा नहीं मिला है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार मलबे के दो ढेर मिले हैं. एक हिस्से में टेल है और दूसरे हिस्से में फ्रेम मिला है. विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से विमान हादसे की जांच ब्लैक बॉक्स से की जाती है, उस तरह से इस पनडुब्बी की जांच नहीं की जा सकती है, क्योंकि इसमें ब्लैक बॉक्स नहीं लगा हुआ था. इसलिए अंतिम लोकेशन को ट्रेस करना भी मुश्किल होगा.
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में ब्रिटिश एक्सपर्ट के हवाले से लिखा है कि अगर विस्फोट हुआ है तो पनडुब्बी पर एफिल टावर के वजन के बराबर भार पड़ा होगा. पेलागिक की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार इसका मंजर बहुत ही भयावह था. पेलागिक ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक मलबा 12500 फुट की गहराई पर मिला. इस गहराई पर पानी के ऊपरी सतह के मुकाबले करीब चार सौ गुना अधिक दबाव होता है.
टाइटन में एक प्रेशर चैंबर था. इसका काम प्रेशर मैंटेन करना होता है. जैसे जैसे पनडुब्बी पानी की गहराई में जाता है, यह अंदर बैठे यात्रियों के चैंबर का प्रेशर बैलेंस करता रहता है. अमेरिकी कोस्ट गार्ड के अधिकारी एडमिरल जॉन मॉगर ने कहा कि हैवी प्रेशर की वजह से टाइटन पनडुब्बी विस्फोट का शिकार हो गया.
उन्होंने कहा कि जाहिर है, इसमें बैठे हुए सभी यात्रियों के परखच्चे उड़ गए होंगे और जिस तरह से मलबा मिला है, ये उसी ओर इशारा कर रहे हैं. साइंस की भाषा में इस घटना को कैटेस्ट्रॉफिक इंप्लोजन कहते हैं. यानी वह वस्तु सिकुड़ कर खंड-खंड हो जाती है. सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने कैटेस्ट्रॉफिक इंप्लोजन के वीडियो शेयर किए हैं.
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गत रविवार को टाइटन पनडुब्बी का संपर्क टूट गया था. अपनी यात्रा की शुरुआत करने के करीब पौने दो घंटे बाद ही इसका सिग्नल मिलना बंद हो गया था. अंतिम लोकेशन इसका केप कोड के ईस्ट में मिला था. केप कोड अमेरिकी सी कोस्ट से 900 नॉटिकल माइल्स दूर है. पनडुब्बी में बैठे हुए पांचों यात्री टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने गए थे. इसमें वह व्यक्ति भी शामिल था, जिसने टाइटन पनडुब्बी को बनाया था. पाकिस्तानी मूल के दो अरबपति भी थे. उनमें से एक उनका 19 साल का बेटा था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बेटा जाने के लिए तैयार नहीं था.
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